Prabhat Times
नई दिल्ली। (Covid in Children) कोविड की दूसरी लहर (Covid Second Wave) के दौरान जहां जवान और बूढ़े लोग इससे बहुत परेशान हैं वहीं इस बार इस वायरस ने बच्चों को भी नहीं छोड़ा है। इस बार बहुत से बच्चे भी कोविड पॉजिटिव पाए जा रहे हैं।
इस पर स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह है कि बच्चों का इलाज और उनकी देखभाल घर में रह कर भी की जा सकती है और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाने की कोई जरूरत नहीं है। बच्चों को कोविड या इसके लक्षण होने पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने नई गाइडलाइन भी जारी की है।
जिन बच्चों को कोई लक्षण नहीं होते उनकी ऐसे करें देखभाल
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अगर आपके घर में ऐसा बच्चा है जो पॉजिटिव तो है लेकिन उसको किसी प्रकार के लक्षण नहीं दिख रहे हैं तो आप उसकी देखभाल घर पर रह कर ही कर सकते हैं। ऐसे पॉजिटिव बच्चे तब पाए जाते हैं जब उनके घर में कोई व्यक्ति पॉजिटिव हो और सभी घर वालों की जांच करने के बाद वह भी पॉजिटिव पाए गए हों।
- ऐसे बच्चों में खांसी, गला सूखना, गले में खराश और नाक बहना जैसे लक्षण थोड़े दिनों बाद दिखाई दे सकते है। कुछ बच्चों का पेट भी खराब रह सकता है।
- ऐसे बच्चों को घर में आइसोलेट करके उनके लक्षणों के हिसाब से उनका इलाज किया जा सकता है और डॉक्टर से राय लेकर उन्हें अगर बुखार है तो पेरासिटामोल भी दी जा सकती है।
- ऐसे बच्चे जिन्हें किसी प्रकार के लक्षण नहीं हैं उनके ऑक्सीजन लेवल को बार बार चेक करते रहें अगर यह लेवल 94 से कम होता है तो तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं।
- अगर आपके बच्चों को फेफड़ों या हृदय से संबंधित कोई बीमारी है या आपके बच्चे मोटापे के शिकार हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाकर सलाह लेनी चाहिए और घर पर ही उनका इलाज करना चाहिए।
कुछ बच्चों में पाया जा रहा है मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दौरान कोविड पॉजिटिव बच्चों में सबसे अधिक मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (Pediatric Multisystem Inflammatory Syndrome) नाम का नया सिंड्रोम देखने को मिल रहा है। इस से ग्रसित बच्चों को 38 डिग्री सेल्सियस से अधिक बुखार रहता है।
अगर आपके बच्चों को मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम होता है और उन्हें निम्न लक्षण देखने को मिलते हैं तो आपको उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना जरूरी होता है। यह लक्षण हैं :
- सांस लेने में तकलीफ होना
- छाती में दर्द होना या प्रेशर महसूस होना जो बिल्कुल भी कम न हो रहा हो
- हर समय दुविधा में रहना
- सोने के बाद लंबे समय तक जाग न पाना या जागते रहने में असमर्थ होना
- त्वचा, होंठ या नाखूनों का रंग नीला, ग्रे या पीला हो जाना।
- पेट में गंभीर दर्द
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