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New Delhi नई दिल्ली। (india new name india may be renamed as bharat) देश का अंग्रेजी नाम बदलने को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है.

कांग्रेस पार्टी ने दावा किया है कि केंद्र सरकार ने इंडिया का नाम बदलकर भारत करने की कवायद शुरू कर दी है.

कांग्रेस ने जी20 सम्मेलन में होने वाले भोज का न्योता पत्र जारी किया है, जिसमें ‘द प्रेसिडेंट भारत’ के नाम से न्योता दिया गया है.

वहीं भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने मांग की है कि संविधान में इंडिया की जगह भारत शब्द कर देना चाहिए.

इतना ही नहीं सूत्रों का कहना है इंडिया की जगह भारत नाम को लेकर सरकार संसद के विशेष सत्र में बिल भी पेश कर सकती है.

बहरहाल भारत का अंग्रेजी नाम बदलता है या नहीं यह भविष्य बताएगा. मगर दुनिया में ऐसे कई देश हैं, जिन्होंने अपना नाम बदला है.

रिपब्लिक ऑफ इंडिया नहीं, ‘भारत’

दरअसल जी-20 शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर को दिल्ली में आयोजित होने जा रहा है.  इस सम्मेलन में बहुत से देश शामिल होने के लिए भारत आ रहे हैं.

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने जी-20 में शामिल होने के लिए दिल्ली आने वाले विदेशी राष्ट्राध्यक्षों और मुख्यमंत्रियों को डिनर के लिए आधिकारिक निमंत्रण भेजा है.

इस निमंत्रण में पहली बार रिपब्लिक ऑफ इंडिया की जगह रिपब्लिक ऑफ भारत शब्द का इस्तेमाल किया गया है.

राष्ट्रपति के भारत शब्द के इस्तेमाल को संघ प्रमुख मोहन भागवत की अपील से जोड़कर देखा जा रहा है.

मोहन भागवत ने की थी भारत करने की अपील

आरअसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दो दिन पहले यानी कि शुक्रवार को गुवाहाटी में कहा था कि सदियों से हमारे देश का नाम भारत है, इंडिया नहीं.  उन्होंने लोगों से भी देश के पुराने नाम के इस्तेमाल की अपील की थी.

मोहन भागवत ने यह बात गुवाहाटी में सकल जैन समाज के एक कार्यक्रम के दौरान कही थी. संघ प्रमुख ने कहा था कि हमारे देश का नाम भारत है इसलिए दुनिया में हम चाहे कहीं भी चले जाएं देश का नाम कहने, सुनने और लिखने हर जगह भारत ही रहना चाहिए.

अगर इसको कोई नहीं भी समझ पाता है तो इसकी चिंता आप बिल्कुल ना करें. अगर सामने वाले को समझने की जरूरत होगी तो वह इसे खुद ही समझ लेगा. आज दुनिया को हमारी जरूरत है. हम बिना दुनिया के चल सकते हैं लेकिन दुनिया हमारे बिना नहीं चल सकती.

क्या देश के नाम से ‘इंडिया’ हटाने वाली है मोदी सरकार? 

केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया है. समाचार एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि संसद के विशेष सत्र में सरकार ‘इंडिया’ शब्द हटाने के प्रस्ताव से संबंधित विधेयक पेश कर सकती है.

वहीं बीजेपी सांसद हरनाम सिंह ने कहा, ‘पूरा देश मांग कर रहा है कि हमें इंडिया की जगह भारत शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए.

अंग्रेजों ने इंडिया शब्द को एक गाली के तौर पर हमारे लिए इस्तेमाल किया, जबकि भारत शब्द हमारी संस्कृति का प्रतीक है. मैं चाहता हूं कि संविधान में बदलाव होना चाहिए और भारत शब्द को इसमें जोड़ना चाहिए.’

बयानबाजी के उलट आइए जानते हैं कि देश के संविधान में इसके नाम को लेकर क्या कहा गया है. संविधान विशेषज्ञों ने भारत नाम को कैसे स्वीकार किया और वे कौन से नाम थे, जिन पर संविधान सभा ने विचार किया था.

संविधान में क्या है देश का नाम? 

देश के संविधान के अनुच्छेद-1 में ही देश के नाम का जिक्र है. इसमें कहा गया है कि “इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा” (India, that is Bharat, shall be a Union of States). संविधान में ये इकलौता प्रावधान है जिसमें बताया गया है कि देश को आधिकारिक तौर पर क्या बुलाया जाएगा. इसी के आधार पर हिंदी में देश को ‘भारत गणराज्य’ और अंग्रेजी में ‘Republic of India’ लिखा जाता है.

संविधान में कैसे रखा गया नाम?

