Prabhat Times
Jalandhar जालंधर। (NHS hospital jalandhar dr sahil sareen) सोचिए एक थकान भरे दिन के बाद जब आप सोने जाएं, तो अचानक सांस की तकलीफ के कारण नींद से जाग जाएं।
ऑर्थोप्निया से पीड़ित मरीज़ों के लिए ये एक बार की नहीं, बल्कि हर रात की परेशानी है। लेकिन अब एन.एच.एस अस्पताल, जालंधर में डॉ. साहिल सरीन (DM, कार्डियोलॉजी) और आधुनिक कार्डियक केयर की बदौलत इन मरीज़ों को राहत मिलने लगी है।
ऑर्थोप्निया क्या है? केवल सांस की समस्या नहीं, दिल की चेतावनी है
ऑर्थोप्निया का मतलब है – जब कोई इंसान लेटता है, तो उसे सांस लेने में तकलीफ होती है। कई बार लोग इसे सामान्य थकान या बढ़ती उम्र का असर समझते हैं, लेकिन यह अक्सर दिल की बीमारी का संकेत होता है, खासकर जब दिल का बायां हिस्सा ठीक से काम नहीं करता।
ऐसे में दिल खून को ठीक से पंप नहीं कर पाता, जिससे फेफड़ों में पानी भरने लगता है और लेटते समय सांस फूलने लगती है।
डॉ. साहिल सरीन कहते हैं,
“ऑर्थोप्निया कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि दिल संघर्ष कर रहा है। समय पर जांच और इलाज से मरीज़ की ज़िंदगी बचाई जा सकती है।”
एन.एच.एस अस्पताल: दिल के मरीज़ों के लिए आशा की किरण
डॉ. साहिल सरीन की अगुवाई में एन.एच.एस अस्पताल में हार्ट फेल्योर और दूसरी दिल की बीमारियों की जांच और इलाज में जबरदस्त सुधार हुआ है।
कार्डियोलॉजी में 10 साल से ज़्यादा अनुभव रखने वाले डॉ. सरीन, हार्ट फेल्योर मैनेजमेंट में विशेषज्ञ हैं।
यहां पर न सिर्फ अत्याधुनिक इलाज उपलब्ध है, बल्कि एक 3D कैथ लैब जैसी नई तकनीक भी है जो दिल की बीमारियों की जांच में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है।
3D कैथ लैब: सटीक जांच और तेज़ इलाज
एन.एच.एस अस्पताल की 3D कैथ लैब एक नई और उन्नत तकनीक है, जो दिल की बीमारी का सही और जल्दी पता लगाने में मदद करती है।
इस लैब की मदद से डॉक्टर दिल और उसकी नसों की 3D यानी तीन-तरफा तस्वीरें देख सकते हैं।
डॉ. साहिल सरीन कहते हैं, “पहले हम सिर्फ सपाट यानी 2D तस्वीरें देखते थे, लेकिन अब 3D तकनीक से हम दिल को हर तरफ से घुमा कर देख सकते हैं, और वो भी लाइव।”
इससे दिल की नसों में रुकावट और हार्ट फेल होने की स्थिति का इलाज और जांच बहुत आसानी से हो पाता है।
डॉक्टर अब खून के बहाव, दबाव और दिल की काम करने की क्षमता को तुरंत देखकर सही इलाज तय कर सकते हैं।
एक सच्ची कहानी: दो महीने की परेशानी का अंत
एन.एच.एस अस्पताल की एक हाल की सफलता की कहानी हॉस्पिटल की बेहतरीन सुविधाओं को साबित करती है।
इसमें फगवाड़ा के 62 साल के एक मरीज की बात है, जो करीब दो महीने से गंभीर सांस लेने की दिक्कत (ऑर्थोप्निया) की वजह से रातों को सो नहीं पा रहे थे।
कई लोकल क्लीनिकों में इलाज करवाने के बाद भी उनकी बीमारी का सही पता नहीं चल पाया।
जब वे एनएचएस हॉस्पिटल पहुंचे, तो डॉ. साहिल सरीन की देखरेख में उनका पूरा चेकअप किया गया।
3डी कैथ लैब की मदद से डॉक्टरों ने दिल की नसों में खतरनाक ब्लॉकेज पाए और इको टेस्ट से पता चला कि दिल की पंपिंग भी कमजोर हो चुकी थी।
इसके बाद मरीज की बिना चीरे वाली (मिनिमली इनवेसिव) एंजियोप्लास्टी की गई और दवाइयों से धीरे-धीरे खुलने वाले स्टेंट लगाए गए।
इलाज के तुरंत बाद दिल की पंपिंग में सुधार आया और मरीज को सांस की तकलीफ से राहत मिली। महीनों बाद वह आराम से सो पाए।
डॉ. सरीन कहते हैं, “ऐसे केस यह दिखाते हैं कि सही समय पर की गई जांच, आधुनिक तकनीक और अनुभव मिलकर जान बचा सकते हैं।”
इलाज ही नहीं, जागरूकता भी एन.एच.एस की प्राथमिकता
अस्पताल सिर्फ इलाज ही नहीं, बल्कि लोगों को शिक्षित करने पर भी ज़ोर देता है। बहुत से लोग ऑर्थोप्निया को सामान्य बुज़ुर्गी या सांस की बीमारी समझ बैठते हैं।
