Prabhat Times
New Delhi नई दिल्ली। (cbse board exam 2025 26 twice a year draft on 24 february no compartment) केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) अपनी परीक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव करने की तैयारी में है.
सीबीएसई ने फैसला लिया है कि 2026 से कक्षा 10वीं के लिए बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाएगी.
इसका छात्रों को ये फायदा होगा कि अगर कोई छात्र बीमार हो जाता है या फिर किसी कारणवश उसका एग्जाम छूट जाता हो तो वे दोबारा परीक्षा दे सकता है.
जल्द ही इसका ड्राफ्ट जारी किया जाएगा, जिस पर लोगों से सुझाव मांगे जाएंगे.
कम अवधि में होंगी परीक्षाएं
अगले साल से वर्ष में दो बार परीक्षा कराई जा सके, इसके लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) कक्षा 10वीं के एग्जाम की अवधि को महीने भर से घटाकर दो सप्ताह से भी कम करने पर विचार कर रहा है।
वर्तमान में 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा की डेटशीट इस तरह से तैयार की जाती है कि छात्र द्वारा चुने गए दो विषयों के पेपर एक ही तिथि पर न पड़ें।
इससे परीक्षा कार्यक्रम एक महीने तक खिंच जाता है। कभी-कभी दो पेपरों के बीच तीन से लेकर 10 दिनों का गैप होता है।
जैसा कि इस बार भी देखा जा सकता है कि सीबीएसई 10वीं बोर्ड परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू हुईं और 18 मार्च तक चलेंगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर साल में दो बार एग्जाम कराने का सिस्टम शुरू किया जाता है तो सीबीएसई बोर्ड को पेपरों के बीच के गैप को काफी कम करना पड़ सकता है,
शायद एक दिन भी, ताकि दोनों परीक्षाएं आयोजित की जा सकें और जून तक सभी परिणाम घोषित किए जा सकें।
इसका मतलब यह हो सकता है कि परीक्षाएं एक सप्ताह या 10 दिन की अवधि में ही खत्म हो जाएंगी।
हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता में सीबीएसई, केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) और एनसीईआरटी के अधिकारियों के साथ साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के मुद्दे पर एक बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई।
शिक्षा मंत्रालय ने बोर्ड से कहा है कि वह वर्ष में दो बार एग्जाम कराने की योजना का एक मसौदा फीडबैक के लिए सार्वजनिक करे।
पता चला है कि परीक्षा का फाइनल शेड्यूल तैयार करने से पहले सुझावों पर विचार किया जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार पहले सीबीएसई स्कूलों की केवल 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए दो बोर्ड परीक्षाएं शुरू करना चाहती है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘कक्षा 12वीं के छात्रों के लिए इसे कब शुरू किया जाए, इस पर निर्णय केवल कक्षा 10वीं के छात्रों के लिए दो बार परीक्षाएं आयोजित करने के अनुभव के आधार पर लिया जाएगा।’
सीबीएसई बोर्ड परीक्षाएं आमतौर पर फरवरी में शुरू होती हैं। दो बार परीक्षा प्रणाली में भी संभवत: यही टाइमफ्रेम जारी रहेगा।
सूत्रों ने बताया कि कुछ क्षेत्रों में कड़ी सर्दियों के चलते पहले परीक्षा आयोजित करना चुनौतीपूर्ण होगा और संभावित रूप से पढ़ाने के समय को कम करेगा।
साल में दो बार बोर्ड परीक्षा कराने के लिए सीबीएसई जिन शेड्यूल के ऑप्शन पर विचार कर रहा है, उनमें से एक यह हैं –
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मार्च तक पहली परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया जाए। वर्तमान में मई में रिजल्ट जारी किया जाता है। यानी दो माह पहले पहली बोर्ड परीक्षा के नतीजे जारी कर दिए जाएं।
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दूसरी परीक्षा संभवतः मई की शुरुआत में आयोजित की जाए और परिणाम जून में घोषित हों।
इससे पहले जनवरी माह में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं कराने का फैसला अगले शैक्षणिक वर्ष 2026-27 से लागू किया जाएगा।
प्रधान ने यह भी कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सिफारिशों के आधार पर कक्षा 11वीं और कक्षा 12वीं में सेमेस्टर सिस्टम लागू करने की तैयारी चल रही है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए लाए गए एनसीएफ में सिफारिश की गई थी कि छात्रों को एकेडमिक वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति दी जानी चाहिए, जिसमें केवल बेस्ट अंक ही रखे जाएंगे।
योजना को लागू करने से पहले देश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय बोर्ड सीबीएसई दोनों परीक्षाओं को कराने, प्रश्नपत्रों के मूल्यांकन को पूरा करने और अगले शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले परिणाम घोषित करने की चुनौती के निपटने की कोशिश कर रहा है।
