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Chandigarh चंडीगढ़। पंजाब में आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसी ‘क्रांति’ का सूत्रपात किया है, जो शोरगुल की राजनीति से दूर, चुपचाप भविष्य का निर्माण कर रही है।

यह बदलाव सिर्फ पुरानी दीवारों पर नया रंग लगाना नहीं है, बल्कि सरकारी स्कूलों की पूरी सोच और संभावना को बदल रहा है।

इस क्रांति का सबसे बड़ा प्रतीक है मानसा (Mansa) के सरकारी सीनियर सेकेंडरी गर्ल्स स्कूल में स्थापित की गई एस्ट्रोनॉमी लैब, जिसे पंजाब की पहली अंतरिक्ष विज्ञान प्रयोगशाला के रूप में जाना जा रहा है।

यह सुविधा, जो कभी पिछड़े समझे जाने वाले मनसा जिले में शुरू की गई है , इस बात का प्रमाण है कि जब इरादे नेक और नियत साफ हो, तो हर सरकारी स्कूल ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’ बन सकता है।

मानसा की यह लैब सिर्फ एक कमरा या कुछ मॉडल नहीं है; यह पंजाब की बेटियों के लिए सपनों का कारखाना है।

इस अत्याधुनिक प्रयोगशाला में बच्चियों को इंटरैक्टिव लर्निंग का अनुभव मिलता है, जहाँ वे सीधे दूरबीन (telescope) से तारों और ग्रहों को देखती हैं।

इस लैब में भारत के अंतरिक्ष गौरव का प्रतीक चंद्रयान और मंगल ऑर्बिटर के प्रतिकृतियों (replicas) से लेकर PSLV और GSLV जैसे रॉकेटों के मॉडल तक मौजूद हैं।

जो लड़कियाँ शायद पहले दूरबीन भी नहीं देख पाती थीं, आज वे उन रॉकेटों के मॉडल को छू रही हैं जिन्होंने वैश्विक मंच पर देश को गौरवान्वित किया है, जिससे उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण और खगोल विज्ञान में उच्च शिक्षा के लिए रुचि पैदा हो रही है।

यह परिवर्तन किसी एक स्कूल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संरचनात्मक बदलाव है जो पूरे राज्य के सरकारी शिक्षा तंत्र को उत्कृष्टता की ओर ले जा रहा है।

AAP सरकार ने ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’ (Schools of Eminence) मॉडल शुरू किया है, जिसके तहत प्रवेश परीक्षा के माध्यम से चुने गए छात्रों को JEE, NEET और CLAT जैसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेष कोचिंग दी जा रही है।

इसके साथ ही, ‘स्कूल ऑफ ब्रिलियंस’ और प्राथमिक विद्यालयों के लिए ‘स्कूल ऑफ हैप्पीनेस’ (Schools of Happiness) जैसी योजनाएँ भी शुरू की गई हैं, जहाँ छात्रों को फिनलैंड जैसे देशों के शैक्षणिक तरीकों से प्रेरित होकर सीखने का आनंददायक और सकारात्मक माहौल प्रदान किया जा रहा है ।

मान सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि शिक्षा का यह भव्य निर्माण भ्रष्टाचार की नींव पर न टिके।

इसीलिए, सभी विकास कार्यों और आवश्यक उपकरणों की खरीद के लिए सीधा फंड ट्रांसफर (Direct Fund Transfer) की व्यवस्था लागू की गई है।

इस प्रणाली के तहत विकास ग्रांट सीधे स्कूल के खातों में भेजी जाती है। इससे न केवल पैसों के दुरुपयोग पर लगाम लगी है, बल्कि स्कूल प्रमुखों को अपनी ज़रूरतों के अनुसार तेज़ी से निर्णय लेने की स्वायत्तता भी मिली है।

यह पारदर्शी प्रक्रिया शिक्षा के बजट का अधिकतम हिस्सा सीधे बच्चों की बेहतरी पर खर्च करना सुनिश्चित करती है, बिचौलियों और रिश्वतखोरी के लिए कोई जगह नहीं छोड़ती।

मानव संसाधन के मोर्चे पर भी सरकार ने ईमानदारी की मिसाल पेश की है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दावा किया है कि राज्य सरकार ने अब तक 55,000 से अधिक सरकारी नौकरियाँ पूरी तरह योग्यता के आधार पर (on merit) दी हैं।

यह एक ‘फूलप्रूफ मैकेनिज्म’ है, जहाँ भर्ती प्रक्रिया में ‘पर्ची-खर्ची’ (भाई-भतीजावाद या रिश्वत) का कोई स्थान नहीं है।

शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की पारदर्शी भर्ती से यह सुनिश्चित हुआ है कि आज स्कूलों में केवल वही लोग हैं जो शिक्षा के प्रति समर्पित हैं, जिससे वे बिना किसी राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव के बच्चों के शैक्षणिक विकास पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।

AAP सरकार की यह शिक्षा नीति केवल अच्छी सुविधाएँ देने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य युवाओं को ‘नौकरी मांगने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला’ बनाना है।

दिल्ली में सफल रही सरकारी स्कूल क्रांति के नक्शेकदम पर चलते हुए, पंजाब भी अब अपने युवाओं को उद्यमशीलता और पहल करने के लिए प्रेरित कर रहा है।

यह असली ‘वन नेशन, वन एजुकेशन’ मॉडल है — जहाँ किसी पर एक जैसी शिक्षा थोपी नहीं जाती, बल्कि देश के हर बच्चे को गुणवत्ता और अवसर में समानता प्रदान की जाती है।

यह साबित करता है कि जब ईमानदार लोग सत्ता में आते हैं, तो वे केवल सरकारें नहीं बनाते, बल्कि सुनहरे भविष्य की नींव रखते हैं।

आज मानसा की जो लड़कियाँ अंतरिक्ष की ओर देख रही हैं, कल वे निश्चित रूप से ISRO और देश की अन्य वैज्ञानिक संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों पर काम करेंगी।

यही है भगवंत मान का पंजाब मॉडल, और यही है ‘केजरीवाल-मान गारंटी’ का वादा। पंजाब की इस शिक्षा क्रांति पर हम गर्व करते हैं।

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