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श्री मुक्तसर साहिब। (Ex CM parkash singh Badal Antim Ardas) पांच बार मुख्यमंत्री रहे सरदार परकाश सिंह बादल की अंतिम अरदास के लिए बादल गांव में एक विशाल सैलाब उमड़ पड़ा तथा शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने लोगों के दिलों में पहुंचते हुए सिख समुदाय से ‘अनजाने में यां अतीत में की गई गलतियों के लिए माफी मांगी ।

सरदार सुखबीर सिंह बादल ने सहज विनम्रता दिखाते हुए कहा, ‘‘ मैं और मेरा परिवार दुनिया भर में पंथ और पंजाबियों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं, इन कठिन दिनों के दौरान हमें जो प्यार और समर्थन ने मुझे असीम विनम्रता से भर दिया है। संगत के साथ यह पवित्र बंधन मुझे अतीत में किसी भी समय मेरे, हमारी पार्टी यां हमारे परिवार द्वारा की गई गलतियों के लिए माफी मांगता हूं। उन्होने कहा कि संगत हमेशा हमारे लिए सर्वोच्च रही है और हमेशा रहेगी और हम हमेशा गुरु साहिबान और श्री गुरु ग्रंथ साहिब की सर्वोच्च कृपा पर भरोसा करते हैं और जिन मूल्यों के लिए मेरे पिता ने दिन-रात काम किया, उनकी पालना करने का विश्वास दिलाता हूं’।

अकाली दल अध्यक्ष का गला कई बार भर गया। उन्होने कहा, ‘‘ मुझे पता है कि मैं बादल साहिब की विरासत की बेजोड़ और ऐतिहासिक भव्यता के योग्य नही हूं, लेकिन मैं आपको गंभीरता पूर्ण यह वचन देता हूं कि इस विरासत को संभालने के लिए अपने जीवन के हर मिन्ट और हर सांस को समर्पित कर दूंगां। अकाली दल अध्यक्ष के भाषण में बार बार ‘खालसा पंथ, पंथक मूल्य, पंजाब और पंजाबियत और राष्ट्रवाद का जिक्र किया गया ।

अकाली दल अध्यक्ष ने कहा , ‘‘ मैं खालसा पंथ, पंजाब और देश के लोगों से वादा करता हूं कि मैं महान गुरु साहिबान द्वारा सबसे पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के माध्यम से हमारे सामने रखे गए आदर्शों को बनाए रखने के लिए दिन-रात प्रयास करूंगा। ये आदर्श सेवा के लिए गहरी और अडिग प्रतिबद्धता और सरबत का भला ‘‘ आध्यात्मिक धर्मनिरपेक्षता’’ की अवधारणा में निहित हैं। पंजाबियों ने हमेशा इस सोच का पालन और गर्व किया है, मैं इस गौरव के आधार को कभी भी कमजोर नही होने दूंगां’’।

पांच बार मुख्यमंत्री रहे सरदार परकाश सिंह बादल को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए लाखों की संख्या में लोग बादल गांव में आए। हजारों लोगों ने कई किलोमीटर पैदल चलकर मिटटी के सपूत को श्रद्धांजलि दी। पंजाबियों के दिलों में बसा पूर्व मुख्यमंत्री का प्यार हर जगह देखा जा सकता था। समाज के हर वर्गों और धर्मों के लोगों ने गुरु साहिबान द्वारा सिखाए गए सरबत का भला के दर्शन को ध्यान में रखते हुए मानव जाति के बीच शांति और साम्प्रदायिक सदभाव और भाईचारे को सबसे अधिक महत्व देने के लिए अकाली दल संरक्षक की सराहना की।केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्व मुख्यमंत्री की प्रंशसा करते हएु उन्हे बड़े दिल वाला व्यक्ति बताया जो आपातकाल के खिलाफ खड़ा हुआ था। शाह ने कहा कि श्री बादल दशकों के करियर के दौरान गरीबों की भलाई के लिए खुद को समर्पित कर दिया और उनका निधन सिख पंथ के साथ साथ देश के लिए बहुत बड़ा झटका है, जिसने सच्चा देशभक्त खो दिया है। उन्होने पूर्व मुख्यमंत्री की धर्मनिरपेक्ष साख की सराहना की और कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने पैतृक गांव बादल में एक गुरुद्वारा, मंदिर और मस्जिद का निर्माण कराया था। गृहमंत्री ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री का निधन उनके लिए एक व्यक्तिगत झटका है और उन्होने अकाली दल अध्यक्ष एवं सांसद हरसिमरत कौर बादल के साथ भी अपनी संवेदना व्यक्त की।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी इस अवसर पर अकाली नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की, और असम गण परिषद के अध्यक्ष अतुल बोरा ने भी श्रद्धांजलि दी। इनेलो अध्यक्ष ओम प्रकाश चैटाला ने भी बादल परिवार के साथ संवेदना व्यक्त करते हुए व्यक्तिगत श्रद्धांजलि दी।

