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Chandigarh चंडीगढ़। पंजाब की 553 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सरहद पर अब सुरक्षा का नया अध्याय लिखा जा रहा है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य सरकार ने सीमाई सुरक्षा को लेकर जो कदम उठाए हैं, वे पूरे देश के लिए एक आदर्श उदाहरण बन चुके हैं।

नशा, हथियारों की तस्करी और ड्रोन घुसपैठ जैसी गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए पंजाब सरकार ने आधुनिक तकनीक, प्रशासनिक सजगता और जनसहभागिता पर आधारित एक ठोस ‘सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस’ तैयार की है, जिसने सीमा सुरक्षा को अभेद बना दिया है।

राज्य सरकार का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय रहा है — 9 अत्याधुनिक एंटी-ड्रोन सिस्टम्स की खरीद और तैनाती का।

लगभग ₹51.4 करोड़ की लागत से इन सिस्टम्स को सीमावर्ती ज़िलों में लगाया जा रहा है।

ये सिस्टम्स 10 किलोमीटर के दायरे में उड़ने वाले ड्रोन को न केवल पहचान सकते हैं बल्कि उनके ऑपरेटर की लोकेशन तक का पता लगा सकते हैं।

यह पहल पंजाब को देश का पहला ऐसा राज्य बनाती है जिसने अपने स्तर पर एंटी-ड्रोन कवरेज की नींव रखी है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान की यह दूरदर्शी पहल सीमा पार से होने वाली हर अवैध गतिविधि के खिलाफ एक शक्तिशाली तकनीकी कवच साबित हो रही है।

इसके साथ ही पंजाब सरकार ने सीमाई इलाकों में 3,000 एआई-सक्षम सीसीटीवी कैमरे लगाने की परियोजना को लगभग पूरा कर लिया है।

इनमें से करीब 2,300 कैमरे पहले ही सक्रिय हो चुके हैं, जो संदिग्ध गतिविधियों को तुरंत ट्रैक कर पुलिस कंट्रोल रूम तक अलर्ट भेजते हैं।

इस योजना पर ₹20 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि “अब पंजाब की सीमाओं पर हर हरकत पर नज़र रखने वाली हज़ारों आंखें मौजूद हैं, जो दिन-रात राज्य की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही हैं।”

जनसहभागिता को इस सुरक्षा व्यवस्था की सबसे मज़बूत कड़ी बनाया गया है।

राज्य सरकार ने सीमावर्ती इलाकों में 19,523 ग्राम रक्षा समितियाँ (Village Defence Committees) गठित की हैं, जिनमें स्थानीय नागरिक, पूर्व सैनिक, अध्यापक और युवा शामिल हैं।

ये समितियाँ गांव स्तर पर नशा और तस्करी के खिलाफ अभियान चला रही हैं तथा किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तत्काल सूचना पुलिस को दे रही हैं। इससे सरहदी क्षेत्रों में सामाजिक सतर्कता और जनता का जुड़ाव पहले से कहीं अधिक बढ़ा है।

इसके अतिरिक्त मान सरकार ने सीमाई इलाकों में 5,000 होम गार्ड्स की तैनाती का भी निर्णय लिया है।

यह पंजाब की अपनी ‘सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस’ है जो राज्य पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर सीमावर्ती क्षेत्रों में चौकसी सुनिश्चित कर रही है।

इन होम गार्ड्स को आधुनिक उपकरणों और प्रशिक्षण से लैस किया गया है ताकि वे हर चुनौती का तुरंत जवाब दे सकें।

यह पहल न केवल सुरक्षा को मज़बूती देती है बल्कि पंजाब के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोलती है।

सीमाई सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए पंजाब सरकार ने ₹110 करोड़ का विशेष बजट आवंटित किया है।

इसके अंतर्गत एंटी-ड्रोन सिस्टम, एआई कैमरा नेटवर्क, होम गार्ड्स की भर्ती, और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास को प्राथमिकता दी गई है।

इसके अलावा ₹40 करोड़ का अतिरिक्त फंड सीमाई विकास कार्यों के लिए जारी किया गया है — जिसमें ₹20 करोड़ CCTV नेटवर्क विस्तार, ₹10 करोड़ नए वाहनों की खरीद, और ₹10 करोड़ भवन व चेकपोस्ट निर्माण के लिए तय किए गए हैं।

पंजाब पुलिस ने सीमा पर हर 5 किलोमीटर पर 100 चेकपोस्ट स्थापित किए हैं, जिससे चौकसी व्यवस्था अभेद हो चुकी है।

अब हर वाहन और व्यक्ति की सख्त निगरानी की जा रही है। इन सभी प्रयासों से ड्रोन आधारित तस्करी में उल्लेखनीय कमी आई है, और कई बार तस्करी के प्रयास ड्रोन को सीमा पार लौटाने पर मजबूर कर चुके हैं।

मुख्यमंत्री भगवंत मान की नेतृत्व में पंजाब ने यह सिद्ध कर दिया है कि सीमाओं की रक्षा केवल सुरक्षा बलों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह तकनीक, प्रशासनिक दक्षता और जनता की एकजुटता का परिणाम है।

9 एंटी-ड्रोन सिस्टम्स, 3,000 एआई कैमरे, 19,523 ग्राम रक्षा समितियाँ, 5,000 होम गार्ड्स, ₹110 करोड़ सुरक्षा बजट, और ₹40 करोड़ इंफ्रास्ट्रक्चर अलोकेशन – इन सबके सम्मिलित प्रयासों ने पंजाब को सुरक्षित, सतर्क और आत्मनिर्भर सीमा वाला राज्य बना दिया है।

मान सरकार की यह नीति अब पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्रोत बन रही है।

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