Prabhat Times
New Delhi नई दिल्ली। (australia to limit foreign student enrolments in migration crackdown) कनाडा के बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी भारतीयों छात्रों को बड़ा झटका दिया है.
सरकार ने अब यहां बढ़ती छात्रों की संख्या पर लगाम लगाने की तैयारी की है.
ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि वह 2025 तक अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के नामांकन की संख्या को 270,000 तक ही सीमित रखेगा, क्योंकि रिकॉर्ड माइग्रेशन होने की वजह से यहां प्रॉपर्टी (किराये के घर) के दाम बढ़ गए हैं.
शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर ने कहा कि कोरोना से पहले की तुलना में आज हमारे विश्वविद्यालयों में लगभग 10% अधिक अंतर्राष्ट्रीय छात्र हैं
प्राइवेट वोकेशनल और ट्रेनिंग प्रोवाइडर में लगभग 50% अधिक हैं, इसलिए इस पर सख्ती बरतने का प्लान बनाया गया है.
इससे पहले ही सरकार ने प्रवास में वृद्धि को रोकने के लिए पिछले महीने ही विदेशी छात्रों के लिए वीजा शुल्क को दोगुने से भी अधिक कर दिया.
कोविड के बाद दी थी राहत
ऑस्ट्रेलिया ने 2022 में कोविड के दौरान अपने वार्षिक प्रवासन की संख्या को बढ़ा दिया था, ताकि कंपनियों को कर्मचारियों की कमी को पूरा करने के लिए भर्ती करने में मदद मिल सके, क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण 2 वर्षों तक विदेशी छात्रों और श्रमिकों को बाहर रखा गया था.
भारत, चीन और फिलीपींस के छात्रों के कारण रिकॉर्ड प्रवासन ने कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि हुई और वेतन दबाव को भी नियंत्रित किया है, लेकिन अब प्रॉपर्टी बाजार की डिमांड बढ़ने के कारण यह कठिन हो गया है.
30 सितंबर 2023 को समाप्त होने वाले वर्ष में आव्रजन रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया, जो 60% बढ़कर रिकॉर्ड 548,800 हो गया, जो जून 2023 को समाप्त होने वाले वर्ष में 518,000 लोगों की तुलना में अधिक है।
नये नियम के तहत घट जाएगी संख्या
शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर ने कहा कि इस लिमिट का अर्थ होगा. 2025 में सार्वजनिक रूप से विश्वविद्यालयों में लगभग 145,000 नए छात्रों की सीमा तथा व्यावसायिक संस्थानों में लगभग 95,000 नए लोगों की सीमा होगी.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इसके तहत शुरुआती संख्या कोरोना के पूर्व स्तर से लगभग 7,000 कम और पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 53,000 कम होगी.
शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर ने विश्वविद्यालय में नामांकन संख्या को घटाकर 145,000 या 2023 के स्तर के आसपास कर दिया जाएगा.
2025 में 30,000 नए अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को नामांकित कर सकेंगे, जबकि व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदाताओं की संख्या केवल 95,000 तक सीमित रहेगी.
जुलाई में भी वीजा शुल्क को दोगुना से अधिक कर दिया, ताकि आव्रजन को 2022-2023 में 528,000 से घटाकर 2024-25 तक 260,000 किया जा सके.
किस कारण लिया फैसला
यह फैसला पिछले साल से ऑस्ट्रेलिया में विदेशी छात्रों और श्रमिकों के लिए कोविड काल की रियायतों को खत्म करने के लिए की गई कार्रवाइयों के बाद लिया गया है,
जिससे बिजनेस को स्थानीय स्तर पर कर्मचारियों की भर्ती करने में मदद मिली, जबकि स्ट्रिक्ट बॉर्डर कंट्रोल ने विदेशी श्रमिकों को बाहर रखा था।
शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर ने कहा, “महामारी से पहले की तुलना में आज हमारे यूनिवर्सिटीज में लगभग 10% अधिक विदेशी छात्र हैं, साथ ही हमारे प्राइवेट वोकेशनल और ट्रेनिंग प्रोवाइडर्स में लगभग 50% अधिक हैं।”
इंटरनेशनल एजुकेशन बड़ी इंडस्ट्री
क्लेयर ने आगे कहा कि ये सुधार विदेशी छात्र क्षेत्र को बेहतर और अधिक निष्पक्ष बनाने के लिए तैयार किए गए हैं, और इससे भविष्य में इसे अधिक बल मिलेगा।
इंटरनेशनल एजुकेशन ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े एक्सपोर्ट इंडस्ट्री में से एक है।
2022-2023 वित्तीय वर्ष में इसकी अर्थव्यवस्था में 36.4 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की हिस्सेदारी थी।
हाउस मार्केट पर अतिरिक्त प्रेशर
लेकिन सर्वे से पता चला है कि वोटर इस बात से चिंतित हैं कि विदेशी छात्रों और श्रमिकों की बड़ी संख्या से हाउस मार्केट पर अतिरिक्त प्रेशर बनेगा,
जिससे एक साल से भी कम समय में होने वाले चुनाव में इमीग्रेशन एक संभावित प्रमुख चुनावी मुद्दा बन जाएगा।
30 सितम्बर 2023 को खत्म होने वाले साल में इमीग्रेशन रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया, जो 60% बढ़कर रिकॉर्ड 548,800 हो गया, जो जून 2023 की तुलना में अधिक है, जून में 518,000 लोग आस्ट्रेलिया आए थे।
ऑस्ट्रेलिया ने 2022 में अपने एनुअल माइग्रेशन नंबर्स को बढ़ा दिया, ताकि बिजनेसेज को कर्मचारियों की कमी को पूरा करने के लिए भर्ती करने में मदद मिल सके,
क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण बॉर्डर पर सख्त नियंत्रण लगा दिया गया था और लगभग दो सालों तक विदेशी छात्रों और श्रमिकों को बाहर रखा गया था।
लेबर सप्लाई को बढ़ाया
भारत, चीन और फिलीपींस से आए छात्रों के कारण रिकॉर्ड माइग्रेशन ने लेबर सप्लाई को बढ़ाया है और वेतन दबाव को कम किया है, लेकिन इसने पहले से ही तंग हाउस मार्केट को और भी बदतर बना दिया है।
माइग्रेशन में बढ़ोतरी रोकने के लिए, सरकार ने पिछले महीने विदेशी छात्रों के लिए वीजा फीस को दोगुना से भी अधिक कर दिया
नियमों में खामियों को दूर करने का वादा किया, जिससे उन्हें लगातार अपने माइग्रेशन को बढ़ाने की अनुमति मिलती थी।
कनाडा ने भी दिया था झटका
इससे पहले कनाडा ने भी भारतीय छात्रों को बड़ा झटका दिया था.
वहां की ट्रूडो सरकार ने वीजा नियमों में कुछ बदलाव किए, जो 21 जून से लागू भी हो गए.
21 जून 2024 के बाद से विदेशी नागरिक पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे. यह प्रक्रिया बंद कर दी गई है.
कनाडा सरकार ने कहा, विदेशी नागरिक अब बॉर्डर पर पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं.
यह निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू होगा.इसे सैकड़ों भारतीय छात्रों पर काफी असर पड़ने वाला है.
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