Prabhat Times
Bathinda बठिंडा। (HMEL historic step towards the health of rural children) एचपीसीएल मित्तल एनर्जी लिमिटेड की तरफ से सीएसआर पहल के तहत गुरू गोबिंद सिंह रिफाइनरी के आसपास के गांव में किशोर स्वास्थ्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
इसके तहत एचएमईएल ने ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट और एम्स बठिंडा के साथ मिलकर स्कूल-आधारित एनीमिया स्क्रीनिंग अभियान चलाया
जिसमें आसपास के 45 स्कूलों के 7105 बच्चों के रक्त की जांच की गई व रक्त की कमी के कारण होने वाले इस रोग के लक्षणों, कारणों और रोकथाम के बारे में शिक्षित और जागरूक, संतुलित आहार चार्ट भी बनाकर दिए गए।
अभियान के दौरान सरकारी स्कूलों के कई छात्रों की केस स्टडी भी ली गई, जो होनहार एथलीट हैं, मगर पिछले कुछ समय से उन्हें कमजोरी, चक्कर आना, और आँखों में जलन जैसे लक्षण महसूस हो रहे थे।
जांच करने पर उनमें खून की कमी पाई गई जो एनीमिया का लक्ष्ण है।
इस पर उन्हें व उनके परिवारों को खानपान के ढंग को बदलने व संतुलित खुराक लेने के लिए डाक्टरों की टीम की तरफ से जागरूक किया गया।
इसके लिए एम्स के डाक्टरों की टीम की तरफ से प्रेरणादायक सेशन भी स्कूलों में आयोजित किए गए।
छात्रों को यह समझाया गया कि आयरन-फोलिक एसिड की नियमित खुराक, आयरन-युक्त आहार से एनीमिया पर काबू पाया जा सकता है।
स्कूल में कैंप लगाकर की गई इस जांच के दौरान 48.4 % लडकियों और 30.6 % लडके एनीमिया से ग्रस्त पाए गए, यानी उनमें खून की कमी के लक्ष्ण पाए गए।
यह आंकडे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकडों के करीब हैं, जिसमें पंजाब में 58 % महिलाओं और 22 % पुरुषों में एनीमिया की पुष्टि हुई थी।
जांच के दौरान 29.12 % किशोरों में हल्का एनीमिया, 22.24 % में मध्यम एनीमिया व 4.96 % में गंभीर एनीमिया पाया गया।
यह आँकडे इस ओर संकेत करते हैं कि खून की कमी एक ऐसी समस्या है, जिसका पता आम तौर पर नहीं लगता व थकान, नजर का कमजोर होना, चक्कर आना जैसी कई बीमारियां इसी से पैदा होती हैं।
यह किशोरों की ऊर्जा, एकाग्रता, मानसिक विकास और प्रतिरक्षा तंत्र को प्रभावित करती है, जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा देखी गई है।
एचएमईएल की इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य केवल एनीमिया के मामलों की पहचान करना नहीं था, बल्कि किशोरों को इसके लक्षणों, कारणों और रोकथाम के बारे में शिक्षित और जागरूक करना भी था।
ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट की फील्ड टीमों ने जमीनी स्तर पर विद्यालयों के साथ समन्वय किया, सामुदायिक संपर्क बनाए और पूरी प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से संचालित किया।
साथ ही एचएमईएल के वालंटियरों की उपस्थिति, उनके अनुभव और समर्पण ने इस पहल को और सशक्त बनाया।
एचएमईएल के सीएसआर के डीजीएम श्री विश्व मोहन प्रसाद ने इस पहल की जानकारी देते हुए कहा कि “यह परियोजना हमारे द्वारा ग्रामीण किशोरों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट और एम्स बठिंडा के सहयोग से यह सिद्ध हुआ है कि सामुदायिक प्रयासों और विशेषज्ञता के मेल से हम बडी स्वास्थ्य चुनौतियों का प्रभावशाली समाधान कर सकते हैं ” इस अभियान के माध्यम से न केवल एनीमिया के कई मामलों की पहचान की गई, बल्कि छात्रों को आयरन युक्त आहार, फोलिक एसिड सप्लीमेंट, डी-वॉर्मिंग, और स्वच्छ जीवनशैली की जानकारी देकर उन्हें स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और आत्मनिर्भर भी बनाया गया।
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