Prabhat Times
चंडीगढ। पंजाब की राजनीति उफान पर है। विधानसभा चुनाव 2022 (Vidhan Sabha Election 2022) से ठीक पहले पंजाब में सत्ता पक्ष कांग्रेस में मची अंर्तकलह शांत होने का नाम नहीं ले रही है। इसी उठापटक के बीच खबर आई है कि हाईकमान ने इस विवाद को शांत करने के लिए प्लान तैयार कर लिया है। सूत्रों की मानें तो जुलाई के पहले हफ्ते में ही इस बारे में घोषणा की जा सकती है।
अति सुविज्ञ सूत्रों से पता चला है कि प्लान मुताबिक मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ही पंजाब कांग्रेस के कप्तान रहेंगे, लेकिन हाईकमान ने उनके लिए चुनौतियां भी बढ़ा दी हैं। हाईकमान की ओर से उनको कड़ा ‘होमवर्क’ दिया गया है। दूसरी ओर, कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच की दूरियों को नज़दीकीयों में बदलने की कोशिश की जा रही है। सिद्धू को भी आलाकमान एडजस्‍ट करेगी और का‍ेशिश है कि इससे सिद्धू संतुष्‍ट हों।
जानकारी के मुताबिक कांग्रेस हाईकमान द्वारा गठित की कमेटी ने जिस प्रकार से पार्टी हाईकमान के निर्देश पर 18 नुक्तों का ‘होमवर्क’ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को दिया है, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि कैप्टन ही पंजाब के ‘कैप्टन’ होंगे। वहीं, पार्टी हाईकमान ने 18 नुक्तों के जरिये कई नामुमकिन दिखने वाले कामों की जिम्मेदारी का भार भी मुख्यमंत्री के कंधों पर डाल दिया है, क्योंकि बेअदबी मामलों में इंसाफ दिलवाना, ट्रांसपोर्ट माफिया को खत्म करना, निजी थर्मल प्लाटों के साथ बिजली खरीद समझौते को रद्द करना मुख्यमंत्री के लिए आसान नहीं होंगे।  इसमें कई कानूनी पहलू भी है।

एक तीर से दो शिकार

वहीं, कांग्रेस ने एक तीर से दो शिकार किए है। एक तरफ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को 18 नुक्तों पर काम करके लोगों में बनी आम धारणा कि कांग्रेस और अकाली दल मिली हुई है को तोड़ने के लिए कहा है। वहीं, इसमें से ज्यादातर वह मुद्दे है, जिसे नवजोत सिंह सिद्धू व पार्टी के नेता उठाते रहे है। अगर कैप्टन इन मुद्दों का हल निकालते है तो पार्टी हाईकमान के सामने सिद्धू को यह कहने के लिए हो जाएगा कि उन्हें पार्टी में जो काम दिया जा रहा है, वह उसी जिम्मेदारी को निभाए।
वहीं, अगर कैप्टन 18 नुक्तों पर पार्टी के इच्छानुसार हल नहीं निकाल पाते हैं तो हाईकमान 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में यह फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होगी कि वह किसे अपना चेहरा बनाए। राहुल गांधी लगातार पार्टी के नेताओं से यह भी जानकारी जुटा रहे है कि अगर 2022 में कैप्टन कांग्रेस का चेहरा नहीं होंगे तो इसका क्या असर पड़ सकता है। हालांकि, यह तय माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान कैप्टन के वर्तमान कार्यकाल में कोई भी खलल पैदा करने के मूड में नहीं है।

पंजाब के असंतुष्‍टो से तो मिले राहुल गांधी, लेकिन कैप्टन से नहीं

वहीं, कैप्टन दूसरे कार्यकाल में पहला ऐसा मौका है जब वह इतना असहज हुए है। राहुल गांधी ने कांग्रेस के नेताओं से तो मुलाकात की, लेकिन मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं की। राहुल से मुलाकात करने वाले एक वरिष्ठ नेता ने बताया, इस बार स्थिति पहले जैसी नहीं है। राहुल पंजाब के मामलों को लेकर बेहद गंभीर है। संभवत: वह किसी नतीजे पर भी पहुंच चुके है, क्योंकि जिस प्रकार से वह क्यों, किसलिए, विकल्प आदि पर जोर दे रहे है, उससे स्पष्ट होता है कि आने वाले दिनों में पार्टी में कुछ बड़े बदलाव देखने को मिल सकते है।
कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने एक बार फिर नवजोत सिंह सिदधू को पार्टी के लिए अतिमहत्वपूर्ण बताया है। रावत ने सिद्धू को दिल्ली भी बुलाया है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सिद्धू को किसलिए बुलाया गया है। बता दें कि पिछले दिनों जब सिद्धू ने प्रेस कांफ्रेंस की थी तो रावत ने सख्त शब्दों में इसे गलत बताया था। अब देखना होगा कि कांग्रेस पार्टी का अंतरकलह का क्या हल निकालती है।

सोनिया से बिना मिले लौटे थे कैप्टन

विवाद शांत करने के लिए गठित तीन सदस्यीय कमेटी से मिलने के पश्चात कैप्टन अमरिंदर वापस लौट आए थे। चर्चा यहां तक रही कि कैप्टन अमरिंदर इस मामले में ज्यादा खुश नहीं हैं। पिछली बार उन्हें हाईकमान ने जैसे पूरी ताकत सौंप दी थी लेकिन इस बार हाईकमान का रवैया उनके प्रति बदला-बदला नजर आया है। पता चला है कि कैप्टन ने इस बार जो भी मांगें कमेटी के सामने रखीं, उन्हें ध्यानपूर्वक सुना तो गया लेकिन उन्हें स्वीकार नहीं किया गया। कमेटी से मिलने के पश्चात सोनिया गांधी से समय नहीं मिला तो वे वापस लौट आए थे।

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