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जालंधर। (Jalandhar Lok Sabha by poll will be exciting) जालंधर लोकसभा उप चुनाव के नतीजे बेहद हैरानीजनक और रोमांचक तो होंगे ही लेकिन उससे पहले हो रही राजनीतिक उठापटक, दांव-पेंच भी बेहद रोमांचक हैं।

इस समय कयास, चर्चाएं, उल्टाम-पल्टाम, राजनीतिक उठापटक सब गर्मा गर्म है। मौजूदा हालात ऐसे चल रहे हैं कि बड़े-बड़े राजनीतिक माहिर किसी भी प्रिडिक्शन से बचते नज़र आ रहे हैं।

जालंधर लोकसभा उप चुनाव के लिए राजनीतिक मंच ऐसे बने हैं, जहां एक साल पहले विभिन्न मुद्दों पर एक दूसरे को कोसते और असभ्य प्रचार करते नज़र आने वाले नेता अब एक दूसरे की तारीफों के कसीदे पढ़ते नज़र आने लगे हैं।

जिस प्रकार से कैंडीडेट को लेकर राजनीतिक उल्टाम-पल्टाम हुई और आने वाले एक दो दिनों में होने वाली है, उससे साफ है कि चुनाव नतीजे भी उल्टाम-पल्टाम वाले ही होंगे।

कांग्रेसियों के मुकाबले ‘कांग्रेसी’

कांग्रेसियों के मुकाबले ‘कांग्रेसियों’ के साथ ही होने जा रहे हैं। कांग्रेस द्वारा चौधरी परिवार में ही सीट अनाउंस करके चुनावी बिगुल बजाया।

सीट अनाउंस होने के समय मौजूदा राजनीतिक माहौल और सीट का इतिहास देखते हुए सभी कांग्रेस फेवर में थे। लेकिन किसे पता था कि आम आदमी पार्टी बड़ा दांव खेल जाएगी।

कांग्रेसियों (कर्मजीत कौर, कांग्रेसी उम्मीदवार) के मुकाबले काग्रेंसी (सुशील रिंकू पूर्व एमएलए) को ही चुनाव मैदान में उतार देगी। इससे भी चौंका देने वाली बात कि सुशील रिंकू को जिताने के लिए प्रचार करेंगे उनके कट्टर विरोधी रहे अंगुराल ब्रदर्स।

एक दूसरे के खिलाफ बोलने वाले रिंकू और अंगुराल ब्रदर्स अब एक दूसरे के समर्थन में भाषण देते नज़र आना शुरू हो गए हैं। कसीदे बेशक, हक में पढ़े जा रहे हों, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या वोटरों को ये दोहरी राजनीति समझ आएगी?

रिंकू के आप में शामिल होेन का खासा असर जालंधर वैस्ट की इंटरनल राजनीति में आने वाले दिनों में जरूर नज़र आना भी स्वाभाविक सा माना जा रहा है।

भाजपा उम्मीदवार को लेकर भी असमंजस

कांग्रेस, आप के बाद अब सभी की नज़रें भाजपा पर है। बड़ा सवाल ये है कि भाजपा किसे कैंडीडेट अनाउंस करती है।

कांग्रेस, आप की तरह ही कैंडीडेट को लेकर भाजपा में भी घमासान है। या फिर सीधे तौर पर कहें कि भारतीय जनता पार्टी संभवतः पहली बार पंजाब में लोकसभा चुनावो को इतने गंभीरता से ले रही है कि केंडीडेट फाईनल करने से पहले हर पहलू को बारीकी से खंगाला जा रहा है।

कुछ दिन पहले पंजाब पुलिस के रिटायर्ड डीसीपी राजेन्द्र सिंह के भाजपा जॉइन करते ही हर किसी की जुबान पर था कि अब भाजपा को सशक्त उम्मीदवार मिल गया है।

राजेन्द्र सिंह के अतिरिक्त कैंडीडेट के दावेदारों की लिस्ट में भाजपा के अपने स्वच्छ छवि वाले और पार्टी को समर्पित राजेश बाघा, विजय सांपला और तेज तर्रार युवा नेता रॉबिन सांपला का नाम चर्चा हो रही थी। लेकिन बीते दिन अचानक पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत चन्नी के नाम को लेकर खासा बवाल मचा रहा।

हालांकि पीपीसीसी प्रधान राजा वड़िंग द्वारा सोशल मीडिया पर चन्नी के साथ फोटो पोस्ट करके भाजपा जॉइन करने के कयासों पर विराम लगने की भी चर्चा है, लेकिन फिलहाल कयास चर्चाएं तब तक चलती रहेंगी जब तक भाजपा उम्मीदवार घोषित नहीं कर लेती।

अभी भी हाशिए पर अकाली-बसपा

जालंधर लोकसभा उप चुनावों में आप, कांग्रेस, भाजपा पार्टियों की चर्चा जोरशोर से हो रही है, लेकिन अकाली बसपा गठबंधन को लेकर किसी भी राजनीतिक माहिर या वोटर के जुबान पर चर्चा तक नहीं है।

इसका सीधा सा अनुमान लगाया जा रहा है कि राजनीतिक माहिर या वोटर इन चुनावों में अकाली-बसपा को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे।

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