Prabhat Times
प्रीत सूजी (98140-66340)
जालंधर। (Mohinder Singh Kaypee will do damage to Congress in Doaba) दोआबा में कांग्रेस का स्तम्भ माने जाते के.पी. परिवार की नज़रअंदाज़ी पार्टी को भारी पड़ सकती है। पड़ सकती है नहीं जरूर पड़ेगी। इस नुकसान से बचने के लिए कांग्रेस हाईकमान द्वारा केपी को मनाने की कोशिश की गई है. केपी को सी.एम. के पास ले जाया गया है, लेकिन अगर बात नहीं बनी तो केपी जालंधर की कई सीटों पर नुकसान कर सकते हैं। लोकसभा चुनावों में जब केपी नाराज हुए थे तो उन्हें चेयरमैन पद देने का लॉलीपॉप देकर मना लिया गया था, लेकिन इस बार पार्टी का अपना कुछ कन्फर्म नही है, इसलिए केपी को देने लायक फिलहाल पार्टी के पास खुद का कुछ नहीं है। ऐसी स्थिति में केपी मानते है या नहीं। कुछ समय बाद पता लगेगा।
एक बार फिर पार्टी की अंदरूनी राजनीति का शिकार हुए मोहिन्द्र सिंह के.पी. अब पार्टी के किसी बहकावे में आने वाले नहीं है। वे ऐलान कर चुके हैं कि वे चुनाव अवश्य लड़ेंगे। कुछ भी हो मोहिन्द्र सिंह के.पी. दोआबा में कांग्रेस का गणित जरूर बिगाड़ देंगे। खासकर विधानसभा हल्का आदमपुर, जालंधर वैस्ट और जालंधर कैंट का। चाहे वे आजाद लड़े या किसी राजनीतिक पार्टी के साथ, जीते या हारें, नुकसान सिर्फ कांग्रेस का ही होगा।
बता दें कि शहीद दर्शन सिंह के.पी. परिवार की कांग्रेस और समाज को देन रही है। समाज और पार्टी के लिए शहादतें देने वाले मोहिन्द्र सिंह के.पी. को एक बार फिर राजनीति से बाहर निकालने की कोशिश की गई है। पहले लोकसभा चुनावों में दूसरे जिला में भेज कर फिर विधानसभा चुनावों में विधानसभा हल्का बदल दिया गया। हालांकि वे जीत नहीं पाए, लेकिन अपनी स्वच्छ व ईमानदार छवि के कारण इन हल्कों में अपनी छाप जरूर छोड़ गए। उनका स्वच्छ और बेदाग राजनीतिक कैरियर तो दूर सी.एम. चरणजीत चन्नी के परिवार से नज़दीकी रिश्तेदारी भी काम नहीं आई।
पार्टी की इंटरनल राजनीति का शिकार हुए मोहिन्द्र सिंह के.पी. चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। अब सभी के मन में सवाल ये कौंध रहा है कि आखिर वे चुनाव किस विधानसभा हल्के से लड़ेंगे? आजाद लड़ेंगे या किसी राजनीतिक यानिकि भारतीय जनता पार्टी, पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी के साथ? इन सवालो का जवाब एक दो दिन में मिल जाएगा। लेकिन चर्चाएं तेज है कि मोहिन्द्र सिंह के.पी. की बेदाग छवि को भुनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा जोड़-तोड़ शुरू कर दी गई है।
अति सुविज्ञ सूत्रों से पता चला है कि मोहिन्द्र सिंह के.पी. इस बार जालंधर वैस्ट से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं। चूंकि भगत चूनी लाल परिवार भाजपा का टक्साली चेहरा है, तो भाजपा हाईकमान द्वारा इस पर मंथन किया जा रहा है। हालांकि ये भी तर्क दिया जा रहा है कि पिछले चुनावों में केपी कुछ खास नहीं कर पाए थे, लेकिन पिछले चुनावो और मौजूदा चुनावों में राजनीतिक समीकरण लगभग सभी के सामने हैं। कांग्रेस की टक्कर सिर्फ भाजपा या अकाली दल से नहीं बल्कि पंजाब लोक कांग्रेस, आम आदमी पार्टी से भी है। लगभग हर सीट पर त्रिकोणीय और कड़ा मुकाबला है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस के कद्दावर नेता का पार्टी छोड़ना विरोधियों को ही फायदा देगा।
जालंधर वैस्ट में भाजपा के बैनर तले आते हैं तो बिगड़ेगा राजनीतिक गणित
राजनीतिक माहिरों का मानना है कि मोहिन्द्र सिंह के.पी. जालंधर वैस्ट हल्के का जाना माना चेहरा है। ऐसे में सत्ता प्राप्ति के लिए भाजपा भी बड़ा फैसला ले सकती है। अगर मोहिन्द्र सिंह के.पी. भाजपा-पंजाब लोक कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार होते हैं तो जालंधर वैस्ट में कांग्रेस का गणित गड़बड़ा जाएगा। मौजूदा समय में कांग्रेस के उम्मीदवार सुशील रिंकू सशक्त और मजबूत हैं। लेकिन उनके सामने चुनाव मैदान में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार शीतल अंगुराल होने के कारण चुनावी मुकाबला कुछ कड़ा माना जा रहा है। लेकिन अगर के.पी. उम्मीदवार बन कर आते हैं तो कांग्रेस का गणित बिगड़ जाएगा। क्योंकि के.पी. ज्यादातर कांग्रेस के वोट बैंक ही हथियाएंगे। ऐसी स्थिति में अब तक जहां जालंधर वैस्ट में त्रिकोणीय मुकाबला हो जाएगा। जो कि कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी करेगा।
आदमपुर हल्के में भी होगा कांग्रेस को नुकसान
राजनीतिक माहिरों का मानना है कि मोहिन्द्र सिंह के.पी. बेशक आदमपुर हल्के से चुनाव नहीं जीते, लेकिन उनका वर्कर उनसे खुश है। चरणजीत चन्नी के सी.एम. बनने से पहले और फिर सी.एम. बनने के पश्चात आदमपुर हल्का में उनकी गतिविधियां लगातार जारी रहे। आदमपुर को सब डिवीज़न बनाने, सड़क निर्माण सहित कई बड़े काम करवाए। बेशक टिकट मोहिन्द्र सिंह के.पी. को नहीं मिली, लेकिन सुबह उनके घर मे आदमपुर हल्के के पंचो सरपंचो, ब्लाक समिति सदस्यों को देख स्पष्ट है कि वे आदमपुर में भी कांग्रेस का गणित बिगाड़ने का दम रखते हैं।
जालंधर कैंट हल्का में भी है खासा रूतबा
जालंधर वैस्ट से जुड़ा होने के कारण मोहिन्द्र सिंह केपी का जालंधर कैंट हल्का में भी खासा रसूख है। चूंकि वे खुद भी माडल टाऊन में रहते हैं, इसलिए कैंट हल्का के सैंकड़ो परिवारों के साथ उनका पारिवारिक संबंध हैं। उनके साथ हुई पॉलिटिक्स को उनके समर्थक व जानकार इस बार हल्के से नहीं ले सकते और जालंधर कैंट हल्के में उनके मनोज अग्रवाल, बलबीर चौहान, सुखविन्द्र सिंह सुक्खा फोलड़ीवाल जैसे लॉयल और कद्दावर नेता आज भी केपी के साथ आज भी स्तंभ की तरह खड़े हैं।
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