Prabhat Times
New Delhi नई दिल्ली। Canada Immigration News: कनाडा में 2026-2028 के लिए इमिग्रेशन लेवल प्लान का ऐलान हो चुका है।
इसमें ये बताया गया है कि आने वाले दो सालों में इमिग्रेशन को लेकर किस तरह के बदलाव किए जाएंगे।
इन बदलावों का सीधा असर विदेशी वर्कर्स और स्टूडेंट्स पर किस तरह होने वाला है।
इमिग्रेशन लेवल प्लान के तहत कुछ बदलाव ऐसे हैं, जिनका सीधा फायदा विदेशी वर्कर्स को मिलेगा,
जबकि कुछ बदलावों की वजह से विदेशी स्टूडेंट्स के लिए देश में एंट्री मुश्किल होने वाली है। दोनों के लिए तीन-तीन बदलाव हो रहे हैं। आइए इनके बारे में जानते हैं।
(1.) वर्कर्स बनेंगे टेंपरेरी रेजिडेंट से परमानेंट रेजिडेंट
सरकार ने जो 2 साल का इमिग्रेशन प्लान बनाया है, उसके तहत देश में काम कर रहे 33 हजार विदेशी वर्कर्स को 2026 और 2027 में परमानेंट रेजिडेंसी दी जाएगी।
अभी ये नहीं बताया गया है कि इसके लिए विदेशी वर्कर्स का सेलेक्शन कैसे होगा।
हालांकि, IRCC का कहना है कि इसके तहत उन लोगों को PR मिलेगा, जिनके पास वर्क परमिट है और वे किसी खास डिमांड वाली नौकरियों को कर रहे हैं।
2024 में 64% फीसदी ऐसे लोगों को PR मिला, जिनके पास कनाडा का वर्क एक्सपीरियंस था।
(2.) वर्क परमिट के लिए कड़ी शर्तें
प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने सितंबर में ऐलान किया था कि ‘टेंपरेरी फॉरेन वर्कर प्रोग्राम’ (TFWP) में बदलाव किया जाएगा।
इसके जरिए विदेशी वर्कर्स देश में जॉब करने आते हैं। उन्होंने हर एक सेक्टर और क्षेत्र की जरूरत के हिसाब से TFWP के तहत वर्क परमिट देने की बात कही थी।
अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है। मगर 2026 में TFWP में कटौती की जाएगी और सिर्फ 60 हजार लोगों को वर्क परमिट मिलेगा।
कुल मिलाकर वर्क परमिट से जुड़ी शर्तों को कड़ा किया जाएगा।
(3.) जॉब सेक्टर से PR रूट और वर्क परमिट स्ट्रीम बनेंगे
सरकार अगले 2 सालों में अलग-अलग जॉब सेक्टर से जुड़े लोगों के लिए PR प्रोग्राम चलाने वाली है। इसी के हिसाब से वर्क परमिट भी दिया जाएगा।
हर इंडस्ट्री की जरूरत के हिसाब से वर्क परमिट और PR रूट का ऐलान इसी साल हुआ था, जो अगले साल तक लागू भी हो सकता है।
इसमें H-1B वीजा होल्डर्स को PR मुहैया कराना शामिल है।
इसी तरह से कंस्ट्रक्शन वर्कर्स को PR देना और खेती और मछली उद्योग में काम करने के लिए अलग वर्क परमिट बनना भी शामिल है।
(4.) स्टडी परमिट में कटौती
कनाडा के इमिग्रेशन लेवल प्लान के तहत कम से कम संख्या में विदेशी स्टूडेंट्स को देश में एंट्री मिलने वाली है।
2026 में सिर्फ 1.55 लाख विदेशी छात्रों को ही स्टडी परमिट दिया जाएगा। इस बात की भी उम्मीद जताई जा रही है कि ये संख्या भी कम की जा सकती है।
इसका मतलब है कि एडमिशन के लिए काफी ज्यादा कॉम्पिटिशन होने वाला है और हर किसी को आसानी से स्टडी परमिट भी नहीं मिलने वाला है।
(5.) स्टडी परमिट की लिमिट से ग्रेजुएट स्टूडेंट्स को छूट
सरकार की तरफ से स्टडी परमिट पर लिमिट सिर्फ बैचलर्स या कहें अंडरग्रेजुएट छात्रों के लिए होगी।
यानी अगर कोई UG करने आ रहा है, तो उसे स्टडी परमिट के लिए मेहनत करनी होगी।
इसके उलट मास्टर्स या डॉक्टोरल डिग्री की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को स्टडी परमिट की लिमिट के दायरे में नहीं रखा गया है।
उन्हें पहले ही तरह ही आसानी से स्टडी परमिट मिलता रहेगा। उनके लिए प्रोसेसिंग टाइम भी ज्यादा होगा।
(6.) PGWP के लिए कुछ कोर्सेज का खत्म होना
इस साल जून में IRCC ने पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट (PGWP) के लिए योग्य माने जाने वाले कोर्सेज में बदलाव किया।
फिर जुलाई में कहा कि ये बदलाव अभी रोक दिए गए हैं और जिन कोर्सेज को हटाया गया है, उनका प्रभाव 2026 की जुलाई से होगा।
इस तरह सिर्फ 178 कोर्सेज ही होंगे, जिनकी पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को वर्क परमिट दिया जाएगा।
ये नियम 2026 से लागू हो जाएंगे। इस तरह स्टूडेंट्स को वो कोर्स चुनने होंगे, जो उन्हें PGWP दिला पाएं।
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