Prabhat Times
New Delhi नई दिल्ली। (punjab politics congress rahul gandhi report many questions on raja warring) पंजाब विधानसभा चुनावों के बाद से ही प्रदेश कांग्रेस के भीतर अंदरूनी कलह और गुटबाजी की खबरें सामने आती रही हैं.
कई बार ये अंदरूनी कलह जनता के सामने भी आई, जिसके कारण पार्टी की छवि खराब हुई है.
पिछले कुछ समय से पंजाब कांग्रेस की इन कलहों पर आलाकमान ने ध्यान देना शुरू किया, और एक अपने स्तर एक रिपोर्ट मांगी थी.
केंद्रीय आलाकमान ने लगातार राज्य के नेताओं की शिकायतें सुनने के बाद और आप से रिश्तों के भविष्य को लेकर स्वतः संज्ञान लेकर अपने स्तर से मांगी थी, जो उसको सौंप दी गयी है.
कांग्रेस आलाकमान के करीबी सूत्रों के मुताबिक पंजाब कांग्रेस को लेकर मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल को सौंपी गई.
यह जो रिपोर्ट सौंपी गई इससे सियासी हलचल मचना तय है. ये रिपोर्ट पंजाब कांग्रेस में भूचाल ला सकती है.
रिपोर्ट मिलने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी आलाकमान अब नए नवेले प्रभारी महासचिव भूपेश बघेल के साथ बैठक कर, कई फैसले ले सकता है.
इस रिपोर्ट में सांसद और प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह उर्फ राजा वडिंग की कार्यशैली पर गंभीर आरोप हैं. TV9 के पास इस रिपोर्ट की एक्सक्लुसिव जानकारी मौजूद है.
रिपोर्ट के अहम मुद्दे
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राज्य के वरिष्ठ नेताओं में आपस में तालमेल बिल्कुल नहीं है. प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह उर्फ राजा वडिंग की कार्यशैली भी पूरी तरह एकला चलो वाली है.
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आम आदमी पार्टी की सरकार बने 3 साल हो चुके हैं, लेकिन बतौर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने किसी बड़े मुद्दे को लंबे वक्त के लिए उठाकर बड़ा धरना प्रदर्शन नहीं किया. ऐसा लगता है कि, प्रदेश संगठन भगवंत सरकार से सीधी सियासी लड़ाई लड़ने से बचता आया है. ये मुख्य विपक्षी दल होने के नाते पार्टी के लिए नुकसानदेह है.
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प्रदेश अध्यक्ष पूर्व प्रभारी से मिलकर अपने चहेतों को कार्यकारी जिलाध्यक्ष के तौर पर लगातार नियुक्ति करते रहे, क्योंकि जिलाध्यक्ष की नियुक्ति एआईसीसी से होती है. ये अनुशासनहीनता का गंभीर मामला है.
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विधानसभा के उपचुनावों में बाकी सीटों को दरकिनार कर प्रदेश अध्यक्ष अपनी पत्नी के चुनाव में ही ज़्यादातर समय व्यस्त रहे, जिसके कारण नतीजे पार्टी के लिए अच्छे नहीं रहे हैं.
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हालिया कारपोरेशन चुनावों में प्रदेश में चुनाव समिति का गठन हुआ, लेकिन उसकी एक भी बैठक नहीं हुई. टिकट बंटवारे में कोई नियम कायदा न बनाकर मनमर्जी की गई. चुनावों के नतीजे पार्टी के लिए खासे निराशाजनक हैं.
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कॉर्पोरेशन चुनाव में बिना एआईसीसी को बताए फगवाड़ा में बीएसपी से गठबन्धन कर लिया गया.
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एक वक्त कांग्रेस छोड़कर खासकर आप या बीजेपी गए नेताओं की घरवापसी के मसले पर भी प्रदेश संगठन ने किसी नियम कायदे के बजाय अपने चहेतों को तरजीह दी, विरोधियों के करीबियों को नो एंट्री.
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