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Ayodhya अयोध्या(ramayana interesting facts how 1000 km long setu had made in just 5 days) अयोध्या में भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूजन विधि शुरू हो गई है।

सबसे पहले यजमान की ओर से प्रायश्चित समारोह का संचालन किया जाएगा।

इस समारोह में यजमानों की ओर से सरयू नदी के तट पर दशविध स्नान, विष्णु पूजा और गाय का तर्पण किया जाता है।

दशविध स्नान में सभी पांच तत्व- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश को देव प्रतिमा में प्रतिष्ठित किया जाता है।

17 जनवरी को रामलला की मूर्ति लेकर जुलूस अयोध्या पहुंचेगा। इस दौरान भव्य यात्रा निकलेगी। श्रद्धालु कलश में सरयू का जल लेकर राममंदिर पहुंचेंगे।

18 जनवरी को गर्भगृह में रामलला की प्रतिमा को स्थापित किया जाएगा। इस दौरान गणेश अंबिका पूजा, वरुण पूजा, मातृका पूजा, ब्राह्मण वरण और वास्तु पूजा की जाएगी।

आम तौर पर प्राण प्रतिष्ठा समारोहों में सात अधिवास (अनुष्ठान) होते हैं और कम से कम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं।

लेकिन राम मंदिर अनुष्ठानों का संचालन करने वाले 121 आचार्य होंगे। श्री गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ जी देखरेख, समन्वय और एंकरिंग करेंगे। अनुष्ठान की सभी प्रक्रिया का निर्देशन और प्रमुख आचार्य काशी के लक्ष्मीकांत दीक्षित होंगे।”

जाने रोचक तथ्य

हिंदू धर्म की सबसे पवित्र महाग्रंथ महार्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में सभी बातों का उल्लेख विस्तार में किया गया है.

इसके अलावा इस महाग्रंथ में कई ऐसे रोचक तथ्यों के बारे में उल्लेख है जिसके बारे में शायद ही लोग जानते होंगे. आज इन्हीं रोचक घटनाओं और उनसे जुड़े तथ्यों के बारे में विस्तार में जानेंगे.

जानें राम-लक्ष्मण थे किसके अवतार

बता दें कि द्वापर युग के रामायण में प्रभु श्री राम और उनके भाई लक्ष्मण किसी और के नहीं बल्कि बैंकुठ धाम के निवासी भगवान विष्णु और शेषनाग के ही अवतार थें.

राम सेतु को बनाने में लगा था कितना समय

14 वर्ष के वनवास के दौरान रावण छल से माता सीता को हरण कर लंका ले गए थे. जिसके बाद प्रभु श्री राम ने रावण से युद्ध करने के लिए अपनी एक सेना तैयार की थी.

इस दौरान प्रभु श्री राम नल और नील के माध्यम से विश्व का पहला सेतु बनाया था, जो समुद्र के ऊपर था.

इस सेतु को बनाने में कुल पांच दिन का समय लगा था. बता दें कि यह सेतु 100 योजन लंबा और 10 योजन चौड़ा था. दरअसल 1 योजन 13 किलोमिटर के बराबर माना जाता है.

प्रभु श्री राम को नहीं माना जाता पूर्ण

प्रभु श्री राम के अवतार को पूर्ण अवतार के रूप में नहीं माना जाता है.

दरअसल श्री राम 14 कलाओं में पारंगत थे और वहीं भगवान श्री कृष्ण 16 कलाओं में पारंगत थे.

ऐसा इसलिए क्योंकि रावण को कोई भगवान नहीं मार सकता था बल्कि उसका वध करने वाले कोई मनुष्य नहीं हो सकता था.

14 वर्ष के वनवास के दौरान नहीं सोए थे लक्ष्मण

बता दें कि 14 वर्ष के वनवास के दौरान प्रभु श्री राम की परछाई माने जाने वाले लक्ष्मण पूरे 14 साल तक माता सीता और प्रभु श्री राम की रक्षा के लिए बिल्कुल सोए ही नहीं थे.

इंद्र देवता ने दिया था अपना रथ

बता दें कि राम रावण युद्ध के दौरान प्रभु श्री राम को इंद्र देव ने अपना रथ दिया था. इसी रथ पर बैठकर प्रभु श्री राम ने रावण से युद्ध किया जिसमें उन्हें विजय हासिल हुई.

 

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