चंडीगढ़। किसानों के हक में तथा कृषि बिल के खिलाफ राष्ट्रपति को मिलने पहुंचे कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने आज बड़ा ऐलान किया है।
कैप्टन अमरेंद्र ने ऐलान किया है कि राष्ट्रपति तथा केंद्र सरकार के उदासीन रवैये के खिलाफ वे बुधवार को राजघाट दिल्ली में सभी विधायकों, सांसदो के साथ धरना देंगे।
पंजाब में केंद्र सरकार द्वारा लागू किए कृषि बिलों के खिलाफ किसान जत्थेबंदियों में भारी रोष देखने को मिल रहा है। सियासत का समीकरण भी पूरी तरह से बदला हुआ नजर आ रहा है।
इसी सिलसिले में पंजाब विधानसभा द्वारा पास बिलों को लेकर मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह 4 नवंबर को राष्ट्रपति से मुलाकात करना चाहते थे परन्तु राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बैठक का समय नहीं दिया। राष्ट्रपति भवन से इस संबंधी सूचना भेज दी गई है।
कल राजघाट पर धरना प्रदर्शन करेंगे कैप्टन
इस मामले में तीखीं प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने धरने पर बैठने की घोषणा कर दी है। कैप्टन ने कहा कि दिल्ली के राजघाट में वे सभी विधायकों के साथ धरना प्रदर्शन करेंगे।
इसी के साथ-साथ वह राज्य के बिजली संकट, मालगाड़ियों की आवाजाही और आवश्यक आपूर्ति की स्थिति का भी खुलासा करेंगे।
गौरतलब है कि कृषि कानूनों के कारण अमरेंद्र सिंह की 4 नवम्बर को राष्ट्रपति से भेंट ने पंजाब में मध्यावधि चुनावों की अटकलें तेज हो गई थी।
दरअसल मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों के साथ मिल कर चार नवंबर को राष्ट्रपति को मिलना था।
पंजाब विधानसभा के स्पेशल सेशन के दौरान कृषि कानूनों के खिलाफ राज्य सरकार ने विधेयक पास किये थे जिसके संदर्भ में कैप्टन राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की थी।
उन्होंने 29 अक्तूबर को सभी विधायकों को भी राष्ट्रपति को मिलने के लिए उनके साथ दिल्ली चलने का कहा था परन्तु राष्ट्रपति की तरफ से मुलाकात करने से साफ़ इंकार कर दिया।
करीब एक महीने पहले से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अभी तक थमता नजर नहीं आ रहा। हर दिन किसानों द्वारा नेताओं के घरों का घेराव कर उनके खिलाफ जमकर भड़ास निकाली जा रही है।
इनके विरोध में अलग-अलग जत्थेबंदियों और पंजाबी कलाकारों द्वारा जगह-जगह पर धरने लगाए जा रहे हैं।
इन धरनों में पंजाबी कलाकार भी किसानों के साथ खड़े हैं और अपना योगदान दे रहे हैं।
गौरतलब है कि कृषि कानूनों के कारण पंजाब में सियासत पूरी तरह से गर्मा गई है। शिरोमणि अकाली दल ने अपना भाजपा के साथ 24 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की तरफ से भी केंद्र के खिलाफ जमकर विरोध किया जा रहा है।
पंजाब में विधान सभा चुनावों को करीब सवा वर्ष बाकी है। फरवरी 2022 को विधानसभा चुनावों का समय है। परन्तु राज्य में चुनावी सक्रियता अभी से तेज़ हो गई है।