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Jalandhar जालंधर। (navratri 2023 kanya pujan ashtmi navami) नवरात्रि पर देवी दुर्गा के साथ कन्या पूजन का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार कन्या पूजन के बगैर देवी की साधना-आराधना अधूरी होती है.
यही कारण है कि नवरात्रि में जो लोग 9 दिनों तक व्रत रखते हैं और जो नहीं भी रखते हैं दोनों ही अष्टमी या नवमी तिथि पर माता रानी की कृपा पाने के लिए अपने घर में बड़े आदर के साथ 9 कन्याओं का पूजन करते हैं.
मान्यता है कि कन्या पूजन से देवी दुर्गा शीघ्र ही प्रसन्न होती हैं और नवरात्रि की पूजा और व्रत का पूरा पुण्यफल प्रदान करती हैं.
कब है कन्या पूजन 2023?
शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करने का विशेष महत्व है। इसलिए 22 और 23 अक्टूबर को कन्या पूजन कर सकते हैं।
देवी दुर्गा का स्वरूप मानी जाने वाली कन्याओं के पूजन की विधि और नियम आदि के बारे में जालंधर के विश्वसनीय पंडित व ज्योतिष राजेन्द्र बिट्टू से बात की गई, आइए विस्तार से जानते हैं.
महा अष्टमी कन्या पूजन 2023 शुभ मुहूर्त
आश्विन शुक्ल की दुर्गाष्टमी 21 अक्टूबर 2023 को रात 09 बजकर 53 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 22 अक्टूबर 2023 को शाम 07 बजकर 58 मिनट पर समाप्त रही है। ऐसे में अष्टमी के दिन सुबह से लेकर दोपहर तक कन्या पूजन कर सकते हैं।
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सुबह का मुहूर्त – सुबह 07 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक।
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दोपहर का मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से 02 बजकर 55 मिनट तक।
महानवमी कन्या पूजन 2023 शुभ मुहूर्त
आश्विन शुक्ल की महानवमी तिथि 22 अक्टूबर 2023 को शाम 07 बजकर 58 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 23 अक्टूबर 2023 को शाम 05 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी।
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सुबह का मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 7 बजकर 51 मिनट तक
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दोपहर का मुहूर्त – दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 2 बजकर 55 मिनट तक
नवरात्रि में क्यों किया जाता है कन्या पूजन
पंडित राजेन्द्र बिट्टू बताते हैं कि नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि पर किये जाने वाले कन्या पूजन के बारे में पौराणिक मान्यता है।
एक बार जब इंद्र देवता ने परमपिता ब्रह्मा जी से देवी दुर्गा को प्रसन्न करने का सबसे आसान उपाय पूछा तो उन्होंने उन्हें कुंआरी कन्याओं का श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजन करने को कहा.
मान्यता है कि कन्या पूजन की यह परंपरा उसी के बाद से शुरु हुई और अब तक चली आ रही है.
नवरात्रि में कन्या पूजन का धार्मिक महत्व
राजेन्द्र बिट्टू के मुताबिक नवरात्रि की अष्टमी या नवमी के दिन पूजी जाने वाली 2 साल की कन्या कुमारी, 3 साल की कन्या ‘त्रिमूर्ति’, 4 साल की कन्या ‘कल्याणी’, 5 साल की कन्या ‘मां कालका’, 6 साल की कन्या ‘चंडिका’, 7 साल की कन्या ‘शाम्भवी’, 8 साल की कन्या ‘देवी दुर्गा’, 9 साल की कन्या ‘देवी सुभद्रा’ और 10 साल की कन्या ‘रोहिणी’ का स्वरूप होती है.
जिनकी पूजा से साधक को सभी सुख प्राप्त होते हैं और उस पर पूरे साल मां भगवती की कृपा बनी रहती है.
कन्या पूजन की सरल एवं सही विधि
राजेन्द्र बिट्टू का कहना है कि नवरात्रि में कन्या पूजन के लिए सबसे पहले उन्हें आदरपूर्वक अपने घर बुलाएं. उनके घर में प्रवेश करने पर उनके पैर धोएं और फिर आसन देकर उन्हें बिठाएं.
फिर उनके पैर में आलता लगाएं. इसके बाद देवी स्वरूप कन्याओं का रोली, चंदन, पुष्प आदि से पूजा करें और उन्हें खाने के लिए पूड़ी, सब्जी, हलवा आदि खाने के लिए दें.
इसके बाद जब भोजन कर लें तो उनके हाथ धुलवाएं और उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार और दक्षिणा दें.
कन्या पूजन का महाउपाय
जब कन्या आपके यहां भोग ग्रहण कर लें तो आप उनके पैर छुएं और उन्हें थोड़ा सा हल्दी मिला अक्षत देकर उन्हें आशीर्वाद के रूप में खुद पर छिड़कने को कहें.
इसके बाद उन्हें ससम्मान विदा करें. मान्यता है कि इस उपाय को करने पर साधक के यहां पूरे साल धन-धान्य भरा रहता है और कभी भी घर में दुख-दुर्भाग्य प्रवेश नहीं करता है.
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