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Nangal नंगल (रूपनगर)। (Punjab Gets a New Water Warrior : Bhagwant Mann) पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज कहा कि राज्य सरकार भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) के पुनर्गठन का मुद्दा शनिवार को होने वाली नीति आयोग की बैठक में उठाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस मुद्दे को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में उठाएंगे। उन्होंने कहा कि चूंकि पानी का स्तर बार-बार बदल रहा है, इसलिए हर जल समझौते की हर 25 साल बाद समीक्षा की जानी चाहिए।

भगवंत मान ने कहा कि पंजाब जमीनी सीमाओं से जुड़ा राज्य है, जिसने देश को खाद्य आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपने एकमात्र उपलब्ध प्राकृतिक संसाधन पानी और उपजाऊ मिट्टी का बेरहमी से उपयोग किया।

मुख्यमंत्री ने खेद व्यक्त किया कि जिस तरह से बी.बी.एम.बी. राज्य के पानी के जायज हिस्से को छीनने के लिए एक पक्ष बन गया है, वह दुर्भाग्यपूर्ण और अत्यंत निंदनीय है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा ने इस साल मार्च में अपने हिस्से का पानी खत्म कर दिया था, लेकिन बी.बी.एम.बी. ने केंद्र सरकार और हरियाणा सरकार की कठपुतली की तरह काम किया ताकि राज्य का पानी छीना जा सके।

भगवंत मान ने कहा कि आश्चर्यजनक बात यह है कि बी.बी.एम.बी. के चेयरमैन खुद राज्य के पानी की चोरी के लिए नंगल आए, जिसे राज्य के लोगों ने नाकाम कर दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वही बी.बी.एम.बी. है, जिसने अपने बहुत ही महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए पंजाब से 32 करोड़ रुपये लिए थे और यह पैसा कभी भी राज्य को वापस नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि पंजाब का बी.बी.एम.बी. के पास लगभग 150 करोड़ रुपये (सही मायने में 142 करोड़ रुपये) बकाया हैं और राज्य सरकार जल्द ही इस पैसे की वसूली के लिए दावा करेगी।

भगवंत मान ने कहा कि बी.बी.एम.बी. द्वारा पंजाब के कोटे की तीन हजार रिक्तियां जानबूझकर नहीं भरी गई हैं ताकि पानी पर राज्य के दावे को कमजोर किया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन रिक्तियों को जल्द से जल्द भरा जाएगा ताकि राज्य के हितों की रक्षा की जा सके।

उन्होंने कहा कि नंगल जैसे टाउनशिप जो कि सौंदर्यपूर्ण रूप से डिजाइन किया गया था, बी.बी.एम.बी. की लापरवाही के कारण बर्बाद हो गया है, जो वास्तव में निंदनीय है।

भगवंत मान ने कहा कि राज्य के पानी को छीनने के लिए बी.बी.एम.बी., केंद्र के हाथों में खेला लेकिन राज्य के बहादुर और मेहनती किसानों ने उनके नापाक प्रयासों को नाकाम कर दिया।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि पंजाबियों ने साबित कर दिया है कि अगर वे देश की सीमाओं की रक्षा कर सकते हैं, तो वे राज्य के पानी को भी बचा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि पंजाब का पाकिस्तान से लगती 532 किलोमीटर लंबी सीमा की रक्षा के लिए महान बलिदान देने का शानदार इतिहास है।

भगवंत मान ने कहा कि इस बार भी पंजाबी पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब देने में सबसे आगे थे और दूसरी ओर पंजाबियों ने अपने हिस्से का पानी भी बचाया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लगभग 20 दिनों तक राज्य के मेहनती और जागरूक लोगों ने हरियाणा और केंद्र को पंजाब से एक भी बूंद पानी चोरी नहीं करने दिया।

उन्होंने कहा कि सालों से बी.बी.एम.बी. के माध्यम से पंजाब के पानी को दूसरे राज्यों की ओर मोड़ा गया है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस, अकाली और भाजपा के हाथ पंजाबियों के खून से रंगे हुए हैं क्योंकि इन पार्टियों ने अपने निजी हितों के लिए राज्य के पानी के अधिकारों को नजरअंदाज कर के लोगों की पीठ में छुरा घोंपा है।

