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Moga मोगा। पंजाब सरकार ने मोगा की एडीसी और नगर निगम कमिश्नर चारूमिता को सस्पेंड कर दिया है।

चीफ सेक्रेटरी केएपी सिन्हा ने इस संबंध में गुरुवार को आदेश जारी किए। चीफ सेक्रेटरी ने इसके लिए पंजाब सिविल सेवाएं (सजा एवं अपील) रूल्स 1970 के नियमों का हवाला दिया है।

चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि सस्पेंशन के दौरान चारूमिता का हेडक्वार्टर चंडीगढ़ रहेगा और वह संबंधित अथॉरिटी की मंजूरी के बगैर यहां से बाहर नहीं जाएंगी।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक धर्मकोट से बहादुरवाला से गुजरते नेशनल हाईवे के लिए जमीन एक्वायर की गई थी। इस दौरान मुआवजे में ₹3.7 करोड़ रुपयों के लेन–देन में गड़बड़ी मिली थी।

जिसके बाद विजिलेंस ब्यूरो ने PCS अधिकारी चारुमिता के खिलाफ चार्जशीट तैयार की थी।

इस दौरान एक किसान ने उसे जमीन का मुआवजा नहीं मिला, जिस वजह से उसे कोर्ट जाना पड़ा। जिसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ।

इस मामले में अभी तक चारुमिता का बयान सामने नहीं आया है। हालांकि इससे पहले उन्होंने इस मामले को गलत करार दिया था। उनका कहना था कि मेरी इसमें कोई भूमिका नहीं है।

ये है मामला

पंजाब लोक निर्माण विभाग (PWD) ने 2014 बैच की पीसीएस अधिकारी चारुमिता की भूमिका पर सवाल उठाते हुए जांच विजिलेंस ब्यूरो को सौंपी थी।

चारुमिता पर नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट के लिए ₹3.7 करोड़ की जमीन अधिग्रहण में अनियमितता बरतने का आरोप था।

मामला उस समय का है, जब चारुमिता मोगा में एसडीएम थीं।

उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने 2019 में उस जमीन के लिए मुआवजा जारी कर दिया, जो 1963 में ही लोक निर्माण विभाग (PWD, बीएंडआर) फिरोजपुर द्वारा सड़क निर्माण के लिए अधिगृहीत की जा चुकी थी।

जांच में दावा किया गया था कि यह जमीन 5 दशक से सरकारी तौर पर इस्तेमाल हो रही थी लेकिन 2019 में इसका सीएलयू कर मुआवजा दे दिया गया। यही नहीं, यह हिस्सा पहले ही NHAI को दिया जा चुका था।

इसके दोबारा अधिग्रहण के लिए ₹3.7 करोड़ का मुआवजा जारी किया गया। यह मामला तब उजागर हुआ, जब कुछ अवार्डी कोर्ट पहुंचे और मुआवजा बढ़ाने की मांग की।

जब जांच की गई तो 1963 के अधिग्रहण से जुड़े रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं थे। इसके बाद हाईकोर्ट ने फिरोजपुर के DC को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया।

उन्होंने हाईकोर्ट में दी रिपोर्ट में बताया कि इसमें कई गड़बड़ियां हुई हैं। इसके अलावा 2021 से 2025 के बीच विरोधाभासी निशानदेही रिपोर्टें तैयार की गईं।

इसके बाद PWD के तत्कालीन प्रिंसिपल सेक्रेटरी रवि भगत ने भी अपने ऑब्जर्वेशन में कहा कि यह जमीन 1963 में ही सरकारी भूमि थी, फिर भी 2021 में इसमें छेड़छाड़ की गई।

विभाग ने तत्कालीन SDM चारुमिता की भूमिका पर सवाल उठाते हुए रिपोर्ट विजिलेंस को सौंप दी।

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