18 सितंबर 1949 को संविधान सभा की बैठक के दौरान नए बने राष्ट्र के नामकरण पर सभा के सदस्यों ने चर्चा की थी. इस दौरान सभा के सदस्यों की तरफ से विभिन्न नामों के सुझाव आए- भारत, हिंदुस्तान, हिंद, भारतभूमिक, भारतवर्ष. अंत में संविधान सभा ने फैसला लिया जिसमें ‘अनुच्छेद-1. संघ का नाम और क्षेत्र’ शीर्षक दिया गया.

अनुच्छेद 1.1 में लिखा गया- इंडिया, जो कि भारत है राज्यों का संघ होगा. अनुच्छेद 1.2 में कहा गया- राज्य और उनके क्षेत्र पहली अनुसूची में निर्दिष्ट अनुसार होंगे.

अब तक इन देशों ने बदले नाम

रिपोर्ट के मुताबिक आज दुनिया में 195 देश हैं और इनमें से कई ने विभिन्न कारणों से अपना नाम बदल लिया है. जैसे सीमा परिवर्तन, युद्ध और स्वतंत्रता, किसी नेता का सम्मान करना, देशों का विभाजन आदि कारणों के चलते कई देशों ने अपना नाम बदल लिया.

अधिकांश देशों ने अपने अतीत को मिटाने के लिए अपना नाम बदला, जबकि कुछ अन्य ने पर्यटन को आकर्षित करने के लिए ऐसा किया.

श्रीलंका – अंग्रेजों के राज में 1815 से लेकर 1948 तक श्रीलंका को सीलोन नाम से जाना जाता था. वहीं 20वीं सदी की शुरुआत होने के बाद जब आजादी का आंदोलन तेज हुआ तो देश का नाम श्रीलंका रखने की मांग ने भी जोर पकड़ लिया. इसके बाद 1972 में आधिकारिक तौर पर देश का नाम द रिपब्लिक ऑफ श्रीलंका रखा गया, जिसे 1978 में डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट ऑफ श्रीलंका किया गया.

बोत्सवाना – मार्च 1885 में ब्रिटेन ने बोत्सवाना का आधिकारिक तौर पर नाम बेचुयानालैंड रखा. लेकिन जब देश 30 सितंबर 1966 को आजाद हुआ तो देश का नाम बोत्सवाना रखा गया. यह नाम देश के सबसे बड़े जातीय समूह त्वाना के नाम पर रखा गया है.

इथोपिया – इथोपिया के उत्तरी हिस्से पर पहले अबीसीनिया साम्राज्य का शासन था. लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के दौरान राजा हेले सेलासी ने देश का नाम अबीसीनिया से इथोपिया कर दिया. हालांकि कुछ विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि इथोपिया का नाम हमेशा से यही था और अबीसीनिया नाम को अरबों ने प्रचलित किया.

जॉर्डन – मध्य पूर्व का देश जॉर्डन जब ब्रिटेन के अधीन था तो उसका नाम ट्रांजॉर्डन था. उसे 1946 में आजादी मिली और 1949 में देश का नाम फिर से द हाशेमिके किंगडम ऑफ जॉर्डन किया गया.

म्यांमार – म्यांमार को पहले बर्मा कहा जाता था. सैन्य सरकार ने 1989 में देश का नाम म्यांमार रखा. फ्रांस और जापान ने इस नाम को स्वीकार कर लिया. लेकिन अमेरिका और ब्रिटेन लंबे समय तक बर्मा नाम ही इस्तेमाल करते रहे.

तुर्की – तुर्की को अब तुर्किये के नाम से जाना जाता है. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने हाल ही में देश के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नाम को बदलकर तुर्किये करने की घोषणा की है. राष्ट्रपति ने देश को संबोधित करते हुए अपने बयान में बताया था कि तुर्किये शब्द तुर्की राष्ट्र की संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों को बेहतरीन तरीके से दर्शाता है और व्यक्त करता है.

हॉलैंड (द नीदरलैंड्स) – साल 2020 में हॉलैंड की सरकार ने अपने देश का नाम बदलकर द नीदरलैंड्स रखने का फैसला किया था. इस देश के दो क्षेत्र हैं जिनमें साउथ हॉलैंड और नॉर्थ हॉलैंड है. इसके पीछे की वजह मार्केटिंग मूव बताई गई थी.

चेक गणराज्य (चेकिया) – अप्रैल 2016 से चेक गणराज्य को चेकिया के नाम से जाना जाने लगा. ये मध्य यूरोप का एक देश है, जिसे पहले बोहेमिया के नाम से भी जाना जाता था.

ईरान – मार्च 1935 से पहले ईरान का नाम फारस था. साल 1935 में यहां की सरकार ने उन देशों से अपने देश को ईरान कहकर संबोधित करने को कहा, जिनके उनके साथ राजनयिक संबंध थे.

सियाम (थाईलैंड) – सियाम का नाम साल 1939 में बदलकर थाईलैंड रख दिया था. उस दौरान वहां राजशासन था. स्थानीय भाषा में इसको prathet thai कहते हैं, जिसका अर्थ होता है, ‘आजाद लोगों का देश’.

 

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