Prabhat Times
New Delhi नई दिल्ली। भारत में बढ़ते साइबर फ्रॉड के मामलों को देखते हुए सरकार अब बड़े और स्थायी कदम उठाने की तैयारी में है.
2026 तक लागू होने वाले नए CNAP और SIM-binding नियम आम यूजर्स के लिए कॉल और मैसेजिंग का अनुभव बदल सकते हैं.
इन नियमों का मकसद फर्जी कॉल्स, इम्पर्सोनेशन फ्रॉड और विदेश से चलने वाले स्कैम नेटवर्क पर लगाम लगाना है.
टेलीकॉम और डिजिटल रेगुलेटर्स अब मिलकर सिस्टम लेवल पर सुरक्षा मजबूत कर रहे हैं.
साइबर फ्रॉड पर सरकार का सख्त रुख
पिछले कुछ वर्षों में साइबर ठगी भारत के लिए एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक समस्या बन चुकी है.
फर्जी निवेश स्कीम, फिशिंग कॉल और बैंक अधिकारी बनकर की जाने वाली ठगी में लोग अपनी जीवन भर की कमाई गंवा चुके हैं.
कई मामलों में मानसिक दबाव के चलते पीड़ितों ने बेहद खतरनाक कदम तक उठाए हैं.
बड़ी संख्या में ये फ्रॉड विदेश से ऑपरेट किए जाते हैं, जिससे कार्रवाई और पैसे की रिकवरी मुश्किल हो जाती है.
इसी वजह से RBI, NPCI, TRAI और दूरसंचार विभाग अब एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
CNAP क्या है और यह कैसे काम करेगा
Caller Name Presentation यानी CNAP का मकसद कॉल पर भरोसा बढ़ाना है.
इस सिस्टम में जैसे ही कोई कॉल आएगी, रिसीवर की स्क्रीन पर कॉल करने वाले का वेरिफाइड नाम दिखेगा.
यह नाम उस KYC से लिया जाएगा, जो SIM खरीदते समय जमा की गई थी.
इससे कोई स्कैमर खुद को बैंक अफसर, सरकारी कर्मचारी या जान-पहचान वाला बताकर आसानी से धोखा नहीं दे पाएगा.
TRAI पहले ही टेलीकॉम कंपनियों को CNAP के पायलट टेस्ट शुरू करने के निर्देश दे चुका है और 2026 की शुरुआत तक इसे डिफॉल्ट फीचर बनाने की तैयारी है.
SIM-Binding से मैसेजिंग फ्रॉड पर लगेगी रोक
दूसरा बड़ा बदलाव मैसेजिंग ऐप्स से जुड़े फ्रॉड को लेकर है. अभी स्कैमर भारतीय नंबर से WhatsApp या अन्य ऐप्स चलाते हैं, लेकिन फ्रॉड के बाद SIM हटा देते हैं.
SIM-binding नियम के तहत जिस नंबर से अकाउंट बना है, उसी फिजिकल SIM का फोन में एक्टिव होना जरूरी होगा.
अगर SIM हटाई गई या बंद हुई, तो मैसेजिंग अकाउंट भी काम नहीं करेगा. दूरसंचार विभाग ने नवंबर में प्लेटफॉर्म्स को इसके लिए 90 दिन का समय दिया था और 2026 तक यह सिस्टम आम हो सकता है.
यूजर्स की रोजमर्रा की जिंदगी पर क्या होगा असर
इन नए नियमों से आम लोगों को कॉल रिसीव करने से पहले ज्यादा स्पष्ट जानकारी मिलेगी और अनजान कॉल का डर कम होगा.
मैसेजिंग ऐप्स पर फर्जी अकाउंट और स्कैम नेटवर्क को चलाना भी मुश्किल हो जाएगा. हालांकि शुरुआत में कुछ यूजर्स को तकनीकी बदलावों की आदत डालनी पड़ेगी.
कुल मिलाकर सरकार का यह कदम डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने और भरोसेमंद टेलीकॉम सिस्टम बनाने की दिशा में बड़ा बदलाव माना जा रहा है.
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