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New Delhi नई दिल्‍ली। (cashless treatment at any hospital in india health insurance rule change) हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी खरीदने वालों के लिए क्रांतिकारी फैसला आया है.

उन्‍हें अब देश के किसी भी अस्‍पताल में कैशलेस इलाज कराने की सुविधा मिलेगी. भले ही वह अस्‍पताल इंश्‍योरेंस कंपनी की लिस्‍ट में हो या नहीं.

जनरल इंश्‍योरेंस काउंसिल (GIC) ने पॉलिसी होल्‍डर्स के हित में यह फैसला लिया है.

काउंसिल ने जनरल और हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कंपनियों के साथ बातचीत के बाद ‘कैशलेस एवरीव्‍हेर’ इनीशिएटिव शुरू किया है.

इसमें देश के किसी भी अस्‍पताल में कैशलेस इलाज की सुविधा देने पर सहमति बनी है.

अभी हेल्‍थ पॉलिसी खरीदने वाले ग्राहक सिर्फ उसी अस्‍पताल में कैशलेस इलाज की सुविधा ले सकते हैं, जो बीमा कंपनी के नेटवर्क में शामिल होगा.

अगर कोई अस्‍पताल कंपनी के नेटवर्क में शामिल नहीं है तो वहां इलाज कराने पर पॉलिसीधारक को पूरा पैसा खुद भरना पड़ेगा और बाद में वह बीमा कंपनी के सामने रीमबर्शमेंट कराना पड़ता है.

इसमें मुश्किल ये है कि अगर व्‍यक्ति के पास इलाज के लिए पैसा नहीं है तो उसे बीमा का फायदा भी नहीं मिल सकेगा.

क्‍या है नए नियम में

‘कैशलेस एवरीव्‍हेर’ इनीशिएटिव के तहत बीमाधारक उस अस्‍पताल में भी कैशलेस इलाज करा सकेंगे, जो कंपनी के नेटवर्क में शामिल नहीं है.

आपकी बीमा कंपनी इस बात के लिए बाध्‍य होगी कि वह अस्‍पताल में किए गए इलाज का भुगतान करे, भले ही वह इस्‍पताल उसके नेटवर्क में आता हो या नहीं.

बीमाधारक ध्‍यान रखें ये 3 बातें

  • अगर ऐसे अस्‍पताल में इलाज कराना है, जो कंपनी के नेटवर्क में नहीं है तो उसे 48 घंटे पहले अपनी बीमा कंपनी को इसकी जानकारी देनी होगी.

  • अगर इमरजेंसी में किसी को इलाज कराना है तो ऐसी स्थिति में अस्‍पताल में भर्ती किए जाने के 48 घंटे के भीतर अपनी बीमा कंपनी को जानकारी देनी होगी.

  • कैशलेस इलाज की सुविधा कंपनी की ओर से दी गई पॉलिसी में बताए नियम के अनुसार ही रहेगी. नए नियम का उस पर कोई असर नहीं होगा.

किस तरह के हॉस्पिटल होंगे शामिल

ऐसे अस्‍पताल जहां 15 से ज्‍यादा बेड की सुविधा है और स्‍टेट हेल्‍थ अथॉरिटी के साथ उनका पंजीकरण है, वहां कैशलेस इलाज की सुविधा का लाभ लिया जा सकता है.

जो अस्‍पताल नेटवर्क में शामिल नहीं हैं, वहां इलाज का खर्च जिन बीमा कंपनियों के साथ उनका नेटवर्क है, उन्‍हें मिलने वाले रेट के आधार पर ही तय किया जाएगा.

इससे ग्राहक से मनमाना पैसा नहीं वसूल सकेंगे.

कंपनी और ग्राहक दोनों को फायदा

कैशलेस इलाज की सुविधा मिलने से बीमा कंपनी और पॉलिसीधारक दोनों को फायदा होगा.

अभी बिना नेटवर्क वाले अस्‍पताल में इलाज कराने पर ग्राहक को क्‍लेम करने के लिए तमाम दस्‍तावेज जुटाने पड़ते हैं.

ऊपर से बीमा कंपनियों की तमाम तरह के सवालों का जवाब भी देना पड़ता है.

कैशलेस इलाज होने पर यह दिक्‍कत खत्‍म हो जाएगी.

दूसरी ओर, बीमा कंपनियों को भी फायदा होगा क्‍योंकि फर्जी बिल लगाकर क्‍लेम करने जैसी घटनाओं को रोका जा सकेगा.

कस्टमर को होती थी ऐसी दिक्कत

अभी तक हेल्थ इंश्योरेंस रखने वाले लोगों को कैशलेस इलाज की सुविधा सिर्फ उन अस्पतालों में मिल पाती थी, जो उनकी बीमा कंपनी के नेटवर्क का हिस्सा होते थे.

किसी अन्य अस्पताल में इलाज कराने पर पहले उन्हें अपने पॉकेट से पेमेंट करना पड़ता था.

बाद में पॉलिसीहोल्डर उसे बीमा कंपनी के पास क्लेम करता था, जो सत्यापन के बाद पास होता था.

इस कारण शुरू की गई मुहिम

इलाज कंप्लीट होने और उसके बाद पॉलिसीहोल्डर के द्वारा क्लेम करने में ही कई बार बहुत समय लग जाता था.

उसके बाद बीमा कंपनी क्लेम के सत्यापन व अन्य प्रक्रियाओं में भी समय लगाती थी.

इसका मतलब होता था कि पॉलिसीहोल्डर को पॉलिसी के बाद भी इलाज के लिए कुछ समय के लिए पैसों का इंतजाम करना पड़ता था.

इससे हेल्थ इंश्योरेंस का एक अहम उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता था, जो कि पॉलिसी होल्डर को बीमारियों से फाइनेंशियल सिक्योरिटी दिलाना है.

बीमा कंपनियों से परामर्श के बाद निर्णय

जीआईसी ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए कैशलेस ट्रीटमेंट के मामले में नेटवर्क की पाबंदियां हटाने का निर्णय लिया है.

काउंसिल ने कैशलेस एवरीव्हेयर इनिशिएटिव की शुरुआत करने से पहले जनरल व हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के साथ परामर्श किया.

उसके बाद इस मुहिम की शुरुआत का फैसला लिया गया, ताकि हेल्थ इंश्योरेंस होल्डर किसी भी अस्पताल में बिना पैसों के इंतजाम की चिंता किए बिना अपना इलाज करा सकें.

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