एन.एच.एस अस्पताल में डॉ. सरीन की अगुवाई में फ्री हार्ट चेकअप कैंप, सेमिनार, और जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि लोग समय रहते लक्षण पहचानें और जांच कराएं।
डॉ. सरीन सलाह देते हैं,
“जितनी जल्दी इलाज शुरू हो, उतना ही बेहतर नतीजा मिलता है। अगर किसी को सोते समय कई तकियों की जरूरत पड़ने लगे या वह रात में सांस फूलने की वजह से जाग जाए, तो उसे तुरंत कार्डियोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।”
आधुनिक तकनीक के साथ-साथ मानवीय सेवा भी ज़रूरी
जहाँ 3डी कैथ लैब जैसी नई तकनीक दिल के इलाज में बहुत मदद करती है, वहीं इंसानों की देखभाल और अनुभव की भी अपनी अहमियत है।
एन.एच.एस अस्पताल में दिल के मरीजों के लिए एक खास टीम बनाई गई है, जिसमें अनुभवी कार्डियक नर्सें, एनेस्थेटिस्ट, टेक्नीशियन और सपोर्ट स्टाफ शामिल हैं। ये सभी मिलकर मरीज को पूरी सावधानी और ध्यान से इलाज देते हैं।
अस्पताल की कार्डियक आईसीयू में हर समय मरीजों की निगरानी के लिए रीयल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम, सांस की मशीन (वेंटिलेटर) और गंभीर मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद रहते हैं।
इससे यह सुनिश्चित होता है कि जिन मरीजों को लेटने पर सांस लेने में तकलीफ (ऑर्थोप्निया) होती है, खासकर जब वे इमरजेंसी में आते हैं, उन्हें तुरंत और सही इलाज मिल सके।
एन.एच.एस अस्पताल – दिल के मरीजों की पहली पसंद क्यों है
उत्तरी भारत में एन.एच.एस अस्पताल बहुत तेजी से दिल के इलाज के लिए एक भरोसेमंद नाम बन गया है। इसके पीछे कई वजहें हैं, जो इसे दिल के मरीजों के लिए पहली पसंद बनाती हैं:
• डॉ. साहिल सरीन और अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों का 10 साल से ज्यादा का अनुभव
• 3D कैथ लैब जो दिल की बीमारी का सही और साफ़ चित्र दिखाती है और इलाज आसान बनाती है
• इलाज में आधुनिक तरीकों और सही वैज्ञानिक नियमों का इस्तेमाल
• मरीज को सबसे पहले रखने वाला नजरिया और आधुनिक कार्डियक आईसीयू की सुविधा
• लगातार नई और बेहतरीन तकनीक को अपनाना
• सस्ता इलाज और बिलिंग में पूरी पारदर्शिता
यहाँ आने वाले मरीजों को सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि शुरुआत से ही पूरा और भरोसेमंद देखभाल का अनुभव मिलता है।
हृदय रोगों का भविष्य: इलाज से पहले रोकथाम की दिशा में एक कदम
एन.एच.एस अस्पताल सिर्फ दिल की बीमारियों का इलाज नहीं कर रहा, बल्कि पूरे क्षेत्र में हृदय स्वास्थ्य का भविष्य तैयार कर रहा है।
डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड्स, दूर से हार्ट मॉनिटरिंग, और AI (आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस) पर आधारित पूर्वानुमान प्रणाली जैसे नए कदमों के साथ अस्पताल अब इलाज के पुराने तरीकों से आगे बढ़कर बीमारी को पहले ही पहचानने और रोकने की दिशा में काम कर रहा है।
डॉ. साहिल सरीन कहते हैं,
“हमारा लक्ष्य यह है कि ऑर्थोप्निया जैसी समस्याएं होने से पहले ही पकड़ी जाएं। यही भविष्य का वादा है, और हम उसकी तैयारी आज से कर रहे हैं।”
अंत में: हर सांस की कीमत है
ऑर्थोप्निया को हल्के में न लें। यह एक बड़ा संकेत हो सकता है कि आपका दिल ठीक से काम नहीं कर रहा। एन.एच.एस अस्पताल और डॉ. सरीन जैसे विशेषज्ञों के कारण अब पंजाब में भी विश्व-स्तरीय कार्डियक इलाज उपलब्ध है।
अब कोई भी सांस की तकलीफ के डर से रात न बिताए। समय पर जांच और इलाज से न सिर्फ जान बचाई जा सकती है, बल्कि एक आरामदायक और स्वस्थ जीवन पाया जा सकता है।
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