श्रीनगर (ब्यूरो): कोरोना वायरस महामारी का असर इस बार अमरनाथ यात्रा पर भी पड़ने जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि इस बार अमरनाथ यात्रा महज 15 दिनों के लिए हो सकती है। सूत्रों ने बताया कि इस बार यात्रा बालटाल रूट से ही होगी, जोकि अपेक्षाकृत छोटा रूट है। अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं एक बालटाल के जरिए और दूसरा पहलगाम होते हुए। सूत्रों के मुताबिक, जम्मू कश्मीर के एलजी जीसी मुर्मू की ओर से गुरुवार को आयोजित बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में चीफ सेक्रेटरी बीवीआर सुब्रमण्यम, एलजी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी बिपुल पाठक और डीजीपी दिलबाग सिंह भी मौजूद थे।
गांदरबल के डेप्युटी कमिश्नर को बालटाल ट्रैक को खोलने का निर्देश दिया गया है। फरवरी में सरकार ने इस सालाना तीर्थ के लिए इस साल 42 दिनों की समयसीमा रखने का फैसला किया था। अमरनाथ यात्रा पहलगाम और बालटाल के जरिए 23 जून से प्रस्तावित थी। यात्रा श्रावण पूर्णिमा, रक्षाबंधन के दिन (इस बार 3 अगस्त को है) खत्म होती है।श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड से जुड़े सूत्रों के अनुसार पंजीकरण के अलावा यात्रा मार्ग की सफाई का काम भी शुरू नहीं हो पाया। ऐसे में यात्रा 23 जून से आरंभ करना संभव नहीं दिखता। ऐसे में यात्रा की अवधि में कटौती तय है। श्राइन बोर्ड जुलाई माह के दूसरे पखवाड़े से यात्रा आरंभ करने पर विचार कर रहा है। इसके अलावा यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या भी सीमित रहेगी। सिर्फ बालटाल रास्ते से ही अनुमति दी जा सकती है।
उन्होंने बताया कि सिर्फ छड़ी मुबारक को ही पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक धार्मिक अनुष्ठानों को पूरा करते हुए पहलगाम के रास्ते पवित्र गुफा तक जाने की अनुमति होगी। अगर यात्रा मार्ग में कोई बाधा आती है तो भगवान शंकर की छड़ी मुबारक को दशनामी अखाड़ा के महंत दीपेंद्र गिरी के नेतृत्व में हेलीकॉप्टर के जरिए पवित्र गुफा तक पहुंचाया जाएगा।
समुद्र तल से 3888 मीटर पर है पवित्र गुफा
बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा समुद्रतल से करीब 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसमें भगवान बर्फ के शिवलिंग के तौर पर प्रकट होते हैं। प्रतिवर्ष जून माह से आरंभ होने वाली श्रावण मास की पूर्णिमा पर समाप्त होती है।