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Chandigarh चंडीगढ़(vigilance bureau arrests sad leader jarnail singh wahad, wife and son) अकाली नेता और वाहद संधर शूगर मिल में हुई करोड़ों की धांधली का खुलासा विजीलैंस जांच में हुआ है। जांच में खुलासा हुआ है कि शूगर मिल की जमीन की अलाटमैंट को लेकर की गई शर्तों का बड़े स्तर का उल्लंघन करके सरकार को नुकसान किया और वहीं किसानों का 40 करोड़ से ज्यादा की बकाया नहीं दिया

जांच में हुए इन खुलासों के पश्चात विजीलैंस ब्यूरो द्वारा शूगर मिल फगवाड़ा की सरकारी ज़मीन का दुरुपयोग करने, सरकार को वित्तीय नुकसान पहुँचाने के आरोपों के चलते वाहिद-संधर शूगर मिल लिमिटेड फगवाड़ा के एमडी जर्नैल सिंह वाहिद, उसकी पत्नी डायरैक्टर रुपिन्दर कौर वाहिद और उसके पुत्र वाहिद-संधर शूगर मिल लिमिटेड फगवाड़ा और शूगर मिल प्लाज़ा प्राईवेट लिमिटेड, फगवाड़ा, जिला कपूरथला के डायरैक्टर संदीप सिंह वाहिद को अरेस्ट किया है।

विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि ब्यूरो द्वारा जांच नंबर 04/2019 के द्वारा जगतजीत शूगर मिल कंपनी लिमिटेड, वाहिद-संधर शूगर लिमिटेड फगवाड़ा, शूगर मिल प्लाज़ा प्राईवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरैक्टर, डायरेक्टरों, अतिरिक्त डायरैक्टर आदि के विरुद्ध जांच की गई थी।

जांच के दौरान यह पाया गया है कि स्टेट कपूरथला के महाराजा जगतजीत सिंह ने 09.02.1933 के अपने करारनामे के द्वारा जगतजीत शूगर मिल कंपनी लिमिटेड को विकसित करने के लिए अपनी स्टेट में शूगर मिल उद्योग अलॉट किया था।

इस मिल को चलाने के लिए उन्होंने छूट वाली ज़मीन के तौर पर 251 कनाल 18 मरले (31 एकड़ 03 कनाल 18 मरले) ज़मीन मुफ़्त अलॉट की, जिसके मालिकाना हक शर्तों समेत जगतजीत सिंह शूगर मिल कंपनी लिमिटेड को दिए गए थे।

09.02.1933 के करारनामे के मुताबिक यह ज़मीन राज्य की है और आगे बेची या गिरवी नहीं रखी जा सकती। यदि शूगर मिल बंद हो जाती है, तो ज़मीन बिना किसी मुआवज़े के राज्य को वापस मिल जायेगी।

कंपनी चीनी उद्योग और इसके किसी भी बायो उत्पाद के निर्माण के लिए मिलों की स्थापना कर सकती है।

सरकार की मंज़ूरी से कंपनी किसी अन्य कंपनी के साथ जुड़ सकती है, अपने अधिकार किसी अन्य कंपनी, कॉरपोरेशन या चीनी उद्योग के साथ जुड़े व्यक्ति को दे सकती है, बशर्ते इस संबंधी सरकार को सूचित किया जाना चाहिए।

जांच के दौरान यह भी पता लगा कि ओसवाल एग्रो मिल्ज़ लिमिटेड, फगवाड़ा, जो जगतजीत सिंह शूगर मिल्ज़ कंपनी लिमिटेड, फगवाड़ा चला रही थी, ने 18.10.2000 को मैसर्ज वाहिद-संधर शूगजऱ् लिमिटेड, फगवाड़ा के साथ समझौता सहीबद्ध किया था और उनको सभी अधिकार सौंप दिए।

इसके उपरांत जगतजीत शूगर मिल कंपनी लिमिटेड, फगवाड़ा और वाहिद-संधर शूगर लिमिटेड फगवाड़ा के डायरेक्टरों ने अपनी मिलीभगत से सरकार की मंजूरी लिए बिना जगतजीत शूगर मिल कंपनी लिमिटेड फगवाड़ा से मिल और ज़मीन 99 सालों के लिए लीज़ पर अधिग्रहण कर ली।

