Prabhat Times
Chandigarh चंड़ीगढ़। पंजाब की धरती, जो गुरुओं के आशीर्वाद और मानवीय मूल्यों के लिए जानी जाती है, आज एक नई क्रांति की साक्षी बन रही है।
यह क्रांति किसी सड़क या बिजली के खंभे की नहीं, बल्कि समाज के उस वर्ग के सम्मान और सशक्तिकरण की है, जिसे अक्सर “दिव्यांगजन” कहकर हाशिए पर डाल दिया जाता था।
मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने मूक-बधिर और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए जो काम किए हैं, वे केवल सरकारी योजनाएं नहीं, बल्कि संवेदना और सम्मान का एक पुल हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने उस वर्ग की ओर अपना हाथ बढ़ाया है, जिसने जीवन में सबसे अधिक चुनौतियों का सामना किया है- हमारे दिव्यांग भाई-बहन। यह केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं है, यह संवेदना का शिखर है।
यह अहसास है कि सरकार केवल सड़कों और इमारतों के लिए नहीं है, बल्कि उन मौन प्रार्थनाओं को सुनने के लिए है जो अब तक अनसुनी थीं।
मान सरकार ने दिव्यांगों के लिए जो काम किया है, उसे सिर्फ ‘कल्याणकारी कार्य’ कहना उनके महत्व को कम करना होगा।
यह दरअसल, हर दिव्यांग को सम्मान के साथ जीने का उसका मौलिक अधिकार लौटाने का एक विराट प्रयास है।
पंजाब की मान सरकार ने दिव्यांग बच्चों को सशक्त बनाने और उन्हें न्याय दिलाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की है।
अगस्त 2025 में, पंजाब ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत सांकेतिक भाषा के दुभाषियों, अनुवादकों और विशेष शिक्षकों को नियुक्त करने वाला भारत का पहला राज्य बनकर एक मिसाल कायम की है।
यह फैसला उन बच्चों के लिए वरदान साबित होगा, जिन्हें सुनने या बोलने में परेशानी होती है और जिन्हें अक्सर कानूनी और शैक्षिक प्रक्रियाओं में अनदेखा कर दिया जाता है।
यह पहल केवल कानूनी और राजनीतिक तक सीमित नहीं है।
पटियाला में एक तकनीकी समाधान “साइन लिंगुआ फ्रैंका” ‘sign lingua franca’ को विकसित करने का फैसला लिया गया है, जो बोले गए शब्दों को सांकेतिक भाषा में बदल देता है।
यह तकनीक उन लाखों लोगों के जीवन को बदल सकती है जो सुनने में असमर्थ है।
मान सरकार केवल योजनाओं की घोषणा नहीं कर रही, बल्कि तकनीक और मानवीय संवेदना का संगम करके वास्तविक बदलाव ला रही है।
मान सरकार की पहल यह दर्शाती है कि शासन केवल आंकड़ों से नहीं, बल्कि दिल से चलता है।
यह सिर्फ एक नीति नहीं, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा है—एक ऐसी यात्रा जो एक खामोश बच्चे को उम्मीद की राह दिखाती है।
इस कदम से पंजाब ने न केवल एक मिसाल कायम की है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि जब संवेदना और इच्छाशक्ति एक साथ मिलती है, तो बड़े से बड़े अवरोध भी दूर हो जाते हैं।
मान सरकार का यह हर दिव्यांग बच्चे के लिए एक मुस्कान और एक नए, सशक्त भविष्य का वादा है।
पंजाब, दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए अपनी विधानसभा में सांकेतिक भाषा लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है।
सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने यह जानकारी साझा करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने दिव्यांगजनों की चिंताओं को दूर करने के लिए यह अनूठी पहल की है।
जिसने दिव्यांगों को यह अहसास कराया कि वे भी इस समाज का अभिन्न अंग हैं। इससे उन्हें सरकार की नीतियों को समझने और अपनी राय रखने का मौका मिला।
डॉ. बलजीत कौर ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 40 के तहत, दिव्यांगजनों को उनके मानवाधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए संचार प्रणालियों को सुलभ बनाना आवश्यक है।
इसी क्रम में, पंजाब विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण, बजट सत्र और अन्य महत्वपूर्ण चर्चाओं का प्रसारण भी सांकेतिक भाषा में किया गया।
जीवन में आगे बढ़ने के लिए आवागमन सबसे बड़ी ज़रूरत है। सरकार ने दिव्यांगों को इस आर्थिक और शारीरिक बोझ से मुक्ति दिलाई है।
दिव्यांगजनों और नेत्रहीनों के मुफ़्त बस सफ़र के लिए ₹85 लाख जैसी बड़ी राशि जारी करके, सरकार ने लाखों लोगों को आर्थिक राहत प्रदान की है| ₹85 लाख! यह महज़ एक संख्या नहीं है।
