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Jalandhar जालंधर। हंसराज महिला महाविद्यालय, जालंधर ने राज्य नोडल एजेंसी, पंजाब राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सहयोग से जालंधर जिले के स्कूल शिक्षकों के लिए दो दिवसीय जिला स्तरीय स्किलिंग कार्यशाला का आयोजन किया।

इस कार्यशाला का उद्देश्य पर्यावरण जागरूकता को मजबूत करना और इको क्लब समन्वयकों को स्थायी कार्यवाही के लिए व्यावहारिक कौशल से लैस करना था।

कार्यशाला प्राचार्या प्रो. डॉ. श्रीमती एकता खोसला के नेतृत्व में आयोजित की गई तथा आईक्यूएसी कोआर्डिनेटर डॉ. अंजना भाटिया इसकी कोआर्डिनेटर थी तथा सहायक प्रो. हरप्रीत कौर इसकी को-कोआर्डिनेटर थी।

कार्यशाला का प्राथमिक उद्देश्य शिक्षकों को पर्यावरण संरक्षण की तत्काल आवश्यकता के प्रति संवेदनशील बनाना और उन्हें अपने संस्थानों और समुदायों में परिवर्तन के एजेंट के रूप में सशक्त बनाना था।

इस कार्यशाला में 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया जो जालंधर के विभिन्न स्कूलों के इको क्लब कोआर्डिनेटर थे।

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के वनस्पति और पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रोफैसर डॉ. आदर्श पाल विग को बतौर मुख्य वक्ता आमंत्रित किया गया था।

प्राचार्या डॉ. एकता खोसला ने उनका स्वागत किया तथा जोर देकर कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को शैक्षिक निर्देशों से परे जाकर छात्रों में मजबूत पर्यावरण मूल्यों को स्थापित करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण पहल को केवल एक बार की गतिविधि न होकर, बल्कि क्रिया-आधारित और निरंतर होना चाहिए और शिक्षक जागरूकता पैदा करके और जिम्मेदार व्यवहार को प्रेरित करके पर्यावरण संरक्षण के सैनिक बन सकते हैं।

डॉ. अंजना भाटिया ने कार्यशाला का कन्सेप्ट नोट पढ़ा तथा इको क्लबों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया जो पर्यावरणीय जागरूकता और स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं।

अपने सत्र में डॉ. आदर्श पाल विग ने गुरु की भूमिका को चरित्र निर्माणलमें सहायक बताया। जो अंतत: राष्ट्र निर्माण में योगदान देता है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि पर्यावरण संरक्षण एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी और सामूहिक नैतिक कत्र्तव्य है।

उन्होंने वर्मीकल्चर और वर्मीकम्पोस्टिंग की तकनीकों पर विस्तार से बताया जिसमें बताया गया कि अर्थवर्म कूड़े को पोषक तत्वों से भरपूर खाद में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उन्होंने अर्थवर्म को ‘इकोलाजिकल इंजीनियर’ कहा तथा स्थायी कूड़ा प्रबंधन में उनके योगदान पर प्रकाश डाला।

सत्र के बाद एक व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया जिसमें भाग लेने वाले शिक्षकों ने सक्रिय रूप से खाद बनाने की प्रक्रिया में भाग लिया जिमसें उन्हें व्यावहारिक अनुभव और प्रायोगिक सीखने का अवसर मिला।

दो दिवसीय कार्यशाला इको क्लब कोआर्डिनेटरों के व्यावहारिक कौशल और अनुभवात्मक ज्ञान प्रदान करने की दिशा में सार्थक कदम साबित हुआ जो एचएमवी की पर्यावरणीय स्थायित्व के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।

इस अवसर पर डीन अकादमिक डॉ. सीमा मरवाहा भी उपस्थित थी। मंच संचालन डॉ. साक्षी वर्मा ने किया।

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