Prabhat Times
Jalandhar जालंधर। (3 patients died due to oxygen plant fault in jalandhar civil hospital) करोड़ों रूपए के बजट से चल रहे जालंधर के सिविल अस्पताल में तीन मरीजों की मौत से हड़कंप मच गया है।
बताया जा रहा है कि ऑक्सीज़न प्लांट में खराबी के चलत आईसीयू में दाखिल तीनों पेशेंट जान गंवा बैठे।
इस बड़ी लापरवाही के बाद से सरकार हरकत में हैं। आधी रात के समय सेहत मंत्री बलबीर सिंह खुद सिविल अस्पताल पहुंच गए।
लापरवाही के दोषियों को ढूंढने के लिए 9 सदस्यीय कमेटी गठित की है जो कि 48 घण्टे में रिपोर्ट सबमिट करेगी।
जानकारी के मुताबिक जालंधर के सिविल अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में भर्ती तीन मरीजों की मौत हो गई है।
अस्पताल में हुई मरीजों की मौत का कारण अस्पताल के ऑक्सीजन प्लांट में आई तकनीकी खराबी को माना जा रहा है।
मरने वाले मरीजों के परिवार वालों का कहना था कि उनके परिवारिक सदस्यों को ऑक्सीजन मिलनी बंद हो गई, जिसके चलते उनकी मौत हुई है।
इस बात की खबर जैसे ही सिविल अस्पताल के डॉक्टरों तक पहुंची, अस्पलाल में हड़कंप मच गया।
घटना की सूचना मिलते ही अस्पताल के डॉक्टर व एसएमओ मौके पर पहुंच गए। उनका कहना था कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टर विनय ने खुद कहा कि ऑक्सीजन प्लांट में तकनीकी खराबी आई थी लेकिन उन्होंने अस्पताल प्रशासन का बचाव करते हुए कहा कि उक्त फॉल्ट को ठीक कर लिया गया था, यह मौते उसके बाद हुई हैं।
डॉक्टर विनय ने कहा कि मौतों और फॉल्ट के बीच संबंध की गहराई से जांच की जाएगी ताकि सच सामने आ सके।
सिविल प्रशासन की लापरवाही के कारण जिन मरीजों की मौत हुी है., उनमें एक मरीज सांप के डसने का इलाज करवा रहा था व दूसरा मरीज टीबी की बिमारी से पीड़ित था।
इनके अलावा तीसरा मरीज नशे की ओवरडोज के कारण अस्पताल में भर्ती हुआ था।
मृतकों की पहचान अर्चना (15), अवतार लाल (32) और राजू (30) के रूप में हुई है। अर्चना को 17 जुलाई को सर्प दंश के बाद भर्ती कराया गया था, अवतार लाल को 27 जुलाई को नशे की ओवरडोज के कारण भर्ती कराया गया था और राजू को 24 जुलाई को टीबी के इलाज के लिए भर्ती कराया गया था।
सिविल अस्पताल की लापरवाही से गई उनकी बेटी की जान
सर्पदंश का शिकार हुई मरीज अर्चना जो कि सिविल अस्पताल में इलाज करवा रही थी, इस हादसे का शिकार हो गई।
अर्चना के परिजनों का कहना है कि “हमारी बेटी अर्चना को सांप के काटने के कारण पिछले 7 दिनों से यहां भर्ती थी। हमारी बेटी को जिस मसीन से ऑक्सीजन सप्लाई दी जा रही थी, वह बंद हो गई थी।
हमने कईं बार पहले भी सिविल अस्पताल के स्टाफ को ऑक्सीजन बंद होने की शिकायत दी थी, लेकिन वह उसे नामात्र ठीक करके चले जाते।
आज हमारी बेटी की ऑक्सीजन फिर से बंद हो गई, जिसके कारण उसकी हालत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई।
उनकी बेटी की मौत सिविल अस्पताल की लापरवाही से हुई है। अगर समय रहते ऑक्सीजन सप्लाई ठीक कर दी जाती तो शायद हमारी बेटी बच जाती।
2 मिनट के लिए बंद रही सप्लाई
सेहत मंत्री बलबीर सिंह के अनुसार, रविवार रात करीब साढ़े 8 बजे ICU में ऑक्सीजन प्लांट से सप्लाई बंद हुई थी। इसके बाद ही डॉक्टरों और टेक्नीशियनों को पता चल गया था।
ऑक्सीजन प्लांट की गड़बड़ी के बारे में पता करने और उसे ठीक करने में उन्हें करीब 2 मिनट लग गए। इतने ही समय में 3 लोगों ने दम तोड़ दिया।
पंजाब के सेहत मंत्री डॉ. बलबीर सिंह देर रात करीब एक घंटे से ज्यादा समय तक सिविल अस्पताल जालंधर में रहे और डॉक्टरों व मरीजों से बातचीत की।
इसके बाद उन्होंने कहा- आईसीयू में दाखिल मरीजों की हालत काफी नाजुक थी। स्टाफ से पता लगा कि ऑक्सीजन के प्रेशर में दिक्कत आई थी, लेकिन एक से दो मिनट के गैप में ऑक्सीजन को शुरू कर दिया गया था।
सेहत मंत्री ने आगे कहा- मामले की गंभीरता को देखते हुए एक स्वतंत्र जांच टीम गठित की जा रही है, जिसकी अगुआई डिप्टी डायरेक्टर स्तर के अधिकारी करेंगे।
यह टीम सोमवार सुबह जालंधर पहुंचेगी और बिना किसी हस्तक्षेप के पूरे घटनाक्रम की स्वतंत्र जांच करेगी।
जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट सीधे मुझे सौंपी जाएगी, जिसके आधार पर अगली कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. बलबीर सिंह ने भरोसा दिलाया कि किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
9 मेंबर की करेगी मामले की जांच
देर रात सिविल अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात एमएस डॉ. राज कुमार ने कहा- मरने वाले 3 मरीज थे। मौत का कारण पता करने के लिए हमने 9 मेंबरी कमेटी गठित कर दी है।
2 दिन के अंदर कमेटी अपनी रिपोर्ट पेश करेगी और उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। मामले में जांच की जाएगी कि ये टेक्निकल फॉल्ट है या फिर हमारे किसी मुलाजिम की गलती है। मरने वाले सभी मरीज सीरियस थे।
डॉ. राज कुमार ने कहा- घटना में अगर किसी भी आधिकारिक स्तर पर कोई गलती पाई गई तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। कमेटी में अलग-अलग विभाग के अधिकारियों को शामिल किया गया है। जोकि अपने अपने तौर पर हर चीज की रिपोर्ट सौंपेंगे।
डीसी हिमांशु अग्रवाल ने कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी गई है, जो 72 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। जांच रिपोर्ट से स्पष्ट होगा कि मौतें ऑक्सीजन प्रेशर की कमी के कारण हुईं या फिर मरीज पहले से ही गंभीर स्थिति में थे, जिनका इलाज ICU में चल रहा था। कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही मौत का वास्तविक कारण स्पष्ट हो सकेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि जांच में किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी की लापरवाही सामने आती है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, अगर यह मामला किसी तकनीकी खराबी का हुआ, तो उसे सुधारने के पूरे प्रयास किए जाएंगे, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।
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