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New Delhi नई दिल्ली। (10 year old children will be able to manage their bank account rbi changed the rules) अगर किसी बच्चे की उम्र 10 साल या उससे ज्यादा है, अब वो खुद अपना बैंक ना सिर्फ खुलवा सकता है, बल्कि उसे अपने तरीके से ऑपरेट भी कर सकता है.

देश के सेंट्रल बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से नियम में अहम बदलाव किया है. आरबीआई ने इस नियम को सभी बैंकों से 1 जुलाई से लागू करने को कह दिया है.

अभी तक 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के बैंक अकाउंट को ओपन तो कराया जा सकता था, लेकिन उसे पूरी तरह से ऑपरेट करने की जिम्मेदारी माता-पिता या यूं कहें कि गार्जियन की थी.

अब इस नियम में बदलाव आरबीआई ने कर दिए हैं. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इस पूरे मामले में आरबीआई ने किस तरह का बदलाव किया है.

आरबीआई ने जारी की रिवाइज्ड गाइडलाइंस

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को बैंकों को 10 वर्ष से अधिक आयु के नाबालिग बच्चों को स्वतंत्र रूप से सेविंग/एफडी डिपॉजिट अकाउंट खोलने और ऑपरेट करने की अनुमति दे दी.

केंद्रीय बैंक ने इस संदर्भ में नाबालिगों के जमा खाते खोलने और ऑपरेट करने को लेकर रिवाइज्ड गाइडलाइंस जारी की हैं.

आरबीआई ने कमर्शियल बैंकों और सहकारी बैंकों को जारी एक सर्कूलर में कहा है कि किसी भी आयु के नाबालिगों को अपने प्राकृतिक या कानूनी अभिभावक के माध्यम से सेविंग और एफडी अकाउंट खोलने और ऑपरेट करने की परमीशन दी जा सकती है.

उन्हें अपनी मां को पेरेंट्स के रूप में रखकर भी ऐसे अकाउंट खोलने की अनुमति दी जा सकती है.

बैंक तय करें

सर्कूलर में कहा गया कि कम-से-कम दस वर्ष की आयु सीमा और उससे ऊपर के नाबालिगों को उनकी इच्छा पर स्वतंत्र रूप से सेविंग/एफडी अकाउंट खोलने और ऑपरेट करने की अनुमति दी जा सकती है.

इसमें बैंक अपनी रिस्क मैनेज्मेंट पॉलिसी को ध्यान में रखते हुए राशि और शर्त तय कर सकते हैं.

इस बारे में जो भी नियम और शर्तें तय की जाती हैं, उस बारे में अकाउंट होल्डर को जानकारी दी जाएगी.

इसके अलावा, वयस्क होने पर, खाताधारक के नए संचालन निर्देश और नमूना हस्ताक्षर प्राप्त किए जाने चाहिए और उन्हें रिकॉर्ड में रखा जाना चाहिए.

एक जुलाई से बदलने होंगे नियम

सर्कूलर में कहा गया कि बैंक अपनी रिस्क मैनेज्मेंट पॉलिसी, प्रोडक्ट्स और ग्राहकों के आधार पर नाबालिग अकाउंटहोल्डर्स को इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम/डेबिट कार्ड, चेकबुक सुविधा आदि जैसी अतिरिक्त सुविधाएं देने के लिए स्वतंत्र हैं.

बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि नाबालिगों के खाते, चाहे वे स्वतंत्र रूप से संचालित हों या अभिभावक के माध्यम से, उनसे अधिक निकासी न हो और इसमें हमेशा राशि रहे.

आरबीआई ने कहा कि इसके अलावा, बैंक नाबालिगों के जमा खाते खोलने के लिए ग्राहक की उचित जांच-पड़ताल करेंगे और इसे आगे भी जारी रखेंगे.

केंद्रीय बैंक ने बैंकों से कहा है कि वे एक जुलाई, 2025 तक रिवाइज्ड गाइडलाइंस के अनुरूप नई पॉलिसीज बनाएं या मौजूदा पॉलिसीज को रिवाइज करें.

आरबीआई यह कदम बच्चों को छोटी उम्र से ही पैसे बचाने और मैनेज करने में मदद करेगा.

वे बैंकिंग सिस्टम को समझेंगे और वित्तीय जिम्मेदारी सीखेंगे. माता-पिता को अपने बच्चों को फाइनेंश‍ियल फ्रीडम देने में आसानी होगी.

आरबीआई (RBI) का यह नियम बच्चों के भविष्य को और मजबूत बनाने की दिशा में अहम कदम है.

18 साल होने पर क्या होगा?

जब बच्चा 18 साल का हो जाएगा तो बैंक को उससे नए साइन लेने होंगे. अगर अकाउंट अभिभावक चला रहे थे तो बैलेंस की पुष्टि की जाएगी.

आरबीआई (RBI) की तरफ से बैंकों से कहा गया क‍ि वे इस बदलाव को आसान बनाने के लिए पहले से तैयारी करें.

बैंक बच्चों को इंटरनेट बैंकिंग, ATM / डेबिट कार्ड और चेकबुक जैसी सुविधाएं दे सकते हैं. लेकिन यह उनके र‍िस्‍क पर निर्भर करेगा. इससे बच्चे मॉडर्न बैंकिंग को समझ सकेंगे.

ओवर ड्रॉफ्ट की परम‍िशन नहीं

खाता बच्चा खुद ऑपरेट करे या उसके अभिभावक, उसमें ओवरड्राफ्ट (यानी खाते में जमा राशि से ज्यादा निकासी) की अनुमति नहीं होगी.

खाता हमेशा क्रेडिट में रहना चाहिए. बच्चों के अकाउंट खोलते समय बैंकों को KYC नियमों का पालन करना होगा. यह RBI के 2016 के KYC नियमों के अनुसार होगा.

 

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