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  • मंदिर की इमारत की मज़बूती के लिए 1.27 करोड़ रुपये अलॉट करवाने के लिये किये जा रहे हैं प्रयास
  • भाखड़ा डैम में पानी का स्तर घटने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को मिली बड़ी राहत: हरजोत बैंस
  • बैंस ने रोपड़ के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में व्यापक राहत और बचाव कार्यों की निगरानी की
  • शिक्षा मंत्री द्वारा यूथ क्लबों, पंचायतों और सामाजिक-धार्मिक संगठनों को उनकी सक्रिय भागीदारी और मदद के लिए धन्यवाद

Nangal नंगल। (harjot bains leads to save ancient temple in nangal) पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने आज नंगल में एक ऐतिहासिक स्थल, प्राचीन श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर को सतलुज नदी के तेज़ बहाव से आंशिक रूप से हुए नुकसान के बाद इसको बचाने के लिए तुरंत और तेज़ी से कार्रवाई शुरू की।

उन्होंने स्वयंसेवकों, स्थानीय युवाओं और जिला प्रशासन के साथ मिलकर मंदिर को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए डंगा (रीवेटमेंट) लगाकर मज़बूत किया जा रहा है।harjot

श्री बैंस ने कहा कि नगर परिषद, नंगल के माध्यम से मंदिर की इमारत की स्थायी मज़बूती के लिए 1.27 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करवाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि शिक्षा मंत्री श्री आनंदपुर साहिब हलके के प्रभावित गाँवों और कस्बों में राहत एवं बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।

बैंस ने यूथ क्लबों, पंचायतों, सामाजिक और धार्मिक संगठनों तथा प्रशासन का बचाव और राहत कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाने और मदद करने के लिए धन्यवाद करते हुए कहा, “हम अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को इस प्राकृतिक आपदा से बचाने और बाढ़ प्रभावित लोगों की सहायता करने के लिए पूरी तरह वचनबद्ध हैं। हम सामूहिक प्रयासों से इस चुनौती को पार करेंगे और सामान्य स्थिति बहाल करेंगे।”

हरजोत सिंह बैंस ने भाखड़ा डैम की स्थिति के बारे में एक महत्वपूर्ण राहत वाली जानकारी साझा करते हुए बताया कि पानी का स्तर 1678.66 फुट तक घट गया है और यह कल के 1679.05 फुट के मुकाबले लगभग आधा फुट कम है।

पानी का स्तर घटने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को बड़ी राहत मिली है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश के कैचमेंट क्षेत्रों में कम बारिश और अनुकूल मौसमी स्थितियों के कारण पानी का स्तर कम हुआ है।

श्री बैंस ने आज गाँव हरीवाल में नदी के किनारों को मज़बूत करने के कार्य में भी हाथ बंटाया।

उन्होंने बताया कि पानी के तेज़ बहाव के कारण कटाव से प्रभावित संवेदनशील क्षेत्रों में नदी के किनारों को मज़बूती देने के लिए जंबो बैगों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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