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लुधियाना। (gyaspura area seal of ludhiana) औद्योगिक नगरी लुधियाना की घनी आबादी वाले ग्यासपुरा इलाके में शुक्रवार को एक बार फिर गैस लीक की दहशत फैल गई।

30 अप्रैल को जहां से गैस लीक होने के कारण 11 लोगों की मौत हो गई थी, शुक्रवार को वहीं पर एक गर्भवती बेहोश होकर गिर गई।

सूचना मिलते ही निगम और एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची। हालांकि प्रशासन का कहना है कि गैस लीक नहीं हुई है।

महिला गर्भवती होने के कारण बेहोश हुई है। हालांकि लोगों को वहां से हटाकर पूरे इलाके की जांच की जा रही है।

अप्रैल में गई थी 11 लोगों की जान

30 अप्रैल को हुए गैस लीक कांड में 11 लोगों की मौत हो गई थी।

उस घटना का पता सुबह सात बजे तब चला जब गोयल किराना स्टोर पर दूध लेने आए कुछ लोग बेहोश होने लगे।

देखते ही देखते वहां दुकानदार सौरव गोयल को सांस लेने में तकलीफ होने लगी।

इसके बाद शोर मचा तो उनका भाई गौरव गोयल और परिवार के अन्य लोग भी नीचे आ गए।

जैसे-जैसे सभी नीचे आए, बेहोश होते गए। हादसे में गोयल के परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई।

वहीं, दुकान के सामने रहने वाले डॉक्टर कविलाश का पूरा परिवार खत्म हो गया।

परिवार में कविलाश, उनकी पत्नी और तीन बच्चे थे। एक की पहचान अमित गुप्ता के रूप में हुई थी।

अमित गोयल परिवार का नजदीकी बताया जा रहा है।

सभी पीड़ित मूलरूप से उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले थे और काम के सिलसिले में लुधियाना में ही रह रहे थे।

शनिवार को ही आई थी लीक कांड की जांच रिपोर्ट 

ग्यासपुरा में अप्रैल में हुए गैस रिसाव कांड से हुई 11 लोगों की मौत के मामले में जिला प्रशासन की तरफ से अपनी जांच पूरी कर ली गई है।

जहां 11 लोगों की मौत का जिम्मेदार कभी नगर निगम को तो कभी प्रदूषण विभाग को बताया जा रहा था, लेकिन विभाग द्वारा की गई जांच में किसी भी विभाग को इसका जिम्मेदार नहीं बताया गया है।

सभी विभागों को 11 लोगों की मौत के मामले में क्लीन चिट दे दी गई है।

जांच रिपोर्ट में यह नहीं पता चल पाया है कि हादसा कैसे हुआ। यह जरूर कहा गया है कि हादसा सीवरेज से निकली गैस से हुआ है।

इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की टीम भी जांच करने में जुटी है।

जांच करने वाले एसडीएम हरजिंदर सिंह ने बताया कि यह एक दुखदायी घटना है।

इस जांच के लिए एक कमेटी का गठन हुआ था और हर विभाग से अधिकारी जांच कमेटी में शामिल थे।

रिपोर्ट में पाया गया कि हादसे वाले दिन कोई भी फैक्टरी यूनिट काम नहीं कर रही थी।

निगम से हादसे वाली जगह पर बनी इमारतों का नक्शा मांगा गया तो पता चला कि जैसे आरती क्लीनिक है, वह निगम के नक्शे में ही नहीं है।

यह लोग करीब 1990 से यहां रह रहे हैं। निगम के किसी रिकॉर्ड में यह बिल्डिंग नहीं है। जांच में पाया गया कि हादसे में मौत का कारण एचटूएस गैस है, जिस कारण लोग मरे हैं।

कोई एक विभाग सीधे तौर पर 11 मौतों का जिम्मेदार नहीं साबित हो रहा, क्योंकि यह हादसा सीवरेज गैस के कारण हुआ है। प्रत्येक सीवरेज में यह गैस बनती है।

एसडीएम के मुताबिक, एक बड़ा सवाल यह जरूर है कि हादसे वाले दिन इतनी अधिक मात्रा में गैस कैसे बनी, यह जरूर रिपोर्ट में लिखा गया है, लेकिन 11 लोगों की जान गई तो कहीं न कहीं सभी विभागों को अपने स्तर पर जिम्मेदारी समझनी चाहिए।

जो कमियां रह गई हैं, उन पर ध्यान देना चाहिए। जिन लोगों के सीवरेज सिस्टम गैरकानूनी हैं, बिल्डिंगों के प्लान नहीं हैं, उनकी पॉल्यूशन बोर्ड को चेकिंग करनी चाहिए।

जो लोग रात के समय कैमिकल सीवरेज में डालते हैं, उन पर सख्त एक्शन लिया जाए।

जिला प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट जरूर भेज दी है। बाकी अभी उच्च स्तरीय टीमें भी अपने लेवल पर जांच कर रही हैं।

एनजीटी नेशनल लेवल की तकनीकी टीम है। वह भी समय लेकर मामले की जांच कर रही है, क्योंकि यह भारत में पहला ऐसा मामला हुआ है कि गैस रिसाव में 11 लोगों की जान गई हो।

 

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