Prabhat Times
Chandigarh चंडीगढ़। (Principal of 36 schools of Punjab will go to Singapore) पंजाब के स्कूल शिक्षा मंत्री स हरजोत बैंस ने बताया कि प्रदेश में स्कूल शिक्षा के स्तर को और ऊंचा उठाने के उद्देश्य से पंजाब सरकार द्वारा 36 स्कूल प्रिंसिपलों को पांच दिवसीय प्रशिक्षण के लिए सिंगापुर भेजने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने बताया कि लीडरशिप डिवेलपमेंट प्रोग्राम के तहत अब तक पंजाब के 198 प्रिंसिपल और शिक्षा अधिकारी सिंगापुर की प्रिंसिपल्स अकादमी से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।
इस कार्यक्रम के तहत अब 36 स्कूल प्रिंसिपलों का 7वां बैच इस वर्ष मार्च में सिंगापुर भेजा जाएगा।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य कर रहे शिक्षकों, स्कूल प्रमुखों और स्कूल शिक्षा प्रबंधकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एस सी ई आर टी ) में एक “इंटरनेशनल एजुकेशन अफेयर्स सेल (आई ई ए सी)” स्थापित किया गया है।
इस प्रशिक्षण के लिए पात्रता मानदंड साझा करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि उम्मीदवार की आयु 31 जनवरी 2025 तक 53 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए और उसके पास कम से कम सितंबर 2025 तक वैध भारतीय पासपोर्ट होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि उम्मीदवार के खिलाफ कोई चार्जशीट, जांच या आपराधिक मामला लंबित नहीं होना चाहिए।
इन प्रारंभिक शर्तों को पूरा करने वाले सभी उम्मीदवार अगले चरण में शामिल होंगे, जहां उनकी चयन प्रक्रिया मेरिट के आधार पर होगी, जो कि शैक्षणिक योग्यता, अनुभव, ए सी आर और पुरस्कारों के आधार पर तय की जाएगी।
हरजोत बैंस ने कहा कि प्रिंसिपलों के लिए सिंगापुर का यह दौरा उन्हें एक व्यापक प्रशिक्षण अनुभव प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है, जो उनकी नेतृत्व क्षमता और शैक्षिक कौशल को विकसित करने पर केंद्रित होगा।
उन्होंने कहा कि सिंगापुर प्रवास के दौरान, वे विभिन्न कार्यशालाओं, सेमिनारों और गतिविधियों में भाग लेंगे, जो उन्हें सिंगापुर के स्कूलों में अपनाई जा रही उन्नत शिक्षण तकनीकों और शैक्षिक प्रथाओं की जानकारी प्रदान करेंगे।
स बैंस ने कहा कि यह दौरा प्रिंसिपलों को निरंतर सीखने और शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए प्रेरित करेगा, जिससे वे अपने स्कूलों में नवीन शिक्षण विधियों और रणनीतियों को लागू कर सकें।
उन्होंने कहा कि अपने अनुभवों और विचारों को साझा करके वे प्रदेश के स्कूलों में एक सहयोगी शिक्षण वातावरण के निर्माण में योगदान देंगे।
इससे प्रणालीगत प्रभाव पड़ेगा और स्कूलों में अंतर-शिक्षण, उच्च प्रेरणा तथा शिक्षण-प्रशिक्षण प्रक्रियाओं में भी सुधार होगा।
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