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि सरदार बादल जीवन भर संघवाद के प्रबल समर्थक रहे हैं। बादल साहिब का मानना था कि मजबूत राज्य से ही एक मजबूत राष्ट्र बनता है और यह भी महसूस किया कि राज्य के विषयों में अनुचित केंद्रीय हस्तक्षेप केवल राष्ट्र को कमजोर करेगा। उन्होने कहा कि दिवंगत नेता भी क्षेत्रीय दलों के महत्व में दृढ़ता से विश्वास करते थे, क्योंकि वे क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं को सबसे अच्छी तरह से प्रतिनिधित्व करते थे।

शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने अकाली नेता को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनकी इच्छा थी कि बंदी सिंहों उनके जीवनकाल में कैद से रिहा किया जाए। उन्होने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा , जिसमें 2019 में श्री गुरु नानक देव जी की 550 वीें जयंती के अवसर पर केंद्र सरकार द्वारा दिए गए वचन के अनुसार भाई बलवंत सिंह राजोआणा सहित सभी बंदी सिंहों को रिहा करने का आहवाहन किया गया था।

वरिष्ठ अकाली नेताओं ने सरदार बादल के ‘मिशन ’ को पूरा करने के साथ साथ दिवंगत नेता के आदर्शों के अनुसार भविष्य के लक्ष्यों को निर्धारित करने का आहवाहन किया। बलविंदर सिंह भूंदड़ और प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि पूर्व नेता आधुनिक पंजाब के संस्थापक थे और उन्होने किसानों और कमजोर वर्गों के लिए सबसे अधिक काम किया ।

अपने चाचा को व्यक्तिगत श्रद्धांजलि देते हुए परिवार के सदस्य मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि अकाली नेता किसानों, गरीबों के अधिकारों, भाईचारे और राष्ट्रवाद की रक्षा के लिए खड़े थे। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी माना कि अकाली पितामह ने अपने बुनियादी मूल्यों से समझौता करने के बजाय सत्ता छोड़ने का विकल्प चुना था।

अजीत के संपादक बरजिंदर सिंह हमदर्द ने याद दिलाया कि कैसे दिंवगत नेा सभी के लिए सुलभ थे। उन्होने बताया कि कैसे पूर्व मुख्यमंत्री ने तत्कालीन प्रधानमंत्री आईके गुजराल पर राज्य द्वारा आतंकवाद के दौरान लिए गए 60 हजार करोड़ रूपये के कर्ज को माफ करने के लिए दबाव डाला। उन्होने यह भी बताया कि कैसे पूर्व प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह ने बादल के कहने पर एसजीपीसी को टूटने नही दिया।

पंजाब बहुजन समाज पार्टी के अध्यक्ष जसबीर सिंह गढ़ी ने अकाली सरंक्षक को श्रद्धांजलि दी और उन्हे पंजाब और पंजाबियों के लिए मसीहा बताया। उन्होने कहा कि सरदार बादल पंजाब के साथ हुए अन्यायों का समाधान करने के लिए लगातार संघर्ष करते रहे, चाहे वह पंजाबी भाषी, क्षेत्रों का मुददा हो यां नदी के पानी का मुददा यां चंडीगढ़ को राज्य में स्थानांतरित करने का मामला हो।

अकाली दल दिल्ली के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने अकाली नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हएु कहा कि अकाली दल ने पंजाब में साम्प्रदायिक सदभाव बहाल करने में सबसे बड़ा योगदान दिया है। उन्होने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने विपक्ष को भी आपातकाल पर स्टैंड लेने के लिए प्रेरित किया और 1997 में वाजपेयी सरकार की स्थापना के पीछे उनका सबसे बड़ा हाथ था।

पंजाब सीपीआई के नेता हरदेव अर्शी ने अकाली संरक्षक को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हएु उन्हे निस्वार्थ नेता बताया, जिन्होने लोगों को सबसे उपर रखा यहां तक कि अपनी इकलौती बेटी की शादी में शामिल होने के लिए पैरोल के लिए भी आवेदन नही किया। सीपीआई(एम) के सुखविंदर सिंह ने भी पूर्व मुख्यमंत्री को श्रद्धांजलि दी।

 

 

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