Prabhat Times
New Delhi नई दिल्ली। (election commission major changes six month) चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी, सरल बनाने के लिए चुनाव आयोग द्वारा बड़े बदलाव किए जा रहे हैं।
चुनाव आयोग ने कई ऐसे बदलाव किए हैं, जिनसे आयोग ने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता, सरलता और सटीकता बढ़ाने की पहल की है.
यही कारण है कि आयोग वोटिंग से लेकर काउंटिंग प्रक्रिया में कई तरह के बदलाव कर रहा है. पिछले 6 महीनों की बात की जाए तो चुनाव आयोग ने बड़े बदलाव किए हैं.
गुरुवार को चुनाव आयोग ने वोटों की गिनती के नियमों में बदलाव किया. इस बदलाव के बाद अब पोस्टल बैलट की गिनती पूरी होने के बाद ही EVM काउंटिंग शुरू की जाएगी. इसके साथ ही अगर बैलेट ज्यादा हैं तो काउंटिंग टेबल बढ़ाई जाएंगी.
इस बदलाव से पहले बैलेट की गिनती सुबह 8:00 बजे शुरू होती है, जबकि EVM काउंटिंग 8:30 बजे की जाती है. हालांकि अब ऐसा नहीं होगा. आयोग की तरफ से साफ किया गया कि जब बैलेट की गिनती पूरी नहीं हो जाती है किसी भी हालत में EVM न खोले जाएं.
चुनाव आयोग ने किए ये बड़े बदलाव
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पोलिंग स्टेशन पर अब वोटर अपना मोबाइल जमा कर सकता है. मोबाइल जमा करने के लिए आयोग की तरफ से नई व्यवस्था की गई है.
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नए बदलाव के मुताबिक एक मतदान केंद्र पर अधिकतम 1200 वोटर ही रहेंगे. ऐसा करने से पोलिंग पर ज्यादा भीड़ नहीं होगी. इसके साथ ही लोगों को वोट देने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.
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चुनाव में खड़े प्रत्याशी अब पोलिंग स्टेशन से 100 मीटर दूर अपनी टेबल लगा सकते हैं.
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ईवीएम में प्रत्याशी की फोटो अब कलर्ड रखी जाएगी. इसके साथ ही प्रत्याशी और उसके दल का नाम बड़े अक्षरों में लिखा जाएगा. ताकि लोगों को पढ़ने में आसानी हो. अब तक फोटो को ब्लैक एंड व्हाइट रखा जाता था.
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आयोग ने मतदाता सूचना पर्ची (VIS) का डिजाइन बदल दिया है. इसमें अब मतदाता संख्या और भाग संख्या को प्रमुखता से दिखाया गया है.
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चुनाव आयोग ने पिछले 6 महीनों के भीतर 4 राज्यों में वोटर लिस्ट को अपडेट किया है.
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बीएलओ के लिए पहचान पत्र जारी किया जाएगा. इसमें उसकी फोटो के साथ-साथ नाम और अन्य जानकारी रहेगी.
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चुनाव आयोग ने अब तक 808 रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों को आरयूपीपी लिस्ट से हटाया है. हालांकि इन दलों के पास राजनीतिक दलों की मान्यता नहीं थी.
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तकनीकी और प्रशासनिक एसओपी के तहत रिजल्ट की घोषणा के बाद EVM की मेमोरी चिप और माइक्रोकंट्रोलर की जांच और सत्यापन के लिए प्रक्रिया में बदलाव किया गया है.
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चुनाव परिणाम में फॉर्म 17 C और EVM का डेटा एक जैसा नहीं पाया जाता है. तो VVPAT की गिनती की जाएगी.
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चुनाव आयोग ने बिहार में SIR के जरिए अवैध नाम हटाएं हैं. इसके साथ ही नए नामों को भी जोड़ा गया है.
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चुनाव कानून के अनुसार आयोग ने 28 हितधारकों की भूमिका तय की है.
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आयोग ने चुनाव में शामिल होने वाले कर्मचारी बीएलओ, सुपरवाईजर, पोलिंग स्टाफ की सैलरी बढ़ा दी है.
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चुनाव आयोग ने मतदाताओं की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ECINET पोर्टल जारी किया है. इसमें 40 से ज्यादा ऐप्स और वेबसाइट्स एक ही जगह पर मौजूद हैं. इससे मतदाताओं को जानकारी हासिल करने में आसानी होगी.
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चुनाव परिणाम के दिन अब हर 2 घंटे में रियल टाइम वोटर टर्न आउट ECINET पोर्टल पर जारी किया जाएगा.
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मतदान केंद्र पर अब लाइव प्रसारण किया जाएगा. इसमें वोटिंग संबंधित सभी जानकारी दिखाई जाएगी.
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आम जनता की चुनावी डेटा पर पहुंच आसान करने के लिए डिजिटल इंडेक्स कार्ड और रिपोर्ट में सुधार किया गया है.
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अब यूनिक EPIC के जरिए दो बार मौजूद नंबरों को हटाया गया है
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चुनाव के समय जिन वोटरों की मौत हुई है. उसकी जानकारी बीएलओ और ईआरओ के पास मौजूद रहेगी.
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अब पहले के मुकाबले कम समय में EPIC जारी किया जाएगा. वोटर को 15 दिन में मैसेज के जरिए इसकी जानकारी दी जाएगी.
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चुनाव आयोग ने देशभर में 28 हजार पार्टी के नेताओं के साथ लगभग 5 हजार सर्वदलीय बैठक की हैं. इनमें राष्ट्रीय और राज्य लेवल के नेताओं की 20 बैठकें आयोजित की गई हैं.
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कानूनी सलाहकार और CEOs के साथ नेशनल लेवल पर बैठक कर बातचीत की गई.
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देश भर में 7 हजार से ज्यादा बीएलओ और पर्यवेक्षकों को अलग-अलग ट्रेनिंग सेशन रखे गए. इनको आने वाले चुनावों को लेकर ट्रेन किया गया है.
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आयोग की तरफ से मीडिया कोऑर्डिनेटर को स्पेशल ट्रेनिंग सेशन रखा गया. इसमें उन्हें हर एक छोटी बड़ी डिटेल बताई गई.
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बिहार में पुलिस अधिकारियों को स्पेशल ट्रेनिंग दी गई. ताकि चुनाव के दौरान आने वाली किसी भी समस्या से निपटा जा सके.
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आयोग ने पहले के मुकाबले अब अपने बायोमेट्रिक, ई-ऑफिस जैसे सिस्टम में सुधार किया गया है. इनको पहले से आसान बनाया गया है.
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देश के 3 राज्य बिहार, तमिलनाडु, पुडुचेरी में BLAs को वोटर लिस्ट तैयार करना सिखाया गया है.
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बैलेट पेपर की गिनती पूरी हो जाने के बाद ही ईवीएम खोली जाएंगी. जब तक बैलेट की गिनती पूरी नहीं होगी तब तक EVM नहीं खोली जाएंगी.
चुनाव आयोग ने ये बदलाव पिछले महीनों के भीतर किए हैं. इसके पीछे की वजह मतदाता को आसानी और हर तरफ से उठ रहे सवालों को कम करना है.
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