भगवंत मान ने कहा कि पंजाब के पहले नेताओं ने कई मुद्दों पर राज्य के हितों की बजाय अपने हितों को महत्व देकर लोगों की पीठ में छुरा घोंपा है।

उन्होंने कहा कि एक पूर्व मुख्यमंत्री को सतलुज-यमुना लिंक (एस.वाई.एल) नदी की योजना बनाने और इसके सर्वेक्षण के आदेश जारी करने के लिए गुड़गांव में प्लॉट मिला था, जहां आज उनका आलीशान होटल है।

भगवंत मान ने यह भी कहा कि पंजाब के पानी के स्व-घोषित रक्षक पूर्व मुख्यमंत्री ने कपूरी में एस.वाई.एल के शिलान्यास समारोह के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री को चांदी की कुल्हाड़ी भेंट की थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बी.बी.एम.बी. वास्तव में सतलुज और ब्यास नदियों के पानी के प्रबंधन के लिए स्थापित की गई थी, लेकिन सालों से पंजाब का पानी बी.बी.एम.बी. के माध्यम से दूसरे राज्यों की ओर मोड़ दिया गया है।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने अपने राजनीतिक हितों के लिए इस बोर्ड का उपयोग करना शुरू कर दिया है।

बी.बी.एम.बी. को एक सफेद हाथी बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मौजूदा रूप में पूरी तरह व्यर्थ और अस्वीकार्य है और साथ ही कहा कि पंजाब इसे अब कभी भी स्वीकार नहीं करेगा।

उन्होंने कहा कि विडंबना यह है कि दूसरे राज्यों के कर्मचारियों को राज्य के खजाने से वेतन दिया जा रहा है और वे सिर्फ पंजाब के हितों को नुकसान पहुंचाते हैं।

भगवंत मान ने कहा कि बी.बी.एम.बी. पंजाब के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए राज्य के पैसे का उपयोग करती है, जो बहुत ही निंदनीय है।

सतलुज-यमुना लिंक नहर की बजाय यमुना-सतलुज लिंक (वाई.एस.एल.) की वकालत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सतलुज नदी पहले ही सूख चुकी है और इसमें से एक बूंद भी पानी साझा करने का सवाल ही पैदा नहीं होता।

भगवंत मान ने कहा कि इसके बजाय गंगा और यमुना का पानी सतलुज नदी के माध्यम से पंजाब को आपूर्ति किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि राज्य में पानी की कमी की चिंताजनक स्थिति के मद्देनजर यह एकमात्र व्यवहार्य विकल्प है, जिस पर विचार किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्रफल में छोटा होने के बावजूद हरियाणा को पंजाब से अधिक पानी मिल रहा है और दुख की बात यह है कि वह पंजाब के हिस्से के पानी की मांग कर रहा है।

भगवंत मान ने कहा कि अगर हमारे अपने खेत सूखे हैं तो हम हरियाणा को पानी कैसे दे सकते हैं।

उन्होंने कहा कि आज राज्य के लगभग 60 प्रतिशत खेतों को नहरों के माध्यम से सिंचित किया जा रहा है, जिसके कारण पंजाब के हिस्से के पानी की हर बूंद बहुत कीमती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के पास किसी अन्य राज्य को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है।

भगवंत सिंह मान ने कहा कि 6 अप्रैल को हरियाणा ने पंजाब से पीने के पानी की मांग की थी।

उन्होंने कहा कि दरियादिली दिखाते हुए पंजाब ने अपने हिस्से में से हरियाणा को चार हजार क्यूसेक पानी दिया क्योंकि हमारे गुरुओं ने हमें सिखाया है कि प्यासे को पानी देना एक महान पुण्य है।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया, जबकि कैबिनेट मंत्री बरिंदर गोयल ने रैली में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों और लोगों का धन्यवाद किया।

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