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नई दिल्‍ली। (supreme court rules marriages can be dissolved on ground of irretrievable breakdown) सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने तलाक पर अहम फैसला दिया है।

पांच जजों की बेंच ने कहा कि जिन शादियों के बचने की गुंजाइश न हो, उनको सुप्रीम कोर्ट अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके खत्म कर सकता है।

अगर रिश्तों में सुधार की गुंजाइस नहीं बची है तो दंपति को छह महीने की जरूरी प्रतीक्षा अवधि के इंतजार की जरूरत नहीं है

संविधान के अनुच्‍छेद 142 के तहत SC को विशेष शक्तियां मिली हुई हैं।

कोर्ट ने कहा कि वह आपसी सहमति से तलाक के इच्छुक पति-पत्नी को बिना फैमली कोर्ट भेजे बिना भी अलग रहने की इजाजत दे सकता है।

बेंच ने कहा, ‘हमने व्यवस्था दी है कि इस अदालत के लिए किसी शादीशुदा रिश्ते में आई दरार के भर नहीं पाने के आधार पर उसे खत्म करना संभव है।’

जस्टिस संजय किशन कौल की अध्‍यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अगर आपसी सहमति हो तो कुछ शर्तों के साथ तलाक के लिए अनिवार्य 6 महीने के वेटिंग पीरियड को भी खत्‍म किया जा सकता है।

संविधान पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति ए एस ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी भी शामिल हैं।

बैंच ने 29 सितंबर, 2022 को पांच याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिनमें 2014 में शिल्पा शैलेश की ओर से दायर मुख्य याचिका भी शामिल है।

अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा था कि सामाजिक परिवर्तन में ‘थोड़ा समय’ लगता है.

कभी-कभी कानून लाना आसान होता है, लेकिन समाज को इसके साथ बदलने के लिए राजी करना मुश्किल होता है।

 

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