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Chandigarh चंडीगढ़। पंजाब की मान सरकार ने एक ऐसा अहम और दूरदर्शी कदम उठाया है, जिसका मक़सद प्रदेश के युवाओं को उनकी गौरवशाली विरासत और समृद्ध इतिहास से गहराई से जोड़ना है। यह एक ऐसी पहल है जो नौजवान पीढ़ी को अपनी जड़ों को पहचानने और उन पर गर्व करने में मदद करेगी। सरकार ने विशेष रूप से यह फैसला किया है कि युवाओं को ‘हिंद दी चादर’ नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी के जीवन-दर्शन और उनकी महान, अद्वितीय कुर्बानी से विस्तार से रूबरू कराया जाए, ताकि वे समझ सकें कि उनकी विरासत कितनी महान है।

सरकार की इस सोच को ज़मीन पर उतारने की पूरी ज़िम्मेदारी शिक्षा विभाग ने ली है। शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने इस संबंध में एक बड़ी घोषणा करते हुए पूरी योजना का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के इस पवित्र और ऐतिहासिक मौके को पूरे आदर और सम्मान के साथ मनाया जाएगा। इस पावन उपलक्ष्य में, पंजाब के सभी सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों के साथ-साथ तमाम यूनिवर्सिटियों में भी विशेष सेमिनारों की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी।

इन कार्यक्रमों के पीछे सरकार का मक़सद बिल्कुल साफ़ और स्पष्ट है। सरकार चाहती है कि पंजाब में उच्च शिक्षा का मतलब सिर्फ़ किताबी ज्ञान या अकादमिक डिग्री हासिल करना ही न रह जाए। इसका असली और गहरा लक्ष्य एक ऐसी युवा पीढ़ी का निर्माण करना है, जो अकादमिक रूप से तेज़ होने के साथ-साथ नैतिक, आध्यात्मिक और चारित्रिक रूप से भी उतनी ही मज़बूत और अडिग हो। यह पहल युवाओं को एक बेहतर और ज़िम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

शिक्षा मंत्री बैंस ने इन सेमिनारों की विषय-वस्तु पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इनका मुख्य केंद्रबिंदु गुरु तेग बहादुर जी का प्रेरणादायक जीवन-दर्शन और उनकी कालजयी शिक्षाएं होंगी। छात्रों को अकादमिक विशेषज्ञों और विद्वानों द्वारा विस्तार से यह समझाया जाएगा कि कैसे गुरु जी ने धर्म, मानवता, और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपनी अद्वितीय शहादत दी। उन्हें गुरु जी के दिखाए शांति, सर्व-धर्म समभाव, समानता और निडरता के रास्ते के बारे में गहरी जानकारी दी जाएगी। सरकार का दृढ़ विश्वास है कि गुरु जी की ये महान शिक्षाएं आज के आधुनिक दौर में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं और युवाओं को सही दिशा में चलने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।

इस महत्वपूर्ण आयोजन को हर स्तर पर सफल बनाने के लिए ज़मीनी स्तर पर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। शिक्षा विभाग ने 27 अक्टूबर से 30 नवंबर तक की अवधि तय की है, जिसके दौरान ये सभी कार्यक्रम संपन्न किए जाएंगे। इस संबंध में पंजाब के सभी कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों के प्रमुखों को विस्तृत दिशा-निर्देशों के साथ आधिकारिक चिट्ठियां भेज दी गई हैं। शिक्षा मंत्री ने इस बात पर विशेष ज़ोर दिया है कि यह एक पवित्र और गंभीर अवसर है, इसलिए इन सभी कार्यक्रमों के आयोजन में धर्म की पूरी मर्यादा और गहरे सम्मान का भाव सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य होगा।

यह कहा जा सकता है कि यह वास्तव में पंजाब सरकार का एक बेहद प्रशंसनीय और स्वागत योग्य प्रयास है। यह कदम न केवल नई पीढ़ी को अपने गौरवमयी इतिहास और महान गुरुओं के सर्वोच्च बलिदान से भली-भांति परिचित कराएगा, बल्कि उनके मन में उन बलिदानों के प्रति सच्चा सम्मान भी पैदा करेगा। यह पहल आने वाले लंबे समय तक युवाओं को अपने गुरुओं के दिखाए गए सच्चाई, सेवा और बलिदान के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करने में एक अहम भूमिका निभाएगी।

 

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