Prabhat Times
New Delhi नई दिल्ली। (canada pr for french speaking indian students) कनाडा में पढ़ने जाने वाले भारतीय छात्र परमानेंट रेजिडेंसी (PR) भी हासिल करना चाहते हैं।
PR के लिए आवेदन करते समय अंग्रेजी आना जरूरी होता है, क्योंकि इसके आधार पर ही प्वाइंट्स मिलते हैं।
हालांकि, इमिग्रेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर किसी भारतीय छात्र या वर्कर को PR चाहिए तो उसे एक और भाषा सीखनी चाहिए,
क्योंकि कनाडा इस वक्त द्विभाषी विदेशी नागरिकों को अपने यहां बसाने पर जोर दे रहा है। यहां जिस भाषा को सीखने की बात हो रही है, वह फ्रेंच है।
दरअसल, पिछले कुछ सालों से कनाडा ने फ्रैंकोफोन (फ्रेंच बोलने वाले लोग) आप्रवासियों को बसाने पर जोर दिया है।
खासतौर पर उन लोगों को, जो क्यूबेक प्रांत के बाहर बसना चाहते हैं। क्यूबेक की आधिकारिक भाषा फ्रेंच है।
इस वजह से विदेशी छात्रों के लिए फ्रेंच सीखना जरूरी हो गया है, क्योंकि इससे ना सिर्फ स्टूडेंट वीजा हासिल करने का चांस बढ़ जाता है, बल्कि परमानेंट रेजिडेंसी भी आसानी से मिल जाती है।
खासतौर पर उन लोगों को जिनका ‘पोस्ट-ग्रेजुएट वर्क परमिट’ (PGWP) एक्सपायर हो रहा है।
फ्रेंच भाषा आने पर PR आवेदन में मिलते हैं एक्स्ट्रा प्वाइंट्स
इमिग्रेशन कंसल्टेंट्स के मुताबिक, जिन लोगों को फ्रेंच आती है, उन्हें कनाडा सीधे PR दे रहा है। ये पहल 2028 तक जारी रहने वाली है।
अडवांस लेवल तक फ्रेंच सीखने से PR आवेदन में 63 प्वाइंट्स तक जुड़ जाते हैं।
हाल ही में PR के लिए ड्रॉ का भी ऐलान हुआ, जिसमें 7000 विदेशी छात्रों को परमानेंट रेजिडेंसी दी गई।
इनमें से ज्यादातर छात्र ऐसे थे, जो द्विभाषी थे। इन छात्रों को फ्रेंच भाषा अच्छी तरह से आती थी। 7000 लोगों को एक बार में परमानेंट रेजिडेंसी देना अपने आप में ही बड़ी बात है।
फ्रेंच भाषी लोगों की आबादी बढ़ाना चाहता है कनाडा
दरअसल, कनाडा का मकसद फ्रेंच बोलने वाले विदेशी लोगों की आबादी को क्यूबेक के बाहर 2026 तक 8 फीसदी करना है।
2023 तक क्यूबेक के बाहर फ्रेंच भाषी आबादी 6 फीसदी थी। इस तरह जिन भारतीय छात्रों को फ्रेंच भाषा आती है, उनके लिए कनाडा में ज्यादा अवसर हैं।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिन छात्रों का PGWP एक्सपायर होने वाला है, उनके लिए फ्रेंच सीखना जरूरी है,
क्योंकि उन्हें अन्य लोगों की तुलना में बढ़त मिलती है। फ्रेंच भाषी लोगों के लिए नौकरियों के अवसर बढ़ जाते हैं।
कनाडा की दो आधिकारिक भाषाएं हैं, जिसमें अंग्रेजी और फ्रेंच शामिल हैं।
कनाडाई सरकार ने द्विभाषी व्यक्तियों को आकर्षित करने पर विशेष जोर दिया है जो क्यूबेक के बाहर फ्रैंकोफोन अल्पसंख्यक समुदायों में घुल-मिल सकते हैं।
फ्रैंकोफोन अल्पसंख्यक समुदाय नोवा स्कोटिया, प्रिंस एडवर्ड आइलैंड और ओंटारियो जैसे प्रांतों में फैले हुए हैं।
फ्रेंच सीखने से, भारतीय छात्रों को फ्रैंकोफोन कम्युनिटी इमिग्रेशन प्रोग्राम (FMCSP) के तहत परमानेंट रेजिडेंसी मिल सकती है।
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