Prabhat Times
नई दिल्ली। (Auto Debit) बैंकिंग ट्रांजैक्शन के क्षेत्र में गुरुवार 1 अप्रैल से कई बदलाव हो रहे हैं. कल से तमाम ओटीटी सब्सक्रिप्शन चार्ज, बिलों के ऑटो पेमेंट या ऑटो डेबिट में अड़चनें आ सकती हैं. इसकी वजह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा लागू एक नया नियम है.
हालांकि, रिजर्व बैंक ने ग्राहकों को अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया कराने के लिए ये व्यवस्था की है. लेकिन इससे मोबाइल, यूटिलिटी या अन्य यूटिलिटी बिल के लिए ऑटो पेमेंट, ओटीटी के लिए सब्सक्रिप्शन चार्ज, रेंटल सर्विस आदि के लिए आपके एकाउंट से हर महीने अपने आप पैसा कट जाने वाली व्यवस्था में शुरुआती दौर में अड़चन आ सकती है.
दोहरी सुरक्षा परत
असल में रिजर्व बैंक के नए नियम में कहा गया है कि ऐसे पेमेंट के लिए एक अतिरिक्त सुरक्षा परत होनी चाहिए. इसलिए क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, यूपीआई या प्रीपेड इंस्ट्रुमेंट से अपने आप कट जाने वाली ईएमआई या रेंटल के लिए अब एक अतिरिक्त सिक्योरिटी लेयर होगा.
रिजर्व बैंक ने पिछले अगस्त 2019 में ही जारी एक नोटिफिकेशन में बैंकों से कहा था कि इस तरह की व्यवस्था बनाई जाए और इसे 1 अप्रैल, 2021 से लागू करना तय किया गया था.
नोटिफिकेशन में रिजर्व बैंक ने कहा था कि कई पक्षों से यह मांग की गई है कि कार्ड से पहली बार पेमेंट या इसके बार हर महीने होने वाले ऑटो पेमेंट के लिए एक ई-मैंडेट की व्यवस्था की जाए यानी ग्राहकों से एक बार और इजाजत मांगी जाए.
यानी अब इस तरह के जितने ऑटोमेटिक ट्रांजैक्शन होते हैं, उनको पहली बार तो एडिशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन (AFA) से गुजरना ही होगा, हर बार ऐसा होगा. यानी हर महीने जब ऑटो पेमेंट होने वाला होगा तो उसके पहले ग्राहकों के पास एक वन टाइम पासवर्ड (OTP) आएगा.
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने 5,000 रुपये तक के डेबिट कार्ड पेमेंट को बिना स्वाइप किए करने की इजाजत दी है. इसलिए ऐसे पेमेंट को एएफए से छूट दी गई है यानी ऐसे पेमेंट बिना ओटीपी के हो जाएंगे. रिजर्व बैंक ने कहा है कि , ‘1 अप्रैल 2021 से कार्ड/पीपीआई/यूपीआई के सभी रिकरिंग ट्रांजैक्शन बिना नई व्यवस्था के नहीं होंगे.’
कैसे होगा लागू
दोहरे प्रमाणन का मतलब यह है कि बैंक और पेमेंट प्लेटफॉर्म अपने ग्राहकों को पहले ऑटोमेटिक पेमेंट कटने से 24 घंटे पहले सूचना भेजेंगे. इसी समय ग्राहकों को कम्युनिकेशन का माध्यम चुनना होगा कि वे मैसेज या ई-मेल किसके द्वारा आगे होने वाले रिकरिंग ट्रांजैक्शन के लिए ई-मैंडेट देना चाहेंगे. आगे भी बिना ग्राहकों की मंजूरी के ऐसे पेमेंट नहीं किए जाएंगे.
क्या है समस्या
अभी सभी बैंक इसके लिए तैयार नहीं हैं और उन्होंने ग्राहकों को कोई सूचना नहीं भेजी है. तो शुरुआत में हो सकता है कि ग्राहकों को अपने बिल आदि का भुगतान मैनुअली खुद करना पड़े.
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