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कला से बच्चों को जोडकर सामाजिक मूल्य से अवगत करवाना उनके शारीरक व मानसिक विकास में एक अनोखा कदम : डीसी

Bathinda बठिंडा। (Kathak: A Timeless Tale A grand cultural event on World Dance Day) विश्व नृत्य दिवस के उपलक्ष्य में परंपरा में कदम रखते हुए, गरिमा और जुनून के साथ, प्रेरणा‘ कथक नृत्यालय द्वारा ‘‘कथक: अ टाइमलेस टेल‘‘ कार्यक्रम का का भव्य आयोजन किया गया।

बठिंडा के बलवंत गर्गी ऑडिटोरियम, में प्रेरणा‘ कथक नृत्यालय की तरफ से द मिलेनियम स्कूल एचएमईएल टाउनशिप के सहयोग से आयोजित यह सांस्कृतिक संध्या, कथक की कालातीत परंपरा और आधुनिक संवेदनाओं का अद्वितीय संगम बनकर उभरी, जिसे दर्शकों ने अत्यंत सराहा और लंबे समय तक याद रखेंगे।

कार्यक्रम की शुरुआत समागम के मुख्यअतिथि श्री शौकत अहमद परे, डीसी बठिंडा व विशेष अतिथि श्री एम बी गोहिल, सीओओ, एचएमईएल गुरू गोबिंद सिंह रिफाइनरी ने श्रीमति प्रेरणा वालिवाडेकर व श्री विश्वास वालिवाडेकर के साथ दीप प्रज्वलन करके की।

इसके बाद बच्चों ने गणेश वंदना प्रस्तुत की, जिसने वातावरण को भक्तिमय और सांस्कृतिक ऊर्जा से भर दिया।

इस दौरान कथक का स्वरूप, कक्षा जीवन मूल्यों पर आधारित प्रस्तुति की गई। समागम के दौरान विशिष्ट कथक प्रस्तुतियों, शुद्ध शास्त्रीय शैली में कोमलता और अभिव्यक्ति से भरपूर नृत्य प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

नृत्य नाटिका ‘‘घनश्याम‘‘ कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा, जिसमें बाल कलाकारों ने शुद्ध शास्त्रीय शैली में कोमलता और अभिव्यक्ति से भरपूर ‘‘घनश्याम‘‘ नृत्य नाटिका में नशे की लत पर आधारित एक गहन और मार्मिक कथा, जो शक्तिशाली अभिनय और नृत्य के माध्यम से सामाजिक चेतना को जागृत करती पेश की।

नृत्य नाटिका में ललिता के संघर्ष को दर्शाया गया, जो अपने पति घनश्याम को नशे के चंगुल से बचाने के लिए हर संभव प्रयास करती है। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद, घनश्याम अपनी लत से हार जाता है और जीवन खो देता है।

इस गहरे आघात से ललिता भी बेबस और दुःख के चलते प्राण त्याग देती है। किंतु कहानी यहीं नहीं रुकती मृत्यु के पार दोनों आत्माएँ मिलती हैं और दुखों से मुक्त होकर एक साथ नृत्य करती हैं व प्रेम और मोक्ष का संदेश देते हैं।

45 मिनट चली इस नृत्य नाटिका में दर्शकों ने घनश्याम और ललिता की प्रेम यात्रा को देखा, जहाँ प्रेम जीवन और मृत्यु की सीमाओं को पार कर अमर हो जाता है। इस मार्मिक प्रस्तुति ने हर दिल को छू लिया।

कथक की शुद्ध शास्त्रीय शैली में कोमलता और अभिव्यक्ति से भरपूर नृत्य प्रस्तुतियों को देखकर मुख्यातिथि डीसी श्री शौकत अहमद परें ने बाल कलाकारों की भावनाओं व कला के प्रति समर्पण की सराहना करते हुए कार्यक्रम की आयोजक श्रीमति प्रेरणा वालिवाडेकर को इस आयोजन के लिए बधाई दी।

उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल युग में यहां लोग टेक्नालोजी की दौड में अपने जीवन मूल्य को सीमित करते जा रहे हैं, ऐसे में कला से बच्चों को जोडकर सामाजिक मूल्य से अवगत करवाना उनके शारीरक व मानसिक विकास में एक अनोखा कदम है, जो आगे चलकर उनके मजबूत भविष्य की नींव रखेगा।

उन्होंने कहा कि ऐसे अदभूत आयोजन में भविष्य में सरकारी स्कूलों व अन्य बच्चों को भी शामिल करना चाहिए, ताकि वह भी इससे प्रेरणा लेकर कला को अपने जीवन का हिस्सा बना सकें। श्री परे ने भविष्य में ऐसे प्रयासों में हर तरह से सहयोग करने का भरोसा भी दिलाया।

श्रीमति प्रेरणा वालिवाडेकर ने अपने कहा कि कहा कि नृत्य सीमाओं से परे जाकर लोगों को जोड़ता है, और रचनात्मकता तथा परंपरा का सुंदर संगम प्रस्तुत करता है।

इसी उद्देश्य के साथ आज के इस भव्य आयोजन को आयोजित किया गया था। समागम के अंत में तमाम प्रतिभागियों को डीसी श्री शौकत अहम परे व श्री एम बी गोहिल ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

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