Prabhat Times

New Delhi नई दिल्ली। (how much cost for one single vote know the election expenses) देश का आम आदमी हो या टाटा, अंबानी.. सबके लिए वोट करना जरूरी है.

यह आपके पास इकलौता ऐसा हथियार है जिसका इस्तेमाल कर आप बहुत कुछ बदल सकते हैं.

आप सोच रहे होंगे कि मेरे 1 वोट डालने से क्या हो जाएगा.

इस 1 वोट की कीमत तो देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी भी नहीं भूल पाए थे.

1 वोट के कारण उनकी सरकार गिर गई थी. केवल भारत ही नहीं बल्कि फ्रांस से लेकर जर्मनी तक ने 1 वोट महत्व देखा है.

साल 1875 में 1 वोट की वजह से फ्रांस में राजशाही खत्म हो गई थी और फ्रांस एक लोकतांत्रिक देश बनने में कामयाब हो सका था.

साल 1923 में एडोल्फ हिटलर की जीत भी केवल 1 वोट से हुई थी और वह जर्मनी में नाजीदल के मुखिया बन सके थे.

ये तो हुई 1 वोट के महत्व की बात. अब आपको बताते हैं 1 वोट की कीमत और उसकी इकोनॉमी.

1 लाख करोड़ का खर्च

भारत और हो या अमेरिका चुनावों पर लगातार खर्च बढ़ता जा रहा है.

सेंटर फॉर मीडिया स्टडी के आंकड़ों के मुताबिक लोकसभा चुनावों का खर्च लगातार बढ़ रहा है.

2014 लोकसभा चुनाव में 3870 करोड़ रुपए व्यय हुए थे.

यही खर्च साल 2019 में बढ़कर 50 हजार करोड़ के पार पहुंच गई थी.

सीएमएस की रिपोर्ट के मुताबिक इस बार ये पिछले चुनावों से दोगुना जा सकता है मतलब ये 1 लाख करोड़ के पार जा सकता है.

96 करोड़ से ज्यादा वोटर्स

देश में इस समय 96.8 करोड़ वोटर्स हैं और चुनाव का खर्च 1 लाख करोड़ के पार.

इस लिहाज से 1 वोट पर करीब 1030 रुपए का खर्च बैठता है.

सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के मुताबिक हर साल चुनाव अपने पिछले चुवाव के खर्च को पीछे छोड़ते जा रहा है

इसके कई कारण है बीते कुछ सालों के आकड़ों को देखें तो पता चलता है कि जैसे देश में पार्टियां बढ़ी है वैसे वैसे चुनाव आयोग को पोलिंग बूथ बढ़ाने पड़े है.

इसके अलावा प्रत्याशियों की संख्या बढ़ने के कारण भी खर्च में इजाफा हुआ है.

कहां खर्च होता है चुनाव का पैसा

चुनाव दर चुनाव खर्च लगातार बढ़ रहा है लेकिन सवाल है कि ये पैसा खर्च कहां होता है.

2019 लोकसभा चुवाव की बात करें तो इस चुनाव में करीब 50 से 60 हजार करोड़ का खर्च आया था.

इसमें 20 से 25 फीसदी पैसा करीब 12 से 15000 करोड़ रुपए सीधे वोटर तक पहुंचने में खर्च हुए.

वहीं कैंपेन, प्रचार का खर्च कुल खर्च का 30 से 35 फीसदी हुआ था.

ये करीब 20 से 25000 करोड़ रुपए का था.

सीएमएस के आंकड़ों के मुताबिक ट्रांसपोर्टेशन में करीब 5 से 6 हजार रुपए खर्च किए गए थे.

2019 चुनाव के खर्चे का हिसाब- किताब

किस मद में कितना खर्च      रुपए (हजार करोड़ में)

वोटर तक पहुंच                  12 – 15

कैंपेन, प्रचार                      20- 25

ट्रांसपोर्टेशन                      5- 6

फॉर्मल खर्चे                     10-12

अन्य खर्चे                      2-3

कुल                           50 – 60

ऐसे बढ़ रहा चुनाव पर खर्च

  • पोलिंग कंडक्ट कराने कर्मचारियों के रहने, आने-जाने खाने का खर्च

  • मतदाता पहचान पत्र, वोटिंग में लगने वाली इंक का खर्च

  • EVM, सोशल मीडिया, जागरुकता फैलाने के लिए कैंपेनिंग पर खर्च

  • पोलिंग बूथ 2 लाख से बढ़कर 2019 के चुनाव में 10 लाख के पार

  • चुनाव प्रोसेस का लंबा होना, पार्टियों की संख्या में इजाफा

  • अमेरिका के कम नहीं भारत में खर्च

कहां से आता है चुनाव का खर्च

चुनाव में होने वाले खर्च को आप सोचते होंगे कि ये खर्च आता कहां से है.

इसको लेकर मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड आर्डर ने एक गाइडलाइन जारी की थी.

ये गाइडलाइन साल 1979 में जारी की गई थी.

इस गाइडलाइन के मुताबिक लोकसभा चुनाव का खर्च केंद्र सरकार के जिम्मे होता है.

वहीं राज्यों में होने वाले चुनाव का खर्च राज्य सरकार उठाती है.

वहीं अगर दोनों चुनाव एक साथ होंगे तो दोनों सरकारें मिलकर इसका खर्चा उठाएंगी.

अमेरिका से कम नहीं भारत का खर्च

जिस तरह भारत में सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज चुनावी खर्चों पर नजर रखती है.

उसी तरह अमेरिका में ओपेन सेक्रेट डॉट ओआरजी ने इसपर नजर रखती है.

इन आंकड़ों के मुताबिक 2020 के अमेरिका चुनाव में करीब 14.4 बिलियन डॉलर करीब 1.2 लाख करोड़ रुपए का खर्च आया था.

इधर भारत में भी 2024 के लोकसभा चुनाव का खर्च 1 लाख करोड़ के पार बताया जा रहा है.

—————————————————————————

खबरें ये भी हैं…

————————————————————–

 Whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें

Join Whatsapp Link for Latest News

प्रभात टाइम्स व्हाटसएप्प चैनल जॉइन करें।

Join Prabhat Times Whatsapp Channel


Subscribe YouTube Channel

Prabhat Times

Click to Join Prabhat Times FB Page

https://www.facebook.com/Prabhattimes14/

Join Telegram

https://t.me/prabhattimes1