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6 साल पहले एचएमईएल से जुडकर किया सैल्फ हैल्प ग्रुप शुरू, 11 लाख का रोजगार कमा बनी लाखपति दीदी,

गांव की महिलाओं को भी दी स्वरोजागर की ट्रेनिंग राष्ट्रीय आजीविका शिखर सम्मेलन में पक्का कलां गांव की रुपिंदर कौर ने साझा किया प्रेरणादायक सफर

Bathinda बठिंडा। (hmel self help group rupinder kaur village pakka kalan) एक्सेस डेवलपमेंट ने नीति आयोग के सहयोग से नई दिल्ली में एक आजीविका शिखर सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में सैल्फ हैल्प ग्रुप के माध्यम से जुडकर परिवर्तनकारी आजीविका पहलों पर चर्चा की गई।

इस दौरान इस सम्मेलन में देश भर से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रेरणादायक उदाहरण बनी उन लखपति दीदियों को आमंत्रित किया गया

जिनके प्रयास न केवल दूसरों के लिए एक मार्गदर्शन साबित हुए बल्कि उनकी तरफ से सांझा की गई अपनी सफलता की कहानियों को सुनकर एक नया आत्मविश्वास भी पैदा हुआ।

इस आजीविका शिखिर सम्मेलन में बठिंडा के गांव पक्का कलां में एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड गुरू गोबिंद सिंह रिफाइनरी की सहायता से शुरू किए गए सैल्फ हैल्प ग्रुप सदस्य रूपिंद्र कौर को भी एक विशिष्ट वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया।

एचएमईएल एसएचजी समूह के लिए गर्व का क्षण रहा जब गांव पक्का कलां की श्रीमती रुपिंदर कौर नेे ‘‘लखपति दीदी‘‘ कार्यक्रम के तहत अपनी प्रेरणादायक यात्रा साझा की।

उनकी आत्मनिर्भरता और आर्थिक सशक्तिकरण की कहानी देशभर की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी।

इस शिखर सम्मेलन ने सतत आजीविका मॉडल पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया गया था, जिसमें महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने पर जोर दिया गया।

रुपिंदर कौर की यात्रा इस बात का प्रमाण है कि स्वयं सहायता समूह और संगठित योजनाएं ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाकर उन्हें आर्थिक स्थिरता और सफलता प्राप्त करने में कैसे सहायक हो सकती हैं।

एचएमईएल इस दिशा में लंबे समय से काम कर रहा है, जिसकी बदौलत गुरू गोबिंद सिंह रिफाइनरी के आसपास के करीग 59 गांव में 491 से ज्यादा सैल्फ हैल्प ग्रुप बनाकर उनके जरिए ग्रामीण क्षेत्रों की 5 हजार से ज्यादा महिलाओं को विभिन्न तरह के रोजगार के काबिल बनाया गया। गांव पक्का कलां की रूपिंद्र कौर भी इनमें से एक है।

6 साल पहले गांव में शुरू किया प्रयास, कई महिलाओं को बनाया रोजगार के काबिल

पक्का कलां की रूपिंद्र कौर 2018 में एचएमईएल से जुडी व गांव की महिलाओं को एकत्रित कर उसने ज्ञयान सैल्फ हैल्प ग्रुप बनाया।

एचएमईएल ने टरेनिंग के बाद इन्हें बैग स्टिचिंग यूनिट मुहैया करवाया। रूपिंद्र कौर ने बताया कि ग्रुप ने अभी काम करना शुरू ही किया था कि 2020 में कोविड आ गया, मगर उन्होंने हौसला नहीं हारा।

एचएमईएल ने सरकारी स्कूलों में बांटे जाने वाले निशुल्क बैग बनाने का उन्हें आर्डर दिया, जिससे उसका हौंसला बढा।

इसके बाद उन्होंने पीछे मुडकर नहीं देखा। अब रूपिंद्र कौर व उनका ग्रुप अब तक 11 लाख रूपये की सेविंग बैग स्टिचिंग से कर चुकी हैं। पंजाब सहित हरियाणा में भी इसके बैग की डिमांड है।

यही नहीं एचआईएच के कहने पर रूपिंद्र ने अपने गांव की अन्य महिलाओं को भी बैग बनाने की टेरिंग दी व उन्हें भी आत्मनिर्भर होने में मदद की।

इससे इसके गांव में अब बैग स्टिचिंग के 4 ग्रुप बन चुके है, जिसमें 40 से ज्यादा महिलाएं यह कारोबार कर रही हैं।

रूपिंद्र कहती है कि मासिक 15 हजार रूपये आय हर सदस्य को हो रही है, जिससे उनके बच्चे अब बच्चे स्कूल में पढ रहे है व परिवार का खर्च चलाने में पति का भी सहयोग कर रही है।

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