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Ayodhya अयोध्या। (pranpratishtha see first picture for ram lalla) अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा से 3 दिन पहले शुक्रवार 19 जनवरी को रामलला की पहली तस्वीर सामने आई।

नीले और काले पत्थर से बनी मूर्ति में भगवान का विहंगम स्वरूप दिखाई दे रहा है। हालांकि, उनकी आंखों पर पट्‌टी है। 5 साल के रामलला के चारों तरफ आभामंडल बनाया गया है।

इसमें सनातन धर्म के चिह्न बनाए गए हैं। जैसे-शंख, ओम। रामलला के सिर पर भगवान सूर्य की प्रतिमा उकेरी गई है।

दाहिनी हाथ से रामलला आशीर्वाद दे रहे हैं। बाएं हाथ से भगवान धनुष-बाण पकड़ेंगे। रामलला को सोने का मुकुट पहनाया गया है।

रामलला की आंखों से पट्‌टी 22 जनवरी को खोली जाएगी। ये प्रतिमा गर्भगृह में स्थापित हो गई है। अभी प्राण-प्रतिष्ठा से जुड़े कर्मकांड चल रहे हैं।

इसलिए मूर्ति चादर से आधी ढंकी हुई है। इसकी एक तस्वीर गुरुवार 18 जनवरी की शाम को भी सामने आई थी।

22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला को सोने की सलाई से काजल लगाएंगे। इसके बाद उन्हें शीशा दिखाएंगे।

मूर्ति के दाएं से बाएं भगवान विष्णु के 10 अवतारों के चित्र हैं। इनमें मत्स्य, वराह, कूर्म, वामन, नरसिंह, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि अवतार हैं।

इसके अलावा ऊपर धार्मिक चिह्न बनाए हैं। जैसे- स्वास्तिक, ओम, चक्र, गदा। सिर्फ मूर्ति की नख से सिर तक उसकी ऊंचाई 51 इंच है।

बाकी, चारों तरफ जो आभा मंडल बना हुआ है, उसकी ऊंचाई अलग है। मूर्ति का वजन करीब 200 किलो बताया जा रहा है।

रामलला की 3 तस्वीरें देखिए…

भगवान राम के चारों तरफ बने आभामंडल के दोनों तरफ ऊपरी हिस्से सनातन धर्म के प्रतीक बनाए गए हैं। जैसे- ओम, शंख।

भगवान राम के चारों तरफ बने आभामंडल के दोनों तरफ ऊपरी हिस्से सनातन धर्म के प्रतीक बनाए गए हैं। जैसे- ओम, शंख।रामलला दाहिने हाथ से आशीर्वाद दे रहे हैं।रामलला दाहिने हाथ से आशीर्वाद दे रहे हैं।

रामलला के चारों तरफ भगवान विष्णु के 10 अवतारों को भी उकेरा गया है।

रामलला के चारों तरफ भगवान विष्णु के 10 अवतारों को भी उकेरा गया है।

कर्नाटक के कलाकार योगीराज ने बनाई है रामलला की मूर्ति

रामलला की प्रतिमा तैयार करने वाले 37 साल के अरुण योगीराज कर्नाटक के रहने वाले हैं। वो​​​​​ ​मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं।

उन्होंने 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से MBA किया। फिर एक निजी कंपनी के लिए काम किया। इसके बाद उन्होंने प्रतिमा बनाने का काम शुरू किया। उन्हें बचपन से प्रतिमाएं बनाने का शौक था।

अरुण योगीराज ने ही जगदगुरु शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा का निर्माण किया था, जिसे केदारनाथ में स्थापित किया गया है।

इंडिया गेट पर 2022 में स्‍थापित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी अरुण ने ही बनाई है। PM मोदी भी उनके काम की तारीफ कर चुके हैं।

रामलला की 3 प्रतिमाएं बनवाई गई थीं

अयोध्या के राम मंदिर के गर्भगृह के लिए रामलला की 3 प्रतिमाएं बनवाई गई थीं। तीनों की लंबाई 51-51 इंच है।

तीनों प्रतिमाओं में कमल आसन पर विराजमान रामलला के 5 साल के बाल स्वरूप को दर्शाया गया है। इसमें एक प्रतिमा मकराना पत्थर और दो कर्नाटक के पत्थरों से तैयार की गईं।

एक प्रतिमा गर्भगृह में स्थापित कर दी गई है। बाकी की दो प्रतिमाएं राम मंदिर के अलग-अलग फ्लोर पर स्थापित होंगी।

दो प्रतिमाएं काले पत्थर तो एक संगमरमर की है

दो प्रतिमाएं दक्षिण के कलाकारों (गणेश भट्ट और अरुण योगीराज) ने बनाईं, जबकि एक राजस्थान के सत्यनारायण पांडेय ने बनाई है। दक्षिण की मूर्तियां काले पत्थर की हैं। सत्यनारायण पांडेय की बनाई प्रतिमा संगमरमर की है।

1000 साल से ज्‍यादा समय तक सुरक्षित रहेगा मंदिर, 6.5 की तीव्रता का भूकंप भी कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा, जानें राम मंदिर की खूबियां

राम मंदिर प्राण प्रतिष्‍ठा पूजन का आज चौथा दिन है. गुरुवार को रामलला की मूर्ति को गर्भगृह में बने आसन पर पहुंचाया जा चुका है.

