Prabhat Times
नई दिल्ली। (Petrol-Diesel Prices Hike) पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों से आम आदमी बुरी तरह से परेशान है. यही नहीं, डीजल की कीमतें (Prices) बढ़ने के कारण ट्रांसपोर्टेशन की लागत में बढ़ोतरी से रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों के दाम भी बढ़ (Inflation) गए हैं. ऐसे में लगातार पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Prices) में कटौती करने की मांग की जा रही है. इस बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने आज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती नहीं किए जाने की वजह बताई. उन्होंने कहा कि ईंधन की आसमान छूती कीमतों (Prices) के लिए पूर्व की कांग्रेसनीत संप्रग सरकार (UPA Government) जिम्मेदार है.
‘यूपीए सरकार ने जारी किए 1.44 लाख करोड़ के ऑयल बॉन्ड्स’
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि यूपीए सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Prices) को कम (Reduced Fuel Prices) करने के लिए 1.44 लाख करोड़ रुपये के ऑयल बॉन्ड्स (Oil Bonds) जारी किए. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार यूपीए सरकार के इस्तेमाल किए गए गलत तरीके का इस्तेमाल कर ईंधन की कीमतों (Prices) में कटौती नहीं कर सकती है. केंद्रीय मंत्री सीतारमण ने कहा कि यूपीए सरकार की ओर से जारी किए गए ऑयल बॉन्ड्स का बोझ (Burden of Oil Bonds) मोदी सरकार के ऊपर आ गया है. इसलिए हम पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती नहीं कर पा रहे हैं.
‘एक्साइज ड्यूटी में नहीं की जाएगी कोई कटौती’
केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि लोग पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंतित हैं. लोगों का चिंतित होना सही भी है. हालांकि, जब तक केंद्र और राज्य चर्चा नहीं करते हैं, तब तक पेट्रोल और डीजल की कीमतें (Prices) कम करने को लेकर कोई समाधान नहीं निकल पाएगा. उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में किसी तरह की कटौती नहीं की जाएगी. उन्होंने उत्पाद शुल्क में कटौती नहीं करने की वजह भी बताई.
‘5 साल में किया 70,195 करोड़ रुपये के ब्याज का भुगतान’
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकारी खजाने पर यूपीए सरकार की ओर से जारी किए गए ऑयल बॉन्ड्स के लिए किए जा रहे ब्याज भुगतान का भारी बोझ है. सरकार ने अभी तक केवल ऑयल बॉन्ड पर बीते पांच साल में 70,195.72 करोड़ रुपये के ब्याज का भुगतान किया है. साल 2026 तक हमें अभी 37 हजार करोड़ रुपये का भुगतान करना है. उन्होंने कहा कि ब्याज भुगतान के बाद भी 1.30 लाख करोड़ से अधिक का मूलधन बकाया है. अगर हम पर ऑयल बॉन्ड्स का भार नहीं होता तो हम ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने की स्थिति में होते.
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