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नई द‍िल्‍ली। (Shock to the students going abroad, Autralia, UK took big decision) स्टूडैंट वीज़ा के नाम पर चल रहे कथित फर्जीवाड़े को देखते हुए आस्ट्रेलिया और यू.के. ने बड़ा फैसला लिया है।

आस्ट्रेलिया की कुछ यूनिवर्स्टी ने पंजाब, हरियाणा के स्टूडैंट को एडमिशन पर रोक लगा दी है तथा साथ ही यू.के. ने स्पाउस वीज़ा पर प्रतिबंध लगा दिया है.

आस्ट्रेलिया और यू.के. के इस फैसले से पंजाब, हरियाणा के लाखों स्टूडैंट के लिए तगड़ा झटका है.

ऑस्ट्रेलिया की इन यूनिवर्सिटीज़ ने लगाया बैन

ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने का सपना देख रहे हरियाणा पंजाब यूपी गुजरात के छात्र अब वहां के 5 विश्वविद्यालयों में दाखिला नहीं ले सकेंगे.

फर्जी आवेदनों में वृद्धि के बीच ऑस्ट्रेलिया में कम से कम 5 विश्वविद्यालयों ने भारत के कुछ राज्यों के छात्रों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है .

ऑस्ट्रेलियाई से मिली रिपोर्ट के मुताबिक विक्टोरिया विश्वविद्यालय, एडिथ कोवान विश्वविद्यालय, वोलोंगोंग विश्वविद्यालय, टॉरेंस विश्वविद्यालय और साउथ क्रॉस विश्वविद्यालय ने भारतीय छात्रों के आवेदनों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की है.

फरवरी में प्रतिष्ठित एडिथ कोवान विश्वविद्यालय ने भारतीय राज्यों पंजाब और हरियाणा के आवेदकों पर प्रतिबंध लगा दिया.

इसके बाद मार्च में विक्टोरिया विश्वविद्यालय ने उत्तर प्रदेश राजस्थान और गुजरात सहित आठ भारतीय राज्यों के छात्रों के आवेदनों पर प्रतिबंध बढ़ा दिए.

यह घटनाक्रम ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीस के भारत दौरे के दौरान विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों के साथ एक नए समझौते की घोषणा किए जाने के बाद हुआ.

ऑस्ट्रेलिया में इस साल भारतीय छात्रों की संख्या वर्ष 2019 के 75000 के सर्वाधिक पार कर सकती है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कि छात्रों की संख्या में वृद्धि की प्रणाली और देश के अंतरराष्ट्रीय शिक्षा बाजार पर संभावित प्रभाव के लेकर सांसदों और शिक्षा क्षेत्र से लोगों ने चिंता व्यक्त की है.

शिक्षकों का कहना है कि छात्र संख्या में काफी वृद्धि होगी लेकिन इसके साथ ही फर्जी छात्रों की संख्या भी बढ़ी है. इससे निपटने को प्रतिबंध लगा रहे हैं.

यूके में स्पाउस वीजा पर लगा प्रतिबंध

पढ़ाई के लिए ब्रिटेन (यूके) जाने वाले विद्यार्थियों को अब स्पाउस वीजा की सुविधा नहीं मिलेगी. यूके सरकार ने अब यह सुविधा बंद कर दी है.

इस फैसले से पढ़ाई के लिए यूके जाने वाले विद्यार्थी अपने जीवनसाथी को साथ नहीं ले जा सकेंगे। हालांकि, यह फैसला इस साल सितंबर में जाने वाले विद्यार्थियों पर लागू नहीं होगा।

अगले साल जनवरी में जो विद्यार्थी यूके में दाखिला लेंगे, उन पर यह नियम लागू होगा.

पहले यूके में स्टडी के लिए जाने वाले विद्यार्थियों को स्पाउस वीजा भी दिया जाता था.

पढ़ाई के बाद छात्र और उसके जीवनसाथी को भी दो साल का वर्क वीजा मिलता था.

पिछले साल अक्तूबर के पहले सप्ताह में यूके की आंतरिक मंत्री सुवेला ब्रेवरमैन ने यह कहकर भारतीय खासकर पंजाबी मूल के विद्यार्थियों में हड़कंप मचा दिया था.

उन्होनें कहा था कि स्पाउस वीजा पर प्रतिबंध लग सकता है, क्योंकि ऐसे बहुत से लोग यूके आ रहे हैं, जिनके पास प्रतिभा नहीं है.

इतना ही नहीं, उनके पास कोई तकनीकी शिक्षा भी नहीं है, जिससे यूके को फायदा हो सके.

ये है एक बड़ा कारण

दरअसल, ब्रिटिश सरकार ने जनवरी 2021 में वहां काम करने वालों के लिए कम से कम 25 हजार 600 पाउंड प्रतिवर्ष की आय निर्धारित कर दी थी, लेकिन भारतीय खासकर पंजाब से ऐसे लोग यूके पहुंच गए, जो खेतीबाड़ी के अलावा हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री में कम पगार पर काम करने लगे.

इससे वहां पर सिस्टम गड़बड़ा गया और यूके में राइट टू वर्क पर असर पड़ने लगा. यूके के मूल निवासी कम पगार पर काम करने के लिए मजबूर होने लगे. इससे वहां की सरकार खासा दबाव महसूस कर रही थी.

2022 में मार्च तक गए 2 लाख छात्र, इनमें 80 प्रतिशत पंजाब के

ब्रिटेन में 2020 में 48,639 भारतीय छात्र पहुंचे थे. 2021 में 55903 व 2022 मार्च तक 200978 लोग यूके में पहुंचे, जिसमें 80 प्रतिशत पंजाब मूल थे.

इस साल यह आंकड़ा मार्च 2023 तक दो लाख पार कर गया, जिसमें 85 प्रतिशत विद्यार्थी शादीशुदा थे, जिनका मकसद किसी तरह ब्रिटेन पहुंचना था. वहां जाकर विद्यार्थी के जीवनसाथी कम पगार पर काम धंधे में लग गए.

हर साल विदेश पढ़ने जाते हैं लाखों छात्र

एक रिपोर्ट के मुताबिक 100 से ज्यादा देशों में भारतीय छात्र पढ़ने के लिए जाते हैं सबसे ज्यादा देशों में कनाडा ऑस्ट्रेलिया अमेरिका ब्रिटेन का नाम आता है.

इसके बाद भारतीय छात्र उज्बेकिस्तान, फिलीपींस, रूस, आयरलैंड, किंर्गिंस्तान, कजाकिस्तान भी जाना पसंद करते हैं.

2022 में विदेश पढ़ने जाने वाले छात्रों की संख्या 7.5 लाख थी. 2019, 5.86 लाख छात्रों ने विदेशी धरती का रूख किया.

2020 में महामारी आ जाने से ये संख्या घटकर 2.6 लाख रह गई। और अब इसके पश्चात अब फिर से छात्रों की भीड़ रोजाना विदेशों की और रूख किए हुए है।

यह देश देते हैं मुफ्त शिक्षा

दुनिया में कुछ ऐसे भी देश है जहां भारतीय छात्रों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है. इसके लिए कोई फीस नहीं ली जाती यह देश के छात्रों को हॉस्टल छात्रवृत्ति और किताब खर्चा खुद देते हैं.

ट्यूशन फीस छात्राओं से ली जाती है. इन देशों में इंग्लिश में शिक्षा प्राप्त करने के लिए पड़ती है. फ्री में पीएचडी छात्रों को छात्रवृत्ति देती है दुनिया में जहां उच्च शिक्षा के लिए फीस ली जाती है

 

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