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Jalandhar जालंधर। (After PM Modi’s visit, BJP sparked revolt in Jalandhar)  लोकसभा चुनावों में एकजुटता से चुनाव लड़ने का दम भर रही भारतीय जनता पार्टी में सब ठीक नहीं लग रहा।

बेशक कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जालंधर दौरे से कार्यकर्ताओं में नए जोश का संचार हुआ है, लेकिन सही हालात ये हैं कि जालंधर भाजपा में मतदान से ठीक एक सप्ताह पहले खींचतान, लैग पुलिंग सामने आ गई है।

एकुजटता और अनुशासन का दम भरने वाली भाजपा मे अब विद्रोह की चिंगारी सुलगने लगी है।

पीएम दौरे के बाद भाजपा के नेताओं में लैग पुलिंग की राजनीति सार्वजनिक हो गई है।

जिस तरीके से पदाधिकारियों में विद्रोह के जोश का संचार हुआ है, ऐसी स्थिति में बड़ा सवाल ये है कि भारतीय जनता पार्टी ऐसे कैसे चुनाव जीतेगी।

वैसे तो चर्चा है कि जालंधर भाजपा के वरिष्ठ नेताओ को सुशील रिंकू की पैराशूट ऐंटरी रास नहीं आ रही, लेकिन कोई ऑप्शन न होने के कारण कथित मजबूरी में वे काम तो कर रहे हैं, लेकिन उतने जोश से नहीं जितने जोश से विधानसभा या पार्षद चुनावों में करते हैं।

ऐसी स्थिति में भाजपा को विपक्ष की बजाए भाजपा से ही नुकसान होता नज़र आ रहा है।

जालंधर भाजपा की ‘मिस-मैनेजमेंट’ या सोची समझी ‘मैनेजमेंट’

पीएम नरेंद्र मोदी के दौरान का जालंधर में भाजपा को कुछ खास फायदा नहीं मिलने वाला क्योंकि पीएम दौरे के दौरान जिला भाजपा की कथित मैनेजमेंट के कारण भाजपा का कई नेता बीती शाम से ही नाराज हैं।

अब ये जिला भाजपा के नेताओँ की मिस मैनेजमेंट है या फिर सोची समझी मैनेजमेंट, इसका जवाब तो उन्ही के पास हो सकता है।

सूत्रों ने बताया कि पीएम मोदी के दौरे से पहले जिला भाजपा और वरिष्ठ नेताओं द्वारा मोदी को रिसीव करने, बैक स्टेज, स्टेज पर या फिर वापसी पर हैलीपेड पर मिलने वाले नेताओं की लिस्ट तैयार की।

अति सुविज्ञ सूत्रों ने बताया कि विवाद तब शुरु हुआ जब पहली लिस्ट में प्रदेश स्तर के एक वरिष्ठ नेता के करीबी सैल प्रधान का नाम डाला गया।

सूत्रों ने बताया कि भाजपा के अन्य सेलों प्रधान और पदाधिकारियों ने इस बात पर एतराज जताया कि वे सभी भी सेल प्रधान है, पदाधिकारी हैं तो उन्हें क्यों इग्नौर किया गया है।

इसी बीच पहली लिस्ट में भाजपा जॉइन करने वाले शीतल अंगुराल द्वारा दी गई लिस्ट को भी नज़रअंदाज़ किया गया। जब विवाद बढ़ा तो मामला हाईकमान तक पहुंच गया।

इसी उठापटक के बीच लिस्ट बदल दी गई। कई नाम एड कर लिए गए। लेकिन इसके बावजूद फिर राजनीति शुरू हो गई।

सूत्रों ने बताया कि जिला भाजपा द्वारा पहली लिस्ट प्रशासनिक अधिकारियों को सौंप दी गई, जिस कारण जिन नेताओँ को नाम एड किए गए, उन्हें रैली स्थल पर पहुंचने में काफी परेशानी झेलनी पड़ी।

एक और बड़ा तथ्य ये सामने आया है कि जिला भाजपा द्वारा फाइनल की गई लिस्ट में से भी लगभग 80 प्रतिशत नेता रेली स्थल पर नहीं पहुंचे।

