Prabhat Times
Jalandhar जालंधर। (64th Police Memorial Day: DGP pays tribute to police martyrs) देश की एकता और अखंडता के लिए आतंकवादियों और अपराधियों के साथ लोहा लेते हुये जानें कुर्बान करने वाले बहादुर पुलिस मुलाजिमों को श्रद्धाँजलि भेंट करने के लिए शनिवार को पंजाब आर्म्ड पुलिस (पी.ए.पी.) हैडक्वाटर में 64वें राज्य स्तरीय पुलिस यादगारी दिवस मनाया गया।
पुलिस के शहीदों को श्रद्धाँजलि भेंट करते हुये डायरैक्टर जनरल आफ पुलिस (डीजीपी) पंजाब गौरव यादव ने कहा कि पंजाब पुलिस का बहादुरी और बलिदान वाला गौरवमयी इतिहास है।
उन्होंने कहा कि फोर्स के सदस्यों ने देश की एकता को कायम रखने और नागरिकों को सुरक्षा देने के लिए अपनी जानें न्योछावर की दी थीं।
उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस ने सितम्बर 1981 से अब तक 1797 अधिकारियों, जिनमें इस साल शहीद हुए 3 मुलाज़िम भी शामिल हैं, के प्राणों की आहूति दी है।
देश की खातिर अपनी जानें न्योछावर करने वाले योद्धाओं को श्रद्धा-सुमन भेंट करने के उपरांत सभा को संबोधन करते हुये पंजाब पुलिस प्रमुख ने कहा कि इन शहीदों की वजह से ही हम सभी आज़ादी का गरिमा का आनंद ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस अपनी बहादुरी, दिलेरी और सफलतापूर्वक आतंकवाद के साथ निपटने के लिए जानी जाती है। उन्होंने कहा कि मातृ-भूमि को दुश्मनों से बचाने के लिए पंजाब पुलिस हमेशा अग्रणी रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस सरहदी राज्य में अमन-शान्ति और भाईचारक सांझ को बरकरार रखने के लिए लगातार मेहनत करती रहेगी।
पत्रकारों के साथ बातचीत करते डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की दूरदर्शी सोच अनुसार ‘सड़क सुरक्षा फोर्स’(ऐसऐसऐफ) नाम का प्रमुख प्रोजैकट जल्द ही शुरू हो जायेगा, जिससे न सिर्फ़ दुर्घटनाओं को घटा कर लोगों की कीमती जानें बचाने में मदद मिलेगी, बल्कि राज्य में यातायात को भी सुचारू बनाया जायेगा।
उन्होंने कहा कि एस. एस. एफ के 1500 पुलिस मुलाज़िम पहले ही सड़क सुरक्षा के लिए विशेष प्रशिक्षण ले रहे हैं और फोर्स के लिए 121 नये टोयटा हिलकस और 28 इंटरसेप्टर वाहन खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि यह वाहन हर 30 किलोमीटर पर तैनात किये जाएंगे और सड़क सुरक्षा को यकीनी बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
पंजाब पुलिस प्रमुख ने कहा कि पंजाब पुलिस ने नशा तस्करों/ बेचने वालों के विरुद्ध सख़्त रूख अपनाया हुआ है और जब तक राज्य में से नशो का पूरी तरह सफाया नहीं हो जाता तब तक पुलिस सक्रियता से ऐसीं कार्यवाहियां जारी रखेगी।
उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस ने पंजाब को नशा मुक्त राज्य बनाने के लिए ‘ इनफोरसमैंट’, ‘नशा मुक्ति’ और ‘रोकथाम’ की तीन आयामी रणनीति अपनाई है।
उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस की तरफ से नशों के विरुद्ध जन जागरूकता मुहिम भी चलाई गई है, जिसके हिस्से के तौर पर नौजवानों की ऊर्जा को सही दिशा की तरफ ले जाने के लिए हॉकी मैच, साईकलिंग, मैराथन, पेंटिंग आदि समेत कई मुकाबले करवाए जा रहे हैं।
डीजीपी ने कहा कि जहां नशा तस्करों के विरुद्ध सख़्त कार्यवाही की जा रही है, वहीं नशा पीड़ितों को उनके पुनर्वास के लिए नशा छुड़ाओ केन्द्रों में भेजा जा रहा है।
डीजीपी पंजाब गौरव यादव ने शहीदों के परिवारों को पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस की तरफ से पूर्ण सहयोग का भरोसा दिया। उन्होंने कहा, “हम अपने नायकों के बलिदानों को ज़ाया नहीं जाने देंगे। मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि पंजाब पुलिस सरहदी राज्य में शान्ति और सदभावना को यकीनी बनाने के लिए पूरी लगन और बहादुरी के साथ काम करती रहेगी।’’
घटना के बाद, डीजीपी ने शहीदों के परिवारों के साथ भी मुलाकात की और उनको हमदर्दी से सुना। उन्होंने पंजाब पुलिस की तरफ से उनको हर संभव मदद का भरोसा दिया।
इससे पहले 80वीं बटालियन नवजोत सिंह माहल द्वारा गैंगस्टरों के साथ लड़ते शहीद हुए पंजाब पुलिस के मनदीप सिंह, कुलदीप सिंह, परमिन्दर सिंह समेत इस साल के सभी 189 पुलिस शहीदों के नाम पढ़ कर सुनाए गए। इस दौरान दो मिनट का मौन रखा गया और बाद में सीनियर अधिकारियों ने शहादत स्मारक पर फूल मालाएं भी भेंट की।
इस मौके पर कैबिनेट मंत्री बलकार सिंह, कई ए. डी. जी. पीज़ और आई. जी. पीज़ और अन्य सीनियर पुलिस अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित थे।
पुलिस यादगारी दिवस का इतिहास
पुलिस यादगारी दिवस का इतिहास 21 अक्तूबर, 1959 के साथ जुड़ता है, जब एसआई करम सिंह के नेतृत्व वाली सी. आर. पी. एफ. की एक गश्त पार्टी, पर लद्दाख़ के हॉट सप्रिंगज़ में चीनी बलों द्वारा हमला किया गया था और 10 जवान शहीद हो गए थे।
यह दिवस 16,000 फुट की ऊँचाई पर अत्यंत सर्द स्थितियों और हर तरह के कठिनाईयों के विरुद्ध लड़ते हुए जवानों की बहादुरी, बलिदान, दुर्लभ हौसले का प्रतीक है।
इंडो-तिब्बतियन बार्डर पुलिस हर साल देश के सभी पुलिस बलों के एक प्रतिनिधि दल को हॉट सप्रिंगज़, लद्दाख़, शहीदों को श्रद्धाँजलि देने के लिए भेजती है, जिन्होंने 21 अक्तूबर, 1959 को राष्ट्रीय सरहदों की रक्षा करते हुए अपनी जानें कुर्बान की थी।
तब से हर साल 21 अक्तूबर को, सभी पुलिस यूनिटों में बहादुर पुलिस शहीदों के सम्मान के तौर पर श्रद्धाँजलि परेड की जाती है, जिन्होंने ड्यूटी के दौरान अपनी जानें कुर्बान की।
दिवंगत आत्माओं को श्रद्धाँजलि देने के लिए हथियार उल्टे किये जाते हैं और दो मिनट का मौन रखा जाता है।
राज्यों, पुलिस और अर्ध सैनिक बलों के पुलिस शहीदों के नाम उनके द्वारा दिये महान बलिदानों को सम्मान देते हुये पढ़े जाते हैं।
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