जालंधर। ढिलवां जैसे गांव में विश्व स्तरीय सुविधाओं से लैस स्कूल खोलना अपने आप में सराहनीय एवम सामाजिक दृिष्टकोण से उल्लेखनीय कदम है।
डिप्स ने असंभव को संभव करते हुए डिप्स ढिलवां से एक ऐसे युग का आह्वान किया, जिसका सर्वोपरी उद्देश्य था हर मन मस्तिष्क तक शिक्षा व ज्ञान की रौशनी बिखरना।
इसी ज्ञान के उजाले की लौ से चमका एक सितारा पंकज अरोड़ा। जो आज न्यूज़ीलैंड में विश्व स्तरीय टैलीकम्यूनिकेशन कंपनी में बतौर स्टोर टीम लीडर अपने पद की गरिमा बढ़ा रहे है।
पंकज अरोड़ा के अनुसार आज के दौर में प्रतियोगिता भरे माहौल में वही इंसान आगे बढ़ सकता है जिसके पास आत्मविश्वास तथा मेहनत के साथ साथ अच्छा व्यक्तित्व व दूसरों पर प्रभाव डालने वाली वाणी हो और उनको यह सब बहुमूल्य गुण खुशकिस्मती से डिप्स के प्रांगण में सीखने को मिले।
बकौल पंकज इसमें कोई दो राय नहीं कि जिस वक्त ढिलवां में डिप्स स्कूल का प्रारंभ हुआ वहां के इलाका निवासियों ने सहर्ष चेयरमैन स. गुरबचन सिंह जी का धन्यवाद किया क्योंकि मीलो दूर कई गांवों में डिप्स जैसा अंतरराष्ट्रीय स्तर का कोई स्कूल नहीं था।
मेरा साथी बना डिप्स
पंकज ने बताया कि आज भी जब कोई उनकी भाषा की पकड़ व समझदारी की तारीफ करता है तो चुपके से मन में पंकज उस तारीफ का एक बड़ा सा हिस्सा स्कूल के नाम लगा देते है।
उन्होंने कहा कि स्कूल में आयोजित होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताएं, सालाना समारोह और स्टूडैंट फेट इत्यादि कार्यक्रमों के माध्यम से उन्हें खुद काम को मैनेज करना, सामान जुटाना तथा कार्यक्रम की योजना बनाना आदि सीखने का मौका मिला, जो आज उनके बहुत काम आ रहा है।
मेरे अध्यापक मेरे दोस्त
दोस्तों और अध्यापकों के बारे में बात करते हुए भावुक होते हुए पंकज ने बताया कि आज भी नीलम मैम, चारू मैम, अमन मैम तथा वलविंदर सर की कही बाते याद आती है।
अनुप्रीत कौर, मनिंदरपाल सिंह, गगनदीप सिंह जैसे दोस्तों के साथ की मस्ती आज भी सब मिलकर ताज़ा करते हैं।
अंत में पंकज ने डिप्स के युवा नेतृत्व के सिरमौर एम.ड़ी तरविंदर सिंह, सी.ए.ओ रमनीक सिंह तथा सी.ई.ओ मोनिका मंडोत्रा का धन्यवाद करते हुए विद्यार्थियों को जीवन में लक्ष्य तय करने व जी जान से उसे हासिल करने की प्रेरणा दी ।