यह लाखों सपनों का ईंधन है, जो दिव्यांगों और नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए मुफ़्त बस यात्रा की सुविधा को जारी रखेगा।
सोचिए, अब वे बिना किसी चिंता के स्कूल जा सकेंगे, अपने रोज़गार की तलाश कर सकेंगे, या अपनों से मिलने दूर तक का सफ़र तय कर सकेंगे।
यह पहल सिद्ध करती है कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में सरकार, सिर्फ़ घोषणाएँ नहीं, बल्कि दिल से काम करती है।
यह राशि उनके सम्मान में एक निवेश है, ताकि वे हर चुनौती को पार कर आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता के साथ समाज की मुख्य धारा में शामिल हो सकें।
सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने कहा कि मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार हर वर्ग के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और दिव्यांगजनों की सहायता और उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने पर विशेष ध्यान दे रही है।
डॉ. बलजीत कौर ने कहा कि अब तक पंजाब सरकार दिव्यांगजनों को वित्तीय सहायता के रूप में 287.95 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है, जिसका लाभ 2 लाख 76 हजार 175 पात्र लाभार्थियों को मिल चुका है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए चालू वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान 495 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया है।
डॉ. बलजीत कौर ने कहा कि दिव्यांगजनों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना पंजाब सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
इसलिए, वित्तीय सहायता के साथ-साथ रोजगार के अवसर, कौशल विकास और सुविधाजनक बुनियादी ढांचे के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाने के लिए तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य केवल मदद करना नहीं, बल्कि प्रत्येक दिव्यांगजन को आत्मनिर्भर बनाना है।
एक दिव्यांग व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा सपना होता है आत्मनिर्भरता। सरकार ने इस सपने को पूरा करने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया है।
सरकारी विभागों में दिव्यांग कोटे के तहत खाली पड़े 1754 सीधी भर्ती और 556 पदोन्नति के पदों को भरने के लिए विशेष अभियान शुरू किया गया है।
मान सरकार का सबसे बड़ा योगदान आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया गया कदम है। सरकार ने दिव्यांगों को उनके अधिकारों के तहत रोज़गार सुनिश्चित किया है और सरकार ने दशकों से चली आ रही अनदेखी को ख़त्म किया है।
मान सरकार का यह कदम उम्मीद की नई रोशनी बनकर आया है, जो बताता है कि एक विकसित समाज वह है, जहाँ कोई भी व्यक्ति, किसी भी कारण से, पीछे न छूटे।
यह फैसला भारत के अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणा बनेगा। मान सरकार की अगवाई मे पंजाब ने एक ऐसा रास्ता दिखाया है, जहाँ हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए, ताकि हमारे समाज का कोई भी हिस्सा पीछे न छूटे।
यह एक ऐसी कहानी है, जो दिलों को छू लेती है और हमें यह याद दिलाती है कि जब हम सब मिलकर चलते हैं, तो कोई भी दूरी असंभव नहीं होती।
पंजाब मे मान सरकार ने दिखा दिया कि एक छोटी सी शुरुआत कैसे एक बड़े और सकारात्मक बदलाव की नींव रख सकती है। यह केवल एक ‘काम’ नहीं, बल्कि एक ‘क्रांति’ है।
“मान सरकार ने साबित किया – सच्चा विकास तब होता है जब समाज का हर वर्ग अपनी ‘भाषा’ में खुद को व्यक्त कर सके।”
मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने यह साबित कर दिया है कि एक सच्ची लोक-कल्याणकारी सरकार वह होती है, जो समाज के सबसे कमजोर और जरूरतमंद वर्ग को सम्मान और अवसर दे।
पंजाब में दिव्यांगजनों के लिए किए गए ये कार्य केवल योजनाएँ नहीं हैं, बल्कि उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने और उन्हें गर्व से जीने का मौका देने की एक सच्ची कोशिश है।
आज पंजाब में हर दिव्यांग नागरिक को यह महसूस हो रहा है कि वह किसी दया का पात्र नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में एक समान भागीदार है।
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