इस रजिस्टर्ड लीज़ डीड के नुक्ता नंबर 4 (डी) (ए) में लिखा गया है कि मैसर्ज वाहिद-संधर शूगर लिमिटेड फगवाड़ा ऋण लेने के लिए किसी भी बैंक और वित्तीय संस्था के पास जायदाद गिरवी रख सकता है, जिसमें जगतजीत शूगर मिल्ज़ लिमिटेड कंपनी को कोई ऐतराज़ नहीं है।

इस लीज़ डीड को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया गया, जिससे ऋण लेने के समय बैंक और सरकार के साथ धोखाधड़ी की जा सके।

इस लीज़ डीड के दस्तावेज़ों के आधार पर, जगतजीत शूगर मिल्ज़ कंपनी लिमिटेड फगवाड़ा की 93.94 करोड़ रुपए की कीमत वाली 251 कैनाल 18 मरले क्षेत्रफल वाली सरकारी ज़मीन को वाहिद-संधर शूगर्ज़ लिमिटेड ने इस सरकारी ज़मीन के साथ ऋण लेने के लिए गारंटी के तौर पर गिरवी रखी थी, जिससे कंपनी ने अवैध तरीके से वित्तीय लाभ हासिल किया।

इसके उपरांत वाहिद-संधर शूगजऱ् लिमिटेड के डायरेक्टरों ने शूगर मिल प्लाज़ा प्राईवेट लिमिटेड, जी.टी. रोड फगवाड़ा नाम की नयी कंपनी बनाई जो साल 2010-11 में रजिस्टर्ड करवाई गई थी।

साल 2013-14 में उक्त डायरेक्टरों की मिलीभगत से पी.एस.ई.बी. कार्यालय के सामने, बंगा रोड, फगवाड़ा में मैसर्ज डब्ल्यू.एस. फिटनेस प्राईवेट लिमिटेड नाम की कंपनी भी रजिस्टर्ड करवाई गई,

जिसके डायरेक्टरों ने आपसी मिलीभगत से 11.04.2017 को 6 कनाल 4 मरले सरकारी ज़मीन बेची और 251 कनाल 18 मरले क्षेत्रफल वाली ज़मीन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, इंडस्ट्रीयल फाइनैंस ब्रांच, ढोलेवाल चौंक, लुधियाना के पास गिरवी रख दी

उसने तारीख़ 30.05.2019 को गिरवी रखने सम्बन्धी रजिस्टर्ड डीड के द्वारा सरकार से धोखाधड़ी करते हुए सरकारी ज़मीन का दुरुपयोग करके ग़ैर-कानूनी ढंग से वित्तीय लाभ लिया और सरकार को वित्तीय नुकसान पहुँचाया।

जगतजीत शूगर मिल्ज़ कंपनी लिमिटेड, फगवाड़ा को चलाने वाली कंपनी मैसर्ज वाहिद-संधर शूगजऱ् लिमिटेड, फगवाड़ा ने असली तथ्य छुपाकर साल 2013 में अतिरिक्त सिविल जज (सीनियर डिविजऩ) के समक्ष पेश 2009 के सिविल मुकदमे 11 में अदालत से अपने हक में फ़ैसला ले लिया।

इसी तरह जगतजीत शूगर मिल्ज़ कंपनी लिमिटेड फगवाड़ा की मलकीयत वाली 6 कैनाल 4 मरले सरकारी ज़मीन की रजिस्ट्री कंपनी के डायरेक्टरों के साथ मिलकर समकालीन राजस्व विभाग के कर्मचारियों द्वारा पंजाब रजिस्ट्रेशन मैनुअल 1929 की धारा 135 का उल्लंघन करते हुए की गई थी।

यह बात जानने के बावजूद भी कि यह सरकारी ज़मीन है और बैंक के पास गिरवी नहीं रखी जा सकती, राजस्व अधिकारियों ने आपराधिक साजिश के अंतर्गत यह रजिस्ट्री करवाई।