आज श्रीरामलला वैदिक मंत्रों के साथ औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास किया जाएगा. 22 जनवरी को राम भक्‍तों का वर्षों का इंतजार खत्‍म हो जाएगा और प्राण प्रतिष्‍ठा की रस्‍म पूरी होने के साथ ही इस दिन ‘राम लला’ मंदिर में विराजमान हो जाएंगे.

राम मंदिर में ‘राम लला’ के आगमन को विशेष बनाने के लिए मंदिर को बेहद खास तरीके से तैयार किया गया है. आइए इस मौके पर आपको बताते हैं राम मंदिर की खूबियां-

कितना बड़ा है राम मंदिर?

राम मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया जा रहा है. ये मंदिर 3 मंजिल का होगा. मंदिर का परिसर कुल 57 एकड़ का है, जिसमें से 10 एकड़ में मंदिर बनाया गया है.

मंदिर की लंबाई 360 फीट, चौड़ाई 235 फीट, ऊंचाई 161 फीट है. मंदिर में 5 मंडप, 318 खंभे हैं. एक खंभा 14.6 फीट का है.

मंदिर का काम करीब 55% तक पूरा हो चुका है. बाकी का काम साल 2024 के अंत तक पूरा होने की उम्‍मीद है. मंदिर का ग्राउंड फ्लोर यानी गर्भग्रह तैयार हो चुका है. पहली मंजिल भी 80% बन चुकी है.

ये हैं मंदिर की खूबियां

– मंदिर को मजबूत बनाने के लिए खास जोर दिया गया है. इसकी नींव 15 फीट गहरी है और फाउंडेशन पूरी तरह स्‍टोन से बना है. मंदिर में लोहे या स्‍टील का इस्‍तेमाल नहीं किया गया है. कहा जा रहा है कि ये मंदिर 1000 सालों से भी ज्‍यादा समय तक सुरक्षित रहेगा.

– मंदिर का निर्माण इस तरह से किया गया है कि रिक्‍टर स्‍केल पर 6.5 की तीव्रता का भूकंप भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा. मंदिर की नींव में सावधानीपूर्वक 47 परतें बिछाई गई हैं. कहा जा रहा है कि नींव के लिए इस्‍तेमाल होने वाली मिट्टी 28 दिनों में पत्‍थर में बदल सकती है.

– राम मंदिर में कुल 46 दरवाजे लगेंगे. इनमें से 42 पर 100Kg सोने की परत चढ़ाई जाएगी. सीढ़ियों के पास 4 दरवाजे लगेंगे जिन पर सोने की परत नहीं होगी. मंदिर के दरवाजों को महाराष्ट्र की सागौन की लकड़ी से बनाया गया है. इन पर हैदराबाद के कारीगरों ने नक्काशी का काम किया है.

– मंदिर के निर्माण में 17000 ग्रेनाइट पत्‍थरों के साथ राजस्‍थान के मिर्जापुर और बंसी-पहाड़पुर के गुलाबी बलुआ पत्‍थर और नक्‍काशीदार संगमरमर का इस्‍तेमाल किया गया है.

– नृत्य मंडप में देवी देवताओं की मूर्तियां, रामायण की चौपाइयां पत्थरों पर बहुत सुंदरता से उकेरी गई हैं. मंदिर को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि जो भी श्रद्धालु आएं, वे कम से कम 1 घंटे तक परिसर में रुकें.

– कॉरिडोर का परिक्रमा पथ 12 फीट चौड़ा है. इसकी दीवार को सुरक्षा कारणों से बाहर से काफी मजबूत बनाया गया है, वहीं अंदर से दीवारों पर सनातन धर्म से जुड़ी जानकारी होगी. मंदिर के हर स्‍तंभ पर धर्म के अनुसार चित्रों को उकेरा जाएगा.

– मंदिर में राम नवमी के दिन भगवान राम का अभिषेक सूर्य की किरणों से होगा. दोपहर के समय जब सूर्य दक्षिण की ओर होगा, तब मिरर और लेंस से सूर्य को रिफ्लेक्‍ट करवाकर भगवान के ललाट तक ले जाने की योजना है. इस पर आईआईटी रुड़की अभी काम कर रही है.

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