मोनू पुरी की फेसबुक पोस्ट ने मचाई खलबली

पीएम नरेन्द्र मोदी की जालंधर रैली के बाद आज सुबह ही भारतीय जनता पार्टी के नेता मोनू पुरी मुकेश ने फेसबुक पर पोस्ट शेयर की है।

मोनू पुरी ने लिखा है कि ”जिस किसी के पास बीजेपी पार्टी की जिम्मेवारी है, अगर इस इलेक्शन में अपना बूथ नहीं जीतवा सकता वो कितने भी बड़े पद पर हो उसको उस पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए आप सब की क्या राय है…”

मोनू पुरी की इस पोस्ट से भाजपा मे खलबली मच गई है।

भाजपा सूत्रों के मुताबिक ऐसे कई नेताओं की लिस्ट तैयार की जा रही है, जिनके अपने बूथ में कभी भाजपा नहीं जीती।

सूत्रों की मानें तो इनमें जालंधर के फ्रेंडज़ कालोनी, करतारपुर, करतारपुर देहाती, जालंधर कैंट, शहीद उधम सिंह नगर, चंदन नगर समेत कई विधानसभा हल्कों में ईलाकों के नेताओँ के नाम शामिल हैं।

इसका कारण ये है कि आज भी भारतीय जनता पार्टी में कई सेल और कई महत्त्वपूर्ण पदों पर अपने आकाओं की मेहरबानी से कई ऐसे नेता विराजमान है, जो पिछले चुनावों में अपना बूथ तक नहीं जीत पाए।

केंट के पदाधिकारी भी नाराज

सूत्रों कि मानें तो जिला भाजपा की कथित मैनेजमेंट के कारण जालंधर केंट के पदाधिकारी भी नाराज हैं।

पता चला है कि उक्त पदाधिकारियों द्वारा रैली में सैंकड़ो समर्थनक इकट्ठे किए. लेकिन जब वे रैली में पहुंचे तो उन्हें अंदर नहीं जाने दिया, हालांकि लिस्ट में उनका भी नाम था।

इंडस्ट्रीलिस्ट भी हुए परेशान

जालंधर के कई उद्योगपति, बिल्डरों को पीएम मोदी से मिलवाने का प्लान था। लिस्ट तैयार हुई।

मिस मेनेजमेंट ये रही कि जो उद्योगपति रैली स्थल के पास पहुंचे तो कई उद्योगपतियों को प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कहा गया कि उनका नाम लिस्ट में नहीं है।

काफी जद्दोजहद के पश्चात उद्योगपति पीएम से मिल पाए।

शीतल अंगुराल ने भी जताया एतराज

चर्चा है कि पहली लिस्ट में भाजपा जॉइन करने वाले शीतल अंगुराल द्वारा दी गई लिस्ट तक को वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने तवज्जो नहीं दी।

इस बात को लेकर भाजपा में विवाद शुरू हो गया। ये मामला हाईकमान तक पहुंच गया। सूत्रों की मानें तो पीएम दौरे से ठीक एक रात पहले सारी लिस्ट ही बदल दी गई।

लिस्ट में शीतल अंगुराल द्वारा दिए गए नामों के साथ-साथ पहली लिस्ट में इग्नौर किए गए कई डिजर्विंग नेताओँ को नाम डाले गए।

ऐसे कैसे जीतेगी भाजपा?

बेशक सुशील रिंकू की जीत के लिए शीतल अंगुराल उनकी टीम दिन रात एक किए हुए है, लेकिन  राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि कहीं न कहीं पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा ईग्नौर किया जा रहा पार्टी के एक काडर में पीएम मोदी के विजय रथ को खींचने का जोश नज़र नहीं आ रहा।

चर्चा तो यहां तक छिड़ चुकी है कि जिला भाजपा के कुछ पदाधिकारियो की इस अंदरूनी राजनीति के कारण पहले भी दो बार चुनाव भाजपा हार चुकी है।

भाजपा का मुकाबला विपक्ष से तो है ही, लेकिन भाजपा को नुकसान भाजपा से ही होगा, ये कहना गल्त न होगा।

 

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