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नई दिल्ली। (indian students facing the threat of deportation from canada got stay order) कनाडा से डिपोर्टेशन की आशंका झेल रहे कुछ भारतीय छात्र के मामले में भारत की लगातार कोशिशें रंग लाई हैं. उन छात्रों को वहां स्टे ऑर्डर मिल गया है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मामले पर कनाडा के विदेश मंत्री से बात की थी. साथ ही विदेश मंत्रालय और टोरोंटो के भारतीय कंसुलेट ने भी लगातार कोशिश की है.

कनाडा से कहा गया कि छात्रों की गलती नहीं है कि उनके साथ वीज़ा फ्रॉड हुआ है, इसीलिए मानवीय रुख़ अपनाया जाए. इस स्टे का स्वागत है. हालांकि मीडिया में 700 की जो संख्या रिपोर्ट की जा रही है, असल संख्या उससे कहीं कम है.

दरअसल कनाडा में कुछ भारतीय छात्रों को कथित रूप से फर्जी दस्तावेज जमा करने के लिए निर्वासन की धमकी दी गई थी.

इनमें से ज्यादातर छात्र 2017-2019 के दौरान कनाडा गए थे. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उनमें से कुछ ने वर्क परमिट प्राप्त किया, जबकि अन्य ने कनाडा में अध्ययन करना जारी रखा.

भारत इस मामले को कनाडा के अधिकारियों के साथ, कनाडा में और नई दिल्ली में उठाता रहा है.

विदेश मंत्री ने अपने कनाडाई समकक्ष के साथ भी बात की. विदेश मंत्रालय ने पूर्व सचिव ने इस साल अप्रैल में अपनी कनाडा यात्रा के दौरान ये मुद्दा उठाया था.

टोरंटो में भारतीय वाणिज्य दूतावास, जहां अधिकांश छात्र रहते हैं, उनमें से कई से मिले थे.

कनाडा के अधिकारियों से बार-बार निष्पक्ष रहने और मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया गया था, क्योंकि छात्रों की गलती नहीं थी.

यह भी बताया गया कि कनाडा प्रणाली में खामियां थीं, जिसके कारण छात्रों को वीजा दिया गया और उन्हें कनाडा में प्रवेश करने की अनुमति भी दी गई.

तब से, राजनीतिक दलों के कनाडाई सांसदों ने छात्रों के समर्थन में बात की है.

आप्रवासन मंत्री शॉन फ्रेज़ियर ने संकेत दिया है कि कनाडा अनिश्चितता का सामना कर रहे अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए सक्रिय रूप से एक समाधान का प्रयास कर रहा है.

पीएम जस्टिन ट्रूडो ने छात्रों के साथ उचित व्यवहार की आवश्यकता को स्वीकार किया है.

कुछ छात्रों को हाल ही में उनके निर्वासन नोटिस पर स्थगन आदेश प्राप्त हुए हैं.

यह स्वागत योग्य है कि भारत सरकार के लगातार प्रयासों ने कनाडा सरकार को मानवीय दृष्टिकोण अपनाने और छात्रों के दृष्टिकोण को स्वीकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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