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Amritsar अमृतसर(golden temple diwali desi diva circumambulation fire cracker) दिवाली और बंदी छोड़ दिवस के मौके पर अमृतसर के गोल्डन टेंपल को सुंदर लाइटों से सजाया गया।

गोल्डन टेंपल इस कदर खूबसूरत दिख रहा है कि हर कोई उसे एकटक देखता रह जाए। शाम होते ही यहां देसी घी के एक लाख दीये जलाए गए जिससे इसकी खूबसूरती कई गुणा बढ़ गई। यह दीये गोल्डन टेंपल की परिक्रमा में जलाए गए।

इसके बाद भव्य आतिशबाजी गई, जिसे देखने बाहर के प्रदेशों से भी श्रद्धालु पहुंचे। सोने से बने मंदिर पर येलो रंग के कांच के बल्ब जगमग कर रहे हैं। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहां तैयारियां सुबह से शुरू हो गई थी। लंगर में दाल-रोटी के अलावा खीर, जलेबी भी परोसी गई।

52 राजाओं को मुगलों की कैद से छुड़ाया था श्री गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने

दिवाली के दिन श्री राम सीता माता और लक्ष्मण जी के साथ रावण पर विजय पाने के बाद अयोध्या लौटे थे, लेकिन सिख इतिहास में आज ही के दिन श्री गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने 52 राजाओं को अपनी सूझबूझ से मुगलों की कैद से छुड़ाया था।

गोल्डन टेंपल में आतिशबाजी देखने पहुंचे लाखों श्रद्धालु। - Dainik Bhaskar

श्री गुरु हरगोबिंद सिंह जी को किया था जहांगीर ने कैद

यह बात बादशाह जहांगीर के भारत पर राज करते समय की है। सिख धर्म के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए बादशाह जहांगीर ने सिखों के 6वें श्री गुरू हरगोबिंद सिंह जी को बंदी बना लिया था। उन्हें ग्वालियर के किले में कैद कर दिया। यहां पहले से ही 52 हिन्दू राजा कैद थे, लेकिन संयोग से जब जहांगीर ने श्री गुरू हरगोबिंद सिंह जी को कैद किया तो वह बहुत बीमार पड़ गए।

काफी इलाज के बाद भी वह ठीक नहीं हो रहे थे। काजी ने सलाह दी कि श्री गुरु हरगोबिंद सिंह जी को छोड़ दें, लेकिन श्री हरगोबिंद सिंह जी ने अकेले जाने से मना कर दिया और सभी राजाओं को रिहा करने के लिए कहा।

गुरु हरगोबिंद सिंह जी की बात सुनने के बाद जहांगीर ने भी शर्त रख दी कि वही राजा उनके साथ बाहर जाएगा, जो उनके पहनावे की कली को पकड़ पाएगा, लेकिन श्री गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने एक ऐसा कुर्ता पहना, जिसकी 52 कलियां थी। जिसे पकड़ कर सभी 52 राजे ग्वालियर के किले से बाहर आ गए थे। उन्हीं के आजाद होने पर दिवाली के दिन को बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

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