कंपार्टमेंट सिस्टम होगा खत्म
जब दो बार एग्जाम का सिस्टम शुरू होगा तो कंपार्टमेंट की प्रक्रिया खत्म हो जाएगी। अभी 15 जुलाई से कंपार्टमेंट के एग्जाम होते हैं।
यह छात्र पर निर्भर होगा कि वह एक बार की परीक्षा दे या दोनों परीक्षाएं दें। अगर कोई छात्र दोनों परीक्षाएं देता है तो बेस्ट स्कोर को माना जाएगा।
वहीं अगर छात्र एक या दो विषयों में रह जाता है तो दूसरे राउंड के एग्जाम में यह व्यवस्था होगी कि वह उन पेपरों को दे।
सूत्रों का कहना है कि यह जरूरी नहीं है कि पहले राउंड में सभी विषयों की परीक्षा देने वाला छात्र दूसरे राउंड में भी सभी विषयों की परीक्षा दे।
उसके पास विकल्प रहेगा कि वह दूसरे राउंड में अपने नंबरों में सुधार के लिए कुछ विषयों की परीक्षा दे सकता है।
सीबीएसई इस संबंध में प्रक्रिया को तय कर रहा है और ड्रॉफ्ट गाइडलाइंस में ये सब चीजें स्पष्ट होंगी।
CBSE ने प्रेजेंटेशन में रखे थे 4 विकल्प
सीबीएसई ने अपने प्रेजेंटेशन में दो एग्जामिनेशन, सेमेस्टर बेस्ड एग्जामिनेशन, डिमांड बेस्ड एग्जामिनेशन, मॉड्यूलर एग्ज़ाम के विकल्प सुझाए हैं।
हालांकि अंतिम फैसला तो ड्रॉफ्ट गाइडलाइंस आने के बाद ही लिया जाएगा लेकिन सूत्रों का कहना है कि 10वीं और 12वीं में सेमेस्टर बेस्ड एग्जाम की संभावना कम ही है।
जिस तरह से अभी वर्ष में एक बार बोर्ड एग्जाम होता है और सारा सिलेबस आता है, उसी तरह से दो बार एग्जाम होगा। दोनों एग्जाम में पूरा सिलेबस आएगा।
परीक्षा के पैटर्न में भी होगा कुछ बदलाव
सूत्रों का कहना है कि दो बार परीक्षा सिस्टम लागू होने के बाद बोर्ड परीक्षा के पैटर्न में भी बदलाव होगा। सीबीएसई परीक्षा में एनालिटिकल, कॉन्सेप्ट बेस्ड सवालों पर ज्यादा फोकस किया जाएगा।
एमसीक्यू, शॉर्ट क्वेश्चन को बढ़ाया जा सकता है। बाल भारती पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल एल. वी. सहगल का कहना है कि सरकार का यह कदम अच्छा है और यह छात्रों को तनाव रहित परीक्षा देने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
एम. एम. पब्लिक स्कूल पीतमपुरा की प्रिंसिपल रूमा पाठक का कहना है कि सीबीएसई को एग्जाम और रिजल्ट की टाइमिंग को देखना होगा।
सूत्र बताते हैं कि अभी तक रिजल्ट के लिए जितना समय लगता है, दो बार एग्जाम होने के बाद उस समय में कटौती होगी।
पहले की तुलना में जल्दी रिजल्ट आएगा। परीक्षा के पैटर्न में बदलाव होने पर रिजल्ट जल्द आने की संभावना भी बढ़ेगी।
अगले सोमवार को जारी होगी रिपोर्ट
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल ही में CBSE अधिकारियों और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT), केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS), और नवोदय विद्यालय समिति (NVS) के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की.
प्रस्तावित बदलावों की पूरी तरह से समीक्षा की गई और रिपोर्ट के अनुसार, इसे अगले सोमवार को सार्वजनिक कर दिया जाएगा.
रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया, “कई प्रयासों का अवसर देने के माध्यम से, CBSE एक ऐसा शिक्षा वातावरण बनाने की कोशिश कर रहा है, जो याद करने के बजाय बच्चों की सोचने की क्षमता और समझ पर ज्यादा जोर देता है”.
इसके अलावा, रिपोर्ट के अनुसार, CBSE 2026-27 शैक्षणिक वर्ष से अपनी 260 विदेशी स्कूलों के लिए एक वैश्विक पाठ्यक्रम भी शुरू करेगा.
CBSE इस नए मूल्यांकन मॉडल में सहज रूप से बदलाव लाने के लिए शिक्षक प्रशिक्षण में भी निवेश कर रहा है.
मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इन सुधारों के बारे में बताया कि ये एक तनावमुक्त शिक्षण वातावरण बनाने की दिशा में जरूरी कदम हैं.
उन्होंने कहा, “परीक्षा सुधार और बदलाव इस दिशा में एक अहम कदम है. यह सुधार परीक्षा संबंधित तनाव को कम करने में मदद करेगा और एक संतुलित मूल्यांकन प्रणाली सुनिश्चित करेगा”.
स्कूलों के लिए जारी हुए दिशा-निर्देश
CBSE ने कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं पर प्रतिक्रिया देने वाले स्कूलों के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं.
स्कूलों को OECMS पोर्टल पर परीक्षा के दिन फीडबैक अपलोड करना होगा.
देरी से दी गई प्रतिक्रियाओं पर विचार नहीं किया जाएगा और CBSE ने स्कूलों को अतिरिक्त सवालों के लिए [email protected] पर ईमेल करने का निर्देश दिया है.
CBSE ने पेपर लीक और परीक्षा में अनियमितताओं से संबंधित गलत जानकारी से छात्रों और अन्य संबंधित पक्षों को सावधान करते हुए एक सलाह जारी की है.
बोर्ड ने सभी को केवल आधिकारिक संचार पर ही विश्वास करने की अपील की है.
बता दें कि इस साल, 42 लाख से अधिक छात्र भारत और विदेशों में 7,842 केंद्रों पर CBSE बोर्ड परीक्षाओं में शामिल हो रहे हैं.
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