नई दिल्ली (ब्यूरो): फिल्म इंडस्ट्री में कोरियॉग्रफर के तौर पर सरोज खान का नाम सुनहरे अक्षरों से लिखा गया है। आज सरोज खान इस दुनिया में नहीं हैं वे बीते कई दिनों से बीमार थीं और 3 जुलाई को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।
उनकी सबसे छोटी बेटी सुकैना नागपाल ने एक इंटरव्यू में ये बताया कि फेमस कोरयोग्राफर सरोज खान पर वैसे तो कई लोग बायॉपिक बनाना चाहते थे, लेकिन जाने-माने कोरियॉग्रफर रेमो डीसूजा ने सरोज खान के जीते-जी उनके सामने बायोपिक बनाने के बारे में प्लानिंग की थी।
किसके साथ बनाएंगी बायोपिक
सरोज खान की छोटी बेटी सुकैना नागपाल ने बताया कि ‘मैंने एक दिन मम्मी से पूछा कि अब तक 3 लोगों ने आपकी लाइफ पर बायॉपिक बनाने की बात की है। अगर बायोपिक बनती है तो आप किसके साथ काम करना पसंद करोगे? मां ने जवाब दिया था कि वह रेमो डीसूजा के साथ अपनी जिंदगी की कहानी पर फिल्म बनाना चाहेंगी।’
रेमो समझ सकते हैं बारीकी से जीवन की कहानी
‘असल में रेमो की जिंदगी की कहानी भी जीरो से हीरो बनने की है। वे भी जमीन से उठकर आज बड़े डायरेक्टर बने हैं। मम्मी कहती थीं, रेमो और वह एक ही प्रोफेशन में हैं, तो बहुत अच्छी तरह से कहानी, हालात और एक कोरियॉग्रफर की लाइफ में होने वाले इंसिडेंट्स को समझेंगे। इसलिए मैं कहूंगी कि रेमो डीसूजा ही मेरी कहानी पर सबसे अच्छी फिल्म बना सकते हैं।’
कलंक की शूटिंग के दौरान शुरू हुई थी बायॉपिक बनाने की बात
रेमो डिसूजो ने सरोज खान जी की बायॉपिक पर चल रही बातों का खुलासा इटंरव्यू के दौकार करते हुए कहा, ‘फिलहाल, मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहता था। सरोज खान जी की बायॉपिक को लेकर जो अंतिम बातचीत उनसे हुई थी, वह लॉकडाउन के पहले हुई थी।
सरोजजी इस बारे में बातचीत करने के लिए मेरे ऑफिस में आई थीं। और उन्होंने ही अपनी फिल्म को लेकर मुझसे सवाल किया था कि, बोल कब बनाएगा मेरी फिल्म? इस बात की शुरुआत फिल्म कलंक की शूटिंग के दौरान हुई थी।’
सरोज खान की जगह कोई नही ले सकता
रेमो डिसूजो ने इस बात को भी बताया कि ‘फिल्म इंडस्ट्री में सरोज जी ही एक ऐसी महिला थी जिसने अपनी स्ट्रगल, मेहनत और कामयाबी के दम से यह मुकाम हासिल किया, उनके इस सफर की तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है।
न तो सरोज खान की जगह कोई आ सकता है, ना कोई ले सकता है, और न ही कोई रहेगा।’सरोज जी की इसी मेहनत को देखकर मैने फैसला लिया था कि सरोज जी की कहानी पर मैं ही फिल्म बनाऊंगा। वह भी हंसते-हंसते, बोलीं, बना दे, लेकिन जल्दी बना दे।’
3 से 71 साल की होगी कहानी
उन्होने आगे बताया कि ‘सरोजजी की यह कहानी 3 साल से 71 साल की कहानी है, जिसके लिए एक हिरोइन का ही काम नही होगा, बल्कि उनके रोल को निभाने के लिए कई लोगों की कास्टिंग होगी। उनकी कहानी में बहुत सारे किरदार भी होंगे।
कौन निभाएगा सरोजजी का किरदार
‘अब जब सब कुछ सामान्य हो जाएगा, उनके परिवार के साथ बैठना होगा। परमिशन लेना होगा, पूरी कहानी सुनना होगा। अब तक यह भी नहीं सोचा है कि इस फिल्म ने किस तरह की हिरोइन को लिया जाएगा, लेकिन बहुत ही मुश्किल रोल है यह, बहुत सोच-समझ के कास्टिंग करनी होगी।