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Chandigarh चंडीगढ़। कैबिनेट मंत्री श्री संजीव अरोड़ा ने आज यहां बताया कि पंजाब सरकार ने जनवरी 2025 में सभी इक्विटेबल मॉर्गेज (जहां जमीन को कोलेटरल के रूप में दिया जाता है) और अचल संपत्ति के गिरवीनामों यानी बैंक ऋणों के विरुद्ध कोलेटरल के रूप में रखे गए स्टॉक पर ऋण राशि का 0.25% स्टांप शुल्क और इक्विटेबल मॉर्गेज की रजिस्ट्री पर 1 लाख रुपये तक की सीमा के साथ अतिरिक्त 0.25% स्टांप शुल्क लागू किया था।

मीडिया को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री श्री संजीव अरोड़ा ने बताया कि पंजाब सरकार का राजस्व प्रदर्शन अच्छा रहा है। हालांकि, सीआईआई, पीएचडीसीसीआई, एपीएक्स चैंबर, सीआईसीयू, एफआईसीओ और एसएलबीसी जैसी कई औद्योगिक संस्थाओं ने इस व्यवस्था में दोहरे कर जैसे मुद्दों को उजागर किया था, क्योंकि अधिकांश औद्योगिक ऋणों में इक्विटेबल मॉर्गेज के साथ-साथ अचल संपत्ति का गिरवीनामा भी शामिल होता था।

अब तक किसी भी ऋणग्राही को इक्विटेबल मॉर्गेज पर 0.25% शुल्क, गिरवी रखने पर 0.25% शुल्क, और रजिस्ट्री (सीमित) पर 0.25% शुल्क देना पड़ता था, जो कुल मिलाकर लगभग 0.65% की दर से होता था।

यह राज्य के 14 लाख से अधिक पंजीकृत एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) के लिए विशेष रूप से एक बड़ा बोझ था, क्योंकि ये उद्यम सबसे अधिक रोजगार उत्पन्न करते हैं, जबकि यह अतिरिक्त खर्च उनके विकास और विस्तार में बाधा डाल रहे थे।

अधिक विवरण साझा करते हुए श्री अरोड़ा ने बताया कि पंजाब सरकार ने इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए नोटिफाइड दरों में संशोधन करने का निर्णय लिया है। इसके तहत अब कुल ऋण राशि पर, जिसमें इक्विटेबल मॉर्गेज और गिरवी दोनों शामिल होंगे, केवल 0.25% स्टांप ड्यूटी ही ली जाएगी, जिसकी अधिकतम सीमा 5,00,000 रुपए (केवल पांच लाख रुपये) होगी। साथ ही इक्विटेबल मॉर्गेज पर रजिस्ट्रेशन शुल्क 1,00,000 रुपए से घटाकर मात्र 1,000 रुपए कर दिया गया है।

उन्होंने बताया कि कैबिनेट के इस निर्णय के अनुसार भारतीय स्टांप अधिनियम (पंजाब संशोधन) में संशोधन लाने के लिए विधानसभा में एक विधेयक पेश किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह संशोधन पंजाब को देश के अग्रणी औद्योगिक राज्यों की श्रेणी में खड़ा करेगा और राज्य में व्यापार–अनुकूल माहौल का परिचायक होगा। इससे पंजाब बड़े निवेशों के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी बनेगा, ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस में बड़ा सुधार आएगा, और राज्य में क्रेडिट उपलब्धता व प्राप्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इसके परिणामस्वरूप निवेश, रोजगार और औद्योगिक विकास में भी व्यापक बढ़ोतरी होगी।

इस निर्णय के साथ, पंजाब अब इस श्रेणी में खर्चों के मामले में हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे अन्य राज्यों से बेहतर स्थिति में आ गया है।

 

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