Prabhat Times
Chandigarh चंडीगढ़। (punjab delegation calls on 16th fanance commission chairman) पंजाब सरकार के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल, जिसमें वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल चीमा, मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा और गृह एवं वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक शेखर शामिल थे, ने आज नई दिल्ली में 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन डॉ. अरविंद पनगढ़िया से मुलाकात की।
इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने राज्य में हाल ही में आई दशकों की सबसे भयावह बाढ़ का हवाला देते हुए, जिससे फसलों, मकानों और बुनियादी ढांचे को 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है, पंजाब के लिए एक विशेष दीर्घकालीन पुनर्वास पैकेज की जोरदार मांग रखी।
वित्त मंत्री ने इस मौके पर एक प्रमुख सीमावर्ती राज्य के रूप में पंजाब की विशिष्ट स्थिति, हाल की प्राकृतिक आपदाओं और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में बदलाव से उत्पन्न संरचनात्मक घाटों के कारण राज्य के वित्त पर पड़े भारी दबाव का विस्तार से उल्लेख किया।
वित्त मंत्री ने राज्य आपदा प्रबंधन कोष (एसडीआरएफ) के नियमों में सुधार की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए चर्चा की शुरुआत की।
उन्होंने कहा कि मौजूदा एसडीआरएफ नियम अत्यधिक प्रतिबंधात्मक और कठोर साबित हुए हैं, जो समय पर और पर्याप्त राहत प्रदान करने की राज्य सरकार की क्षमता को गंभीर रूप से सीमित करते हैं।
उन्होंने कहा कि इसलिए राज्य-विशिष्ट आपदाओं के लिए लचीले नियम शामिल करने हेतु इन दिशा-निर्देशों की व्यापक समीक्षा आवश्यक है।
वित्त मंत्री ने बताया कि पंजाब के एसडीआरएफ में इस समय कुल 12,268 करोड़ रुपये की बकाया राशि में से 7,623 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में है।
उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कोष (एनडीआरएफ) की तरह ब्याज मुक्त रिज़र्व फंड में बदला जाना चाहिए।
वित्त आयोग के चेयरमैन ने पंजाब के वित्त मंत्री की इस चिंता को स्वीकार किया और भरोसा दिलाया कि इस विषय पर आयोग के सदस्यों के साथ होने वाली अगली बैठक में विचार-विमर्श किया जाएगा।
16वें वित्त आयोग के साथ पिछली बैठक में राज्य द्वारा उठाई गई मांगों को दोहराते हुए, वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने शत्रु देशों से सटी सीमावर्ती राज्यों को विशेष वित्तीय सहायता देने की ठोस दलील दी।
उन्होंने आयोग को बताया कि पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव, विशेषकर इस साल की शुरुआत में “ऑपरेशन सिंधूर” के मद्देनज़र, रोज़मर्रा की ज़िंदगी, औद्योगिक गतिविधियों और माल परिवहन में बार-बार व्यवधान आने से सीमावर्ती जिलों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब को ड्रोन घुसपैठ, सीमा पार तस्करी और नार्को-आतंकवाद जैसी विशिष्ट सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनसे निपटने के लिए निरंतर और भारी निवेश की आवश्यकता है।
वित्त मंत्री ने चेयरमैन को बताया कि राज्य बीएसएफ के सहयोग से एक प्रभावी दूसरी रक्षा पंक्ति बनाने के लिए बुनियादी ढांचे और पुलिस आधुनिकीकरण में भारी निवेश कर रहा है।
उन्होंने पुलिस बलों और कानून-व्यवस्था से जुड़े ढांचे को मजबूत करने के लिए 2,982 करोड़ रुपये के विशेष सीमा क्षेत्र पैकेज की मांग की, जिसका उल्लेख राज्य ने आयोग को सौंपे अपने ज्ञापन में किया है।
उन्होंने कहा कि यह सहायता राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है।
वित्त मंत्री चीमा ने सीमावर्ती जिलों के लिए एक विशेष औद्योगिक पैकेज की भी मांग की। उन्होंने कहा कि सीमा तनाव के कारण सीमित औद्योगिक गतिविधियों से ये जिले प्रति व्यक्ति आय में लगातार राज्य की औसत से पीछे रह रहे हैं।
वाघा सीमा, जो एक महत्वपूर्ण व्यापारिक गलियारा है, के बंद होने से प्रति वर्ष 5,000-8,000 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हो रहा है।
उन्होंने कहा कि इस संरचनात्मक घाटे को दूर करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक पुनरुत्थान और रोजगार सृजन हेतु एक विशेष औद्योगिक विकास पैकेज आवश्यक है।
पंजाब ने इस पैकेज के लिए कुल 6,000 करोड़ रुपये की मांग की है, जिसमें औद्योगिक विकास, रख-रखाव और प्रोत्साहन के लिए फंड शामिल हैं।
यह पैकेज पड़ोसी क्षेत्रों हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को पहले से दिए गए समान पैकेजों के अनुरूप है।
वित्त मंत्री ने जीएसटी शासन लागू होने के नकारात्मक वित्तीय प्रभावों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्य करों के जीएसटी में समावेश के कारण पंजाब को प्रति वर्ष 49,727 करोड़ रुपये का स्थायी नुकसान हुआ है, जिसके लिए कोई मुआवज़ा नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा कि हाल ही में जीएसटी में लाई गई तार्किकता के संभावित प्रभावों से इस आंकड़े में और वृद्धि हो सकती है।
राज्यों के लिए अधिक वित्तीय संभावनाएं और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए, वित्त मंत्री ने 16वें वित्त आयोग को कई महत्वपूर्ण सिफारिशें पेश कीं।
इनमें राज्यों के हिस्से को विभाज्य पूल का 50% (वर्तमान 42% से अधिक) करना और विभाज्य पूल में सेस, सरचार्ज और चुनिंदा गैर-कर राजस्व को शामिल करना प्रमुख हैं।
इसके अलावा, उन्होंने 15वें वित्त आयोग द्वारा दी गई राजकोषीय घाटा अनुदान की तर्ज़ पर पंजाब के लिए 75,000 करोड़ रुपये की विकास अनुदान की मांग भी रखी।
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने इस अवसर पर राज्य की नवीनतम वित्तीय स्थिति प्रस्तुत की, जिसमें वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 23,957 करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा और 34,201 करोड़ रुपये का वित्तीय घाटा दिखाया गया, जिसमें ऋण-से-जीएसडीपी अनुपात 44.50% है।
उन्होंने दोहराया कि 16वें वित्त आयोग द्वारा अनुकूल सिफारिश पंजाब के लिए अपनी सुरक्षा जिम्मेदारियों को निभाने और आर्थिक घाटे को दूर करने के लिए आवश्यक है।
सकारात्मक माहौल में हुई इस बैठक के दौरान वित्त आयोग के चेयरमैन डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।
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