राजस्व अधिकारियों ने आपराधिक साजिश के अंतर्गत यह ज़मीन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया लुधियाना के हक में रजिस्टर करवाई थी। साल 1973 में मिल के प्रबंधकों ने मिल की ज़मीन का एक हिस्सा प्लॉट (सरपल्स लैंड) के रूप में बेचने की कोशिश की, तो इस सम्बन्धी राजस्व विभाग के समकालीन डिप्टी सचिव ने डिप्टी कमिश्नर कपूरथला को पत्र जारी करके इस ज़मीन को बेचने पर रोक लगाई।

प्रवक्ता ने आगे बताया कि जांच-पड़ताल के दौरान यह सामने आया है कि जगतजीत शूगर मिल कंपनी लिमिटेड फगवाड़ा, वाहिद-संधर शूगजऱ् लिमिटेड फगवाड़ा, शूगर मिल प्लाज़ा प्राईवेट लिमिटेड जी.टी. रोड फगवाड़ा और अन्यों ने एक-दूसरे की मिलीभगत के साथ इस गलत कार्यवाही को अंजाम दिया।

पड़ताल के दौरान यह बात सामने आई है कि आरोपी सिंह वाहिद विदेश शिफ्ट हो गया था और कुछ समय पहले इंग्लैंड से भारत आया था।

प्रवक्ता ने बताया कि आम लोगों और किसानों की मेहनत की कमाई लूटकर विदेशों में ट्रांसफर किए गए सभी नाजायज पैसों की बरामदगी भी की जायेगी।

बताने योग्य है कि मुलजिम जर्नैल सिंह वाहिद शिरोमणि अकाली दल पार्टी की सलाहकार कमेटी का मैंबर है और अकाली दल की सरकार के समय पर मार्कफैड का पूर्व चेयरमैन भी था।

किसानों के 40 करोड़ बकाया, किसानों के नाम पर किया फ्राड

पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने अपनी जांच दौरान कपूरथला जिले के फगवाड़ा में स्थित गोल्डन संधर शुगर मिल संबंधी हैरानीजनक तथ्य सामने लाए है।

पहले वाहिद संधर शुगर मिल के नाम से जानी जाती मिल में पिछले चार सालों से गन्ना काश्तकारों के बकाए का निपटारा नहीं कर सकी और मिल की तरफ किसानों के लगभग 40 करोड़ 71 लाख 68 हज़ार रुपए बकाया है।

विजीलैंस ब्यूरो के वक्ता ने बताया कि यह मामला ऐसे समय सामने आया है जब नवंबर के पहले हफ़्ते गन्नो का पिड़ायी सीजन शुरू होने जा रहा है।

गन्ना काश्तकारों की बार- बार माँगों के बावजूद, गोल्डन संधर शुगर मिल अपनी वाहिद संधर शुगर मिल समय पर की मैनेजमेंट से ले कर अपनी वित्तीय ज़िम्मेदारियां को पीछे हटती आ रही है।

इसके इलावा एक बहुत ही हैरानीजनकत तथ्य यह है कि किसानों को अब आई.डी.बी.आई. बैंक फगवाड़ा से लीगल नोटिस मिल रहे है, जिसमें उनको प्रति किसान के हिसाब से बैंक को कुल 3,00, 000 रुपए का के.सी.सी. (किसान क्रेडिट कार्ड) कर्ज़ वापिस करने के लिए कहा जा रहा है।

यहाँ हैरान करने वाली बात यह है कि किसानों को बैंक से कर्ज़ लेने या कर्ज़े के फंडों का प्रयोग करने के बारे में कुछ भी पता नहीं है।

इस हालातों के कारण गन्ना काश्तकारों को काफ़ी नुकसान सहना पड़ा है और उनको गन्ने की फ़सल की 40 करोड़ 71 लाख 68 हज़ार रुपए की अदायगी नहीं की गई है।

इसके साथ ही करीब 600 किसान अपने आप को के.सी.सी. कर्जे की देनदारियों संबंधी स्वंय को फंसा महसूस कर रहे है, जिस अनुसार मिल की गारंट्ररशिप अधीन प्रत्येक किसान द्वारा 300,000 रुपए की देनदारी निकाली जा रही है।

उन्होंने कहा कि पंजाब विजीलैंस ब्यूरो द्वारा किसानों के हितों को ध्यान में रख कर इस मसले का हल निकलने की उम्मीद के साथ स्थिति पर नज़र रखी जा रही है।

 

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