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Chandigarh चंडीगढ़। (Health of soil & people is our top priority) राज्य में पराली जलाने की गंभीर समस्या से निपटने और टिकाऊ कृषि प्रथाओं को प्रोत्साहित करने की दिशा में अहम कदम उठाया है।

पंजाब सरकार द्वारा फसली अवशेष प्रबंधन (सी.आर.एम.) के लिए एक व्यापक और महत्वाकांक्षी सूचना, शिक्षा और संचार (आई.ई.सी.) योजना की शुरुआत की गई है। यह घोषणा पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री स गुरमीत सिंह खुड्डियां ने की।

इस पहल के बारे में जानकारी साझा करते हुए स खुड्डियां ने कहा कि इस व्यापक अभियान का उद्देश्य राज्य के समुदायों, विद्यार्थियों और किसानों को सीधे तौर पर शामिल करना है ताकि पर्यावरण–अनुकूल प्रथाओं की ओर व्यवहारिक बदलाव लाया जा सके और टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहित किया जा सके।

कृषि मंत्री ने बताया कि बहु–आयामी आई.ई.सी. रणनीति में अधिकतम पहुँच और प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए तैयार की गई गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है।

उन्होंने बताया कि जानकारी को प्रभावी ढंग से प्रसारित करने के लिए विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में सूचना–सम्पन्न संदेश प्रसारित करने हेतु 50 समर्पित प्रचार वैनें तैनात की जाएँगी।

इसके अतिरिक्त, सांस्कृतिक ढंग से संदेश पहुँचाने के लिए 444 ‘नुक्कड़ नाटक’ आयोजित किए जाएँगे।

उन्होंने आगे बताया कि फसली अवशेष प्रबंधन (सी.आर.एम.) के लाभ और धान की पराली जलाने के नकारात्मक प्रभावों को उजागर करने के लिए पूरे राज्य में 12,500 सूचना–सम्पन्न दीवार चित्र बनाए जाएँगे।

स गुरमीत सिंह खुड्डियां ने कहा कि किसानों को फसली अवशेष प्रबंधन (सी.आर.एम.) के बारे में जानकारी, विशेषज्ञों की सलाह और सरकारी योजनाओं तक सीधी पहुँच प्रदान करने के लिए 3,333 गाँव–स्तरीय शिविर और 296 ब्लॉक–स्तरीय शिविर लगाए जाएँगे, जिससे उन्हें टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के लिए जागरूक किया जा सकेगा।

इसके अलावा, प्रत्येक परिवार तक व्यक्तिगत रूप से संदेश पहुँचाने के लिए 148 आशा वर्करों को गाँवों में घर–घर जागरूकता अभियान चलाने के लिए लामबंद किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि स्कूली विद्यार्थियों में छोटी उम्र से ही पर्यावरण चेतना विकसित करने के लिए उन्हें निबंध लेखन, पेंटिंग और विचार–विमर्श प्रतियोगिताओं में शामिल किया जाएगा।

स खुड्डियां ने कहा, “हमारी मिट्टी और हमारे लोगों का स्वास्थ्य हमारी प्रमुख प्राथमिकता है। इस वर्ष, हम केवल मशीनरी प्रदान करने पर ही ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं, बल्कि अपने किसान समुदाय के दिलों और दिमागों को जीतने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

यह व्यापक जनसंपर्क कार्यक्रम पराली जलाने के विरुद्ध एक ‘जन–आंदोलन’ है। हम सीधे जमीनी स्तर पर गाँवों, स्कूलों और घरों तक पहुँच बना रहे हैं ताकि हमारे किसानों को फसली अवशेष प्रबंधन में आगे आने के लिए शिक्षित, सशक्त और प्रेरित किया जा सके। हमारा लक्ष्य आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, हरित और स्वस्थ पंजाब सुनिश्चित करना है।”

उन्होंने आगे कहा कि यह अभियान मुख्यमंत्री स भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की वायु प्रदूषण की चुनौती से निपटने की दृढ़ प्रतिबद्धता को उजागर करता है।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. बसंत गर्ग ने कहा कि वर्ष 2018-19 से अब तक राज्य के किसानों को कुल 1.58 लाख फसली अवशेष प्रबंधन मशीनें प्रदान की जा चुकी हैं।

उन्होंने आशा व्यक्त की कि सामुदायिक भागीदारी और कृषि क्षेत्र के मशीनीकरण के साथ इस सीजन में पराली जलाने की घटनाओं में बड़े पैमाने पर कमी